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अदनासा-
अश्लेष माडे (प्रीत कवी )
हाडामासाचा फक्त शरीर नव्हे जन्म देणारी जन्मदात्री आहे ती नऊ महिने वेदना सहन करणारी वेदनारहित 'स्त्री' आहे ती.. फक्त संभोगासाठी नसते 'स्त्री' जन्म आणि पोषण असे दर्शन एकावेळी देणारी आहे ती दोन मासाचे गोळे आणि योनी एवढंच बघतो पुरुष खरं तर प्रचंड वेदना सहन करून जन्म देणारी 'स्त्री'आहे ती... प्रेम तिच्या शरीरावर की तिच्यावर असतं ? प्रसूती च्या वेळी पुरुषाला लाजवणारी आहे ती करावीच माणसाने एकदा स्त्री ची प्रसूती कळेलच किती कणखर आहे ती... नुसती हौस पूर्ण करण्यासाठी नसते पुरुषाला पूर्ण करणारी आहे स्त्री आहे ती कोणासाठी काहीही असो तिला बघण्याचा दृष्टिकोन आई,बहीण,बायको अशा अनेक नात्यांची जन्मदाती आहे ती... ©अश्लेष माडे (प्रीत कवी ) मराठी कविता संग्रह महिला दिन मराठी कविता प्रेरणादायी कविता मराठी मराठी कविता संग्रह
मराठी कविता संग्रह महिला दिन मराठी कविता प्रेरणादायी कविता मराठी मराठी कविता संग्रह
read moreN S Yadav GoldMine
Unsplash {Bolo Ji Radhey Radhey} किसी को रुलाकर, कोई भी ज्यादा दिन हंस नही पाया है, विधि का अटल विधान है, जो कोई समझ नही पाया है। सब कुछ का प्रकति हिसाब रखती हैं, और समय उसका गिन-2 कर हिसाब लेता है। जय श्री राधेकृष्ण जी।। N S Yadav GoldMine. ©N S Yadav GoldMine #library {Bolo Ji Radhey Radhey} किसी को रुलाकर, कोई भी ज्यादा दिन हंस नही पाया है, विधि का अटल विधान है, जो कोई समझ नही पाया है। सब कुछ का
#library {Bolo Ji Radhey Radhey} किसी को रुलाकर, कोई भी ज्यादा दिन हंस नही पाया है, विधि का अटल विधान है, जो कोई समझ नही पाया है। सब कुछ का
read moreअदनासा-
Ravindra Rajdev
White Good evening Nojoto friends 💖💖💖💖💖 ©Mr.Ravi Rajdev #GoodMorning advocate SURAJ PAL SINGH Kamlesh Kandpal Anju Sumit Raj Chauhan Rakesh Srivastava महिला दिन मराठी कविता वाढदिवसाच्या श
#GoodMorning advocate SURAJ PAL SINGH Kamlesh Kandpal Anju Sumit Raj Chauhan Rakesh Srivastava महिला दिन मराठी कविता वाढदिवसाच्या श
read moreनवनीत ठाकुर
नौकरी करने वालों, न करो खुद पर इतना गुमान, उस खामोश औरत की मेहनत को भी पहचानो, जो है घर की असल जान। बिन वेतन, बिन तालियों के वो हर दिन खप जाती है, हर मुश्किल को मुस्कुराकर सह लेती है, फिर भी चुप रह जाती है।" "वो है घर की बुनियाद, हर सुख-दुख की साथी, उसके बिना अधूरी है हर खुशी, हर बात प्यासी। चुपचाप समेटे रखती है अपने आंचल में घर की रौनक, उसकी मेहनत से घर में बसी है सुख-शांति की सौगात।" "हवा की तरह बहती, फिर भी उसकी पहचान खो जाती है, घर में हर खुशी का रंग, वो खुद मिटकर सजाती है। वो हर दर्द, हर ग़म छुपाकर अपनी मुस्कान सजाती है, अपने हर कदम से घर में नयापन और उजाला लाती है।" "वो ही है जो चुपचाप सारा भार उठाती है, घर की महक और खुशियों की जड़ बन जाती है। ©नवनीत ठाकुर #महिला
धाकड़ है हरियाणा