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Anuradha T Gautam 6280
Bharat Bhushan pathak
साध्य है या साधक जीवन। संघर्षों की आराधक जीवन। सीख-सीखकर हमें सिखाए, बनाना जीवन सुन्दर उपवन। सुख-दुख की यह सीढ़ी चलकर, बढ़ना आगे समझाए जीवन। ©Bharat Bhushan pathak #साध्ययासाधकजीवन साध्य है या साधक जीवन। संघर्षों की आराधक जीवन। सीख-सीखकर हमें सिखाए, बनाना जीवन सुन्दर उपवन। सुख-दुख की यह सीढ़ी चलकर, बढ़न
Bharat Bhushan pathak
चित्रपदा छंद विधान:-- ८ वर्ण प्रति चरण चार चरण, दो-दो समतुकांत भगण भगण गुरु गुरु २११ २११ २ २ नीरद जो घिर आए। तृप्त धरा कर जाए।। कानन में हरियाली। हर्षित है हर डाली।। कोयल गीत सुनाती। मंगल आज प्रभाती। गूँजित हैं अब भौंरे। दादुर ताल किनारे।। मेघ खड़े सम सीढ़ी। झूम युवागण पीढ़ी।। खेल रहे जब होली। भींग गये जन टोली।। दृश्य मनोहर भाते। पुष्प सभी खिल जाते।। पूरित ताल तलैया। वायु बहे पुरवैया।। भारत भूषण पाठक'देवांश' ©Bharat Bhushan pathak #holikadahan #होली#holi#nojotohindi#poetry#साहित्य#छंद चित्रपदा छंद विध
MUKESH_VIP
कुदरत का नियम है अगली सीढ़ी पर चढ़ने के लिए पिछली सीढ़ी को छोड़ना पड़ता है, जबकि अधिकांश लोग अगली सीढ़ी पर चढ़ना तो चाहते हैं परंतु, पिछली सीढ़ी को छोड़ना ही नहीं चाहते। ©MUKESH_VIP #mahashivaratri कुदरत का नियम है अगली सीढ़ी पर चढ़ने के लिए पिछली सीढ़ी को छोड़ना पड़ता है, जबकि अधिकांश लोग अगली सीढ़ी पर चढ़ना तो चाहते ह
Bhupendra Rawat
विकास की जिस सीढ़ी पर आज हम अग्रसर है उस सीढ़ी का अंतिम पायदान विनाश पर जाकर रुकता है। ©Bhupendra Rawat #RoadTrip विकास की जिस सीढ़ी पर आज हम अग्रसर है उस सीढ़ी का अंतिम पायदान विनाश पर जाकर रुकता है।
Yogi Sonu
इस जगत में मृत्यु के सिवा कुछ भी सत्य नही।। हम लड़ते भी है तो खुद से हर जगह आप ही का दर्पण झलक रहा है आप ही हर जगह मौजूद है अपने ही प्रतिबिंब से भय ।। खुद को अलग मानने की भूल मूर्खता है क्योंकि जो हम है वही सब है ।। एक बार की बात है एक बार एक कुत्ता महल में चला गया और खुद के ही दर्पण से ही लड़ने लगा वही हमारा हाल है ।। योग परमात्मा तक ले जाने वाली एक सीढ़ी है।। ©Yogi Sonu इस जगत में मृत्यु के सिवा कुछ भी सत्य नही।। हम लड़ते भी है तो खुद से हर जगह आप ही का दर्पण झलक रहा है आप ही हर जगह मौजूद है अपने ही प्रतिबि