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Stories related to अब मुझे रात दिन

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर मुझे दुश्मन ही दे दो, अब रास्ता आसान लगता है, जो था कभी अपना, वो अब दगा देने वाला लगता है। मुझे दुश्मन ही दे दो, अब अपनों से डर

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Unsplash मुझे दुश्मन ही दे दो, अब रास्ता आसान लगता है,
जो था कभी अपना, वो अब दगा देने वाला लगता है।
मुझे दुश्मन ही दे दो, अब अपनों से डर सा लगता है,
अब सच्चाई का सामना, आसान सा दिखता है।
हर शब्द में अब एक बेवफाई का रंग सा दिखता है।
जो अपना था, अब वो सिर्फ़ धोखा देने वाला लगता है,

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
मुझे दुश्मन ही दे दो, अब रास्ता आसान लगता है,
जो था कभी अपना, वो अब दगा देने वाला लगता है।
मुझे दुश्मन ही दे दो, अब अपनों से डर

SANIR SINGNORI

मैं मांगता था दुआ में हर दिन उसे मैं खुदा से अब कुछ नहीं मांगता

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मैं मांगता था दुआ में हर दिन उसे
मैं खुदा से अब कुछ नहीं मांगता,





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©SANIR SINGNORI मैं मांगता था दुआ में हर दिन उसे
मैं खुदा से अब कुछ नहीं मांगता

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर हो गई है रात बहुत, होने को है सहर, अब तो मुझे घर जाने दो। देख ले वो इक बार मुझे, मेरे होने का यकीं उन्हें हो जाने दो।

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हो गई है  रात बहुत, होने को है सहर,
अब तो मुझे घर जाने दो।
देख ले वो इक बार मुझे,
मेरे होने का यकीं उन्हें हो जाने दो।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
हो गई है  रात बहुत, होने को है सहर,
अब तो मुझे घर जाने दो।
देख ले वो इक बार मुझे,
मेरे होने का यकीं उन्हें हो जाने दो।

Avinash Jha

White नीली चादर ओढ़े है आसमान,
डूबा है अंधियारे में जहान।
लालिमा लिए वो चाँद का टुकड़ा,
ज्यों किसी राज़ का हो मुखड़ा।

सन्नाटा पसरा है गली-मोहल्लों में,
घर की खिड़की से झांकते उजालों में।
पीली रोशनी की परछाई कहती है,
हर दीवार के पीछे एक कहानी रहती है।

बिजली के तारों का वो उलझा जाल,
सपनों और हकीकत का अदृश्य हाल।
इस रात की गोद में छुपे कई राज़,
जिन्हें सुलझाए कोई दिल का हमराज़।

एकांत में बसी ये अनकही बातें,
चाँद और खिड़की के बीच की मुलाकातें।
न जाने कब ये अंधेरा टूटेगा,
और ये रहस्य नया सवेरा पूछेगा।

©Avinash Jha #Sad_Status 
#रात

Avinash Jha

White नीली चादर ओढ़े है आसमान,
डूबा है अंधियारे में जहान।
लालिमा लिए वो चाँद का टुकड़ा,
ज्यों किसी राज़ का हो मुखड़ा।

सन्नाटा पसरा है गली-मोहल्लों में,
घर की खिड़की से झांकते उजालों में।
पीली रोशनी की परछाई कहती है,
हर दीवार के पीछे एक कहानी रहती है।

बिजली के तारों का वो उलझा जाल,
सपनों और हकीकत का अदृश्य हाल।
इस रात की गोद में छुपे कई राज़,
जिन्हें सुलझाए कोई दिल का हमराज़।

एकांत में बसी ये अनकही बातें,
चाँद और खिड़की के बीच की मुलाकातें।
न जाने कब ये अंधेरा टूटेगा,
और ये रहस्य नया सवेरा पूछेगा।

©Avinash Jha #Sad_Status 
#रात

Tej Pratap

ये न पूछो कि कृत्रिम बतियों का प्रकाश,
कैसा लगता है।
हमें तो बादलों से झांकता चांद ,
अच्छा लगता हैं।।

©Tej Pratap #रात #चांद #Quote

राजीव भारती

वो दिन अब न रहे #राजीव भारती

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RAVI PRAKASH

#good_night वो दिन नहीं वो रात नहीं

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White वो दिन नहीं

वो रात नहीं

वो पहले जैसे जज़्बात नहीं होने को तो हो जाती है बातें उनसे मगर बातों में वो पहले जैसी बात नहीं !

©RAVI PRAKASH #good_night वो दिन नहीं
वो रात नहीं

नवनीत ठाकुर

#रात में महताब

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उसकी रौनक से रोशन हो गई सारी फिज़ा,
खुदा का भेजा हुआ कोई जवाब हो जैसे।

चमक उसकी ऐसी कि रात भी शरमा गई,
सितारों के बीच वो माहताब हो जैसे।

वो आया तो अंधेरों में उजाला बिखर गया,
रात की तन्हाई में आफताब हो जैसे।

उसकी बातों में जैसे कोई जादू सा घुला,
हर अल्फ़ाज़ उसका इश्क़ का हिसाब हो जैसे।

नज़रों में बसाए एक गहरी सी दुनिया,
हर राज़ से भरी एक किताब हो जैसे।

वो करीब हो तो वक्त थम सा जाता है,
धड़कनों में बसी कोई ख़्वाहिश नायाब हो जैसे।

उसकी मुस्कान से बहारें खिल उठीं हर ओर,
फूलों की खुशबू का एक गुलाब हो जैसे।

©नवनीत ठाकुर #रात में महताब

नवनीत ठाकुर

#मेरा दर्द अब मुझे कम महसूस होता है

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White मेरा ग़म अब मुझे महसूस कम होता है,
जैसे मछली को न हो ख़बर कि समंदर क्या होता है।
वो गहराइयाँ अब मेरे हिस्से में यूँ समा गई हैं,
जिनमें दर्द का दरिया है, पर कोई असर नहीं होता है।

हर मौज का थपेड़ा अब आहिस्ता सा लगता है,
दर्द का भी अपना अलग ही सफर होता है।
जिसमें डूब कर कभी साँस थम जाने का ख़ौफ था,
अब वही ग़म मेरा साथी, मेरा हमसफ़र होता है।

अब तो अश्क भी आँखों में ठहरे रहते हैं,
दिल के हर ज़ख्म पर जैसे बेअसर होता है।
दर्द का दरिया बहता है, पर कोई तासीर नहीं,
इस दिल की वीरानी में अब कोई असर नहीं होता है।

मेरा ग़म अब मुझे महसूस कम होता है,
जैसे मछली को न हो ख़बर कि समंदर क्या होता है।

©नवनीत ठाकुर #मेरा दर्द अब मुझे कम महसूस होता है
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