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Kamna Trivedi
🌷मेरा अपने अंतर्मन से संवाद🌷 छुटपन से ही अपने को कुछ बच्चा, कुछ बड़ा पाया। छावनी में पलने बढ़ने का जो सुख पाया। कभी पिता के साथ कभी पिता के सुदूर तबादले मे जाने पे अपने को घर का बड़ा पाया। कुछ पढ़ना, कुछ खेलना, कुछ अटखेलियां, कुछ अल्हड़पन, पर अपने आप को समयसारनी से सदा बंधा पाया। पिता के फौजी अनुशासन को जो मैंने देखा था ...... उसको सदा अपने जीवन में अपनाया। समय पे उठना, समयानुसार ढलना, व्यवस्थित रहना और पुरजोशी से वतन के किसी भी काम आ सको तो आना अपने को सिखलाया। कभी जब भी मन उदास हुआ, तड़के सुबह एकेले इक सैर करी और छुटपन की वो सैर ही मेरे अपने अंतर्मन से संवाद की पहली श्रृंखला बनी। खुद को खुद ही समझाया, अपने मनोबल को कभी न गिरते पाया। मां की सिखलाई तो सुनी, पर पिता के कर्मों को देख सदा अपने आपको गौरवान्वित पाया। वो वायु सेना की नीली वर्दी, वो वायु सेना का छावनी का वातावरण जोशो खरोश और तेज से भरनेवाला अपने मन को सदा ही मैने पाया। कुछ भी मै हासिल कर सकती हूं, अपने इसी जज्बे से। सच्चाई, ईमानदारी, नेक नियति, अपनेपन और देशभक्ति कूट कूट के रक्त में भरी थी। कभी नहीं में झुक सकती हूं, झूठ और फरेब के रिश्ते से ..... कई बार गिरी कई बार उठी, कई बार गिरी कई बार उठी। जज्बा लेकिन वही रहा .... पर हर मोड़ पे मुझको मेरा अपने अंतर्मन से संवाद जिता हि गया। #firstquote🌷मेरा अपने अंतर्मन से संवाद🌷 छुटपन से ही अपने को कुछ बच्चा, कुछ बड़ा पाया। छावनी में पलने बढ़ने का जो सुख पाया। कभी पिता के साथ
Sachin Ratnaparkhe
ग़ज़ल मेरा तेरे इश्क़ में खोना जैसे कोई खरोश की बात है, मगर तुझे फर्क न पड़ना बड़े ही खामोश की बात है। बहुत थोड़ा ही सही मगर कुछ इश्क़ तो है तुझे, इसे जता न पाना तो बेशक अफ़सोस की बात है। ऐसा जरूरी नहीं कि हर बार शुरुआत हम ही करे, तुझसे इतना भी न हो पाना मेरे लिए आक्रोश की बात है। न जाने क्या-क्या किया तुम्हारे लिए मोहब्बत में, उसे अहमियत न देना एहसान फरामोश की बात है। बहुत गुल खिलाए है अपने मन के बगीचे में हमने, उस गुल का मुरझाना बैचेनी में सरफरोश की बात है। जाम-ए-इश्क का मजा तो लेने से रहा राही मगर, बे-दस्तक हुजरे में मत आना वक्त-ए-नोश की बात है। #खरोश = खुशी #सरफरोश = जान देने को तैयार #वक्त_ए_नोश = पीने का वक्त
मानव बदायूँनी
अब न कोई जोश है और न ही अब कोई खरोश, बस जिंदगी को एक एक दिन कर जिये जा रहे है। ©मानव बदायूँनी #SAD अब न कोई जोश है और न ही अब कोई खरोश, बस जिंदगी को एक एक दिन कर जिये जा रहे है।
अर्चना R प्रकाश
Abid
कभी भी #cinemagraphabid कल की 'कुछ भी' वाले quote हित होने के बाद अब अगला collab चैलेंज होगा 'कभी भी' 😉 उमीद है आप वही जोश ओ खरोश के साथ collab कर
सच्ची_प्रीत💕
#तेरे_मेरे_इश्क़_की_गवाह तेरे मेरे इश्क़ की गवाह एक निशानी बची है, शहर में एक खंडहर ईमारत पुरानी बची है मिलना बिछुड़ना तो दस्तूर-ए-जिन्दगी है, हमेशा के लिए तेरे मेरे इश्क़ की कहानी बची है वीरान है वो गालियां, ना रही वो आबो-हवा, अब ना वो बारिशों में भीगी जवानी बची है तेरे जाने से इतना तन्हा हो गया है"राठी", के खून में ना अब वो जोशो-रवानी बची है...!! ©VS_Rathee"Aarram" ®सच्ची_प्रीत💕 #तेरे_मेरे_इश्क़_की_गवाह तेरे मेरे इश्क़ की गवाह एक निशानी बची है, शहर में एक खंडहर ईमारत पुरानी बची है मिलना बिछुड़ना तो दस्तूर-ए-जिन्दगी है
Vandana
ऐ मेरे वतन के लोगों क्यों कमियां ढूंढते रहते हो मुगलों ने लूटा अंग्रेजो ने लूटा इतना लूटने के बाद भी आज हमारा देश फक्र से खड़ा है हमें गर्व से कहना चाहिए मेरा देश महान🇮🇳🎊🇮🇳🎊🇮🇳🎊🇮🇳🎊🇮🇳🎊🇮🇳🎊 कैसे नहीं जाग जाएगी दिल में भावनाएं तुम्हारी देशभक्ति की जब देखोगे छोटे-छोटे बच्चों को व्हाइट यूनिफॉर्म में तिरंगा लहराते हुए🇮🇳🇮🇳 मस्ती से
Varsha Sharma
बहुत वक्त हो चला, ए रात! ज़रा, मुझे अब सोने दे यहां तीरगी के आगोश़ से लिपटकर, थोड़ा मुझे रोने दे ज़रा सुन, न तो इस नीश-ए-'इश्क़ ने सताया है मुझे और न ही आज, मेरे इन सपनों ने जगाया है मुझे आज दिल बड़ा बेचैन है और तबियत थोड़ी ठीक नहीं वरना मेरा मन मेरी बात न माने, ये इतना भी ढीठ नहीं ए चाँद मिरे! मुझे सितारों के बीच बस यूं ही खोने दे बहुत वक्त हो चला, ए रात! ज़रा, मुझे अब सोने दे बडी लंबी रात ये हो चली, पता नहीं शफ़क आयेगी कब मेरे इस अफ़सुर्दा दिल में, उमंगों का ख़रोश पाएगी कब आज बस मैं ही नहीं, यहां ये रात भी बड़ी महमूम सी है माह्वे-यास निशा के बाद, कल रंगे-शफ़क महरूम सी है गैहान से दूर, उफ़ुक़ के पार, मुझे खुदमें अब खोने दे बहुत वक्त हो चला, ए रात! ज़रा, मुझे अब सोने दे For better reading... बहुत वक्त हो चला ए रात! ज़रा, मुझे अब सोने दे यहां तीरगी के आगोश़ से लिपटकर, थोड़ा मुझे रोने दे ज़रा सुन, न तो
अज्ञात
पेज-75 फिर एक बात और भी और वो ये कि दूल्हे को भी तो अपनी खुशियाँ दिखानी है मगर दूल्हा खुद से नाचने लगे तब तो ये मर्यादा के विपरीत होगा... यहाँ हमारे शर्मा जी बड़े काम आये. एक ही झटके में मानक को उठाया और झूम झूमकर नाचने लगे... अब ज्यों ही शर्मा जी को नाचते देखा... हमारे आरव भैया कूद पड़े... बाजेवाले पसीने से लथपथ हुये जा रहे हैं मगर नृत्यकर्ताओं के ऊपर से जो न्योछावर उन्हें मिल रही है मानो आज ही पूरे वैवाहिक सीजन की भरपाई हो जानी है इसलिये गीतों का क्रम टूटने नहीं दे रहे हैं.. एक से बढ़कर एक नये पुराने फ़िल्मी गीतों की बौछार लगा दी है. आगे कैप्शन में.. 🙏 ©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी पेज-75 आरव को देख पूरी युवा टीम तबीयत से डान्स फॉर्म में आ गई... अब हमारे विशाल जी कब तक सब्र करते.. उन्होंने भी आव देखा ना