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Vandana Rana

महान है आपका व्यक्तित्व,अब आपको इस धरती ने खोया है, आपके निधन पर यह आसमां भी फूट-फूटकर रोया है।😓Manmohan_Singh_Dies

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Google महान है आपका व्यक्तित्व,अब आपको इस धरती ने खोया है, 
आपके निधन पर यह आसमां भी फूट-फूटकर रोया है।😓

©Vandana Rana महान है आपका व्यक्तित्व,अब आपको इस धरती ने खोया है, 
आपके निधन पर यह आसमां भी फूट-फूटकर रोया है।😓#Manmohan_Singh_Dies

बादल सिंह 'कलमगार'

मिट्टी की ये धरती सारी... #badalsinghkalamgar Poetry Love #Hindi Arshad Siddiqui Rudra magdhey Abhijeet Praveen Jain "पल्लव" vimlesh G

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Anuj Ray

# धरती पे स्वर्ग"

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White धरती पे स्वर्ग की कल्पना को, अपनी 
आंखों से साकार होते देखने का मन करे, 

शिशिर ऋतु के शुरुआती दौर में, पहाड़ 
पर्वत की बर्फीली वादियों का भ्रमण करें।

©Anuj Ray # धरती पे स्वर्ग"

Andy Mann

#धरती_मां अदनासा- Rakesh Srivastava Ravi Ranjan Kumar Kausik vinay panwar Sh@kila Niy@z

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White आज जो प्लेन जमीन आपको दिखाई देती हैं।
जो काफी लोगों को तकलीफ़ भी देती हैं।
आज से #500 .,700 साल पहले ये ऐसी नहीं थी। ऊंचे नीचे टीले थे, जिसे हमारे #पूर्वजों ने #बैलों_से_जोत के समतल किया है।
ये जमीन किसी #नवाब_राजा ने जागीर में नहीं दी है, ये कमाई गई है।और जमीनें तो सभी के पास थी, अगर आज आपके पास नहीं बची है तो अपने #पूर्वजों से पता कीजिए की क्या किया उन्होनें अपनी जमीन का।
आज तो #ट्रैक्टर_और_साधनों का ज़माना है, सोच के देखिए क्या संघर्ष किया होगा उन पीढ़ियों ने जिन्होंने #बैलों_से_खेती की है। किसान खुद भी #बैल_की_तरह अपने आप को जोत में जोड़ देता था,#कंधे_पर_हड्डी 4 इंच उभर आती थी, कमर कुबड़ी हो जाती थी, #कुएं_से_पानी निकालने के लिए पूरे #परिवार_को_ऊंट की तरह काम करना होता था, #नहरों_रजवाहों का पानी चलाने के लिए हफ्तों घर जाना नसीब नहीं होता था।
यहां आकर 200 rs के नेट पैक के माध्यम से कुछ भी बकवास करना तो काफी सरल है। 
#धरती_हमारी_मां_है

©Andy Mann #धरती_मां  अदनासा-  Rakesh Srivastava  Ravi Ranjan Kumar Kausik  vinay panwar  Sh@kila Niy@z

Durga Gautam

#good_night फूल बार बार खिले पेड़ों ने नहीं रोकी अपनी छांव नदियों ने भी नहीं बनाए बांध अपने ऊपर सूरज सींचता रहा धरती को ऊष्मा से अपनी ना

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White फूल बार बार खिले 
पेड़ों ने नहीं रोकी अपनी छांव
नदियों ने भी नहीं बनाए  बांध अपने ऊपर 
सूरज सींचता रहा धरती को ऊष्मा से अपनी
ना ही बारिशें वापस लौटीं बादलों की ओर

प्रकृति में सुंदरता थी प्रेम की पराकाष्ठा की
प्रेम अपनी पराकाष्ठा में सबसे सुंदर था ।

©Durga Gautam #good_night फूल बार बार खिले 
पेड़ों ने नहीं रोकी अपनी छांव
नदियों ने भी नहीं बनाए  बांध अपने ऊपर 
सूरज सींचता रहा धरती को ऊष्मा से अपनी
ना
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