Find the Latest Status about लुका छुप्पी from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, लुका छुप्पी.
Nisha Bharti Jha
एक लड़की के बग़ावत की दाग़ जिसे समाज झेल नहीं सकता हैं | पानीपत की गर्मी और ऊपर से मई का महीना था, चारो ओर लू वाली हवा चल रही थी और उस दिन मेरे मन में एक अलग ही तूफ़ान चल रहा था | न जाने कैसा तूफ़ा
Hitesh Kumar
i very very love u before some time i dont know my mother s importance but now i understand without mom all the world useless then i wants that my mom alwaye remain live with me i dont loost my mom छुप्पी पहचान ज़िन्दगी की gudfi
Hitesh Kumar
ma meri sbse nyaari h mujko jaan se bhi pyaari na koi inhe mujse churana h bs yahi mera aashiyana chhupi pahchan zindgi ki guddi छुप्पी पहचान जिन्दगी की guddi
Arora PR
लुका छुपी के खेलो का आनन्द तुम बच्पन और जवानी मे पूरा लें चुके हो लेकिन उम्रदराज़ होते ही तुम्हे उन खेलो क़ो पूरी तरह से बन्द करना पड़ेगा इस संसार रूपी सराय मे तुम पहले भी कई बार दाखिला लें चुके हो चार दिन आराम से रहलो. फिर तो तुम्हे तम्बू अपना उखाड़ना ही पड़ेगा ©Arora PR लुका छुपी
Kajalife....
बचपन और लुका-छिपी बचपन में अपनों से छिपा करते थे , कभी अपनी जिद मनवाने के लिए तो कभी उनके चेहरे पर अपनी फिक्र देखने के लिए आज भी छिपते हैं मगर अपनों से नही लोगों से ।। मगर अब छिपने की वजहें बदल गई है ।।। # लुका - छिपी
Pankaj Agrawal
चेहरे में हसी जरूर है चेहरे में हसी जरूर है मगर ज़िन्दगी ने हर खुसी दूर है #लुका छुपी
Jasim Sk
बचपन और लुका-छिपी बुलाएंगे सारे मित्रो को, और हम लुका_छिपी खेलेंगे, पूरे दिन हल्ला मचाएंगे, और हम लुका_ छिपी खेलेंगे, थक के चुर हो जाएंगे, और हम लुका_ छिपी खेलेंगे, जब तक सबके घर से , बुलावा ना आए, तब तक हम, लुका_ छिपी खेलेंगे!! लुका छिपी
Arora PR
लुका छुपी के खेलो का आनन्द तुम बच्पन और जवानी मे पूरा लें चुके हो लेकिन उम्रदराज़ होते ही तुम्हे उन खेलो क़ो पूरी तरह से बन्द करना पड़ेगा इस संसार रूपी सराय मे तुम पहले भी कई बार दाखिला लें चुके हो चार दिन आराम से रहलो. फिर तो तुम्हे तम्बू अपना उखाड़ना ही पड़ेगा ©Arora PR i लुका छुपी
Biswajit Panda
बचपन और लुका-छिपी बचपन की यादें याद है हमें बचपन की यादें थी मिट्टी से लिपि आज मोबाईल में लिपती हमारी दुनिया कभी खेला करते थे लुका - छिपी बचपन के दिन मासुमीयत से भरी थी खेलती हुई दुनिया हमारी चलती थी खेल से शुरू होती हमारी सुबह खेलते - खेलते ढलती थी वह मासूम चेहरा कहीं फुर हो गई हम बचपन से और बचपन हमसे दुर हो गई बचपन और लुका - छिपी
Parasram Arora
लुका छुपी क़े खेल मे हम सब निपुण है बचपन से ही और ये खेल ताउम्र ज़ारी रहता है याने ये खेल बचपन की दहलीज़ से उछल कर जवानी . तक पहुँचता है और फिर उसके बाद बुढ़ापे की खाट तक पहुंचते पहुंचते पर्याप्त अनुभवी हो जाता है बचपन मे ये खेल निरापद मासूमियत .. भरा होता है जबकि जवानी मे इस खेल मे धूर्तता और चालाकी क़े तत्व आ जाते है और फिर बुढ़ापे तक पहुंचते पहुंचते तो ये और भी ज्यादा निपुणता हासिल कर लेता है यहां तक क़ि ज़ब मौत का देवता यमराज उसे दबोचने आजाता है तो वो अपनी खाट से गायब हो जाता है #खेल लुका छुपी का......