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नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
🌹पूज्य माता कैकई रामायण महाकाव्य के पावन और विशाल मंदिर की नींव की ईंट हैं जिस पर यह मंदिर भव्य दिखता है। उनके एक निर्णय ने इस महाकाव्य आरंभ और पटाक्षेप दोनों की पटकथा लिख डाली। लोककल्याणकारी उद्देश्य की पूर्ति के लिए सारे कलंक खुद पे ले डाली। अपने सबसे प्रिय राम को ही बन जाने का आदेश दे दिया। उस समय उन पर क्या बीती होगी ,वही जानती होंगी कोई दूसरा नहीं। वन भी दिया और अकेले पुत्र वियोग में तड़पती भी रही। शायद राम वन नहीं गए होते तो मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम नहीं कहलाते। उनके एक कठोर निर्णय ने मानव जीवन के लिए सभी धर्मों को स्थापित कर दिया।पुत्र धर्म,पिता धर्म,पत्नी धर्म, माता धर्म, सखा धर्म,राज धर्म,कोई भी अछूता नहीं रहा। धन्य थी भरत माता कैकई ।उनके चरणों में कोटि कोटि प्रणाम है।🌹🙏 ©नागेंद्र किशोर सिंह # पूज्य माता कैकई
कवि अशोक कुमार शर्मा
सुनो कैकई अगर रामजी..... वनवासी हो जायेंगे ! उजड़ जाएगी अयोध्या.. दशरथ रो रोकर मर जायेंगे !! मान, प्रतिष्ठा, वैभव, सुख,......और प्राण भी जायेंगे ! तेरे हठ के कारण सब यश....मिट्टी मे मिल जायेंगे !! **** तेरी करनी का फल... सारे इतिहास बतायेंगे ! सौतेली माँ के सनेह से....बच्चे अबोध घबरायेंगे !! मर्यादा से मुक्त हुई तो.....अपयश हाँथ मे आयेंगे ! राम सिया के दुख का कारण.. सब तुझको बतलायेंगे !! **** कोमल.. कठोर इस ह्रदय को करले दोष अभी मिट जायेंगे ! दुख के बादल छाये हैं जो..... पल भर मे छट जायेंगे !! सीता के कोमल पग कैसे... कंकड़ पर चल पायेंगे ! वनवासी गर हुए राम तो......सुख सारे खो जायेंगे !! ******°°°°°°°°°°°°****** ©कवि अशोक कुमार शर्मा सुनो कैकई #Sunrise
सोमेश त्रिवेदी
****है प्राण माँगा कैकई ने**** वो मंथरा कुबजा कुटिल थी, कैसा ज्ञान माँगा कैकई ने, भरने लगी विष से हृदय को, विषपान माँगा कैकई ने... श्री राम को वनवास हो, जब वरदान माँगा कैकई ने, कैसे करें विश्वास दशरथ, है प्राण माँगा कैकई ने.. #NojotoQuote ****है प्राण माँगा कैकई ने**** वो मंथरा कुबजा कुटिल थी, कैसा ज्ञान माँगा कैकई ने, भरने लगी विष से हृदय को, विषपान माँगा कैकई ने... श्र
सोमेश त्रिवेदी
अनामिका
AJAY NAYAK
अjay नायक‘ वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #Mother माँ, तेरा हर रुप निराला है, तेरा हर अंदाज निराला है यशोदा बन सवारती है तो कैकई बन निखारती है। एक को कान्हा से कृष्ण बनाती है तो
Rustam Ali Anjum
आओ तुम्हे सुनाता हुँ मै रामायण कलयुग की ! देखो कितनी बदल गई है , आज रामायण सतयुग की ! न राम जैसा बेटा है ,न दशरथ जैसा पिता ! बदल गई है आज की नारी ,नहीं है कल की सीता ! बिवीक्षण जैसा भेदी यहां ,हर घर मे मिल जाएगा ! लक्ष्मण जैसा भाई यहां ,ढूंडने पर भी नहीं मिल पाएगा ! कैकई से कड़वे बोल आज ,हर घर मे बोले जाते है ! कुटुंब मे एक दूसरे खिलाफ ,जहर घोले जाते है ! हनुमान जैसा भक्त और अब सुग्रीव सा मित्र कहा से लाउ ! जो समझा दे तुम्हे धर्म की परिभाषा ,वो चित्र कहा से लाउ ! सदभावना आस्था मे तनमन भोगना पड़ता है ! धर्म के लिए राज छोड़ कर वन भोगना पड़ता है ! शायर रुस्तम अली अंजुम (Rmk) #Ram_Navmi आओ तुम्हे सुनाता हुँ मै रामायण कलयुग की ! देखो कितनी बदल गई है , आज रामायण सतयुग की !
सोमेश त्रिवेदी
(अशोक से सम्राट को, ना बुद्ध होना चाहिए) आतंक का ये रास्ता, अब रुद्ध होना चाहिए, कश्मीर का वतावरण, भी शुद्ध होना चाहिए... गति से गति प्रगति बने,मति से मति सुमति बने, उन्नति का पथ सदा, अनिरुद्ध होना चाहिए... छल कपट से दूर हो, राम पर विश्वास हो, राम का ही राज्य हो, अब नहीं वनवास हो... कैकई! ये जान लो, मंथरा पहचान लो, राम के प्रति हृदय,सुविशुद्ध होना चाहिए... जब धर्म दीक्षा ले रहे, तो धर्म क्या है जान लो, जो धर्म की रक्षा करे, वो कर्म क्या है जान लो... स्वराष्ट्र रक्षा धर्म है, और धर्म ही तो कर्म है, तो धर्म रक्षा के लिए, अब युद्ध होना चाहिए... उठो उठो हे वीर तुम, रणभूमि में ललकार दो, रणभेरी से गर्जन करो, सम केशरी हुंकार दो... संस्कार अपने त्याग कर, तलवार अपने त्याग कर, अशोक से सम्राट को, ना बुद्ध होना चाहिए... #NojotoQuote मेरी अपनी मौलिक रचना! 🙏🙏🙏 (अशोक से सम्राट को, ना बुद्ध होना चाहिए) आतंक का ये रास्ता, अब रुद्ध होना चाहिए,