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Ravendra
Ravendra
Ravendra
संतृप्त
अनभिज्ञ मैं, अभिमानी मैं, तिमिर से घिरा अज्ञानी मैं। सच में, कभी-कभी लगता है कि मेरे पास दुनिया की सभी किताबें पढ़ने का समय होता, संसाधन होते। कभी-कभी लगता है कि मैं सम्पूर्ण पृथ्वी के क्षेत्रफल
Divyanshu Pathak
कामुकता परोसी जाती है, सुबह से लेकर शाम तक। टीथब्रश के पेस्ट में मिला, चाय के साथ नास्ते में भी। और फिर शुरू हो जाता है, स्नान के साथ तैयार हो, ऑफिस जाने तक! क्या नहीं लगता तुम्हें ऐसा? जो मैं कह रहा हूँ। नहीं तो ये बताओ मुझे कि- छोटी-बड़ी बहिन के पैर पूजने वाले, बुआ जी को माता और पिता से भी- ज्यादा पूज्य और सम्मान देने वाले, मौसी,मामी,चाची,और भाभी को भी, माँ कहने वाले देवत्व के संस्कारों में- आहार, निंद्रा, भय और मैथुन से, ऊपर उठने की क्षमता कैसे खो गई? सुप्रभातम साथियो..... Vibha Pathak जी की रचना से प्रेरित #पाठकपुराण का एक विचार..... आपको लगता है तो उपाय करिये ढूंढिए-- आहार, निंद्रा, भय औ
Ek villain
सीमावर्ती राज्य पंजाब के जिलों में बार-बार मोबाइल फोन व नशे की सामग्री बर्बाद होना चिंता की बात है लुधियाना के सेंट्रल जेल में कैदियों ने किस मोबाइल फोन और 20 चारजर मिलने से जेल की सुरक्षा को लेकर कई बड़ा सवाल खड़ा हुआ बीते सप्ताह में 1 दिन में फरीदकोट जेल के साथ और भाटिया ठंडा हुआ पटियाला के जिले से 55 मोबाइल फोन चार्जर कैदियों के पास से बरामद हो चुके समवर्ती जिले फिरोजपुर के जिले से 1 हफ्ते में तेरा मोबाइल फोन बरामद हो चुके प्रदेश के जिलों में कई आतंकी और भी बंद है सबसे बड़े वाले की जेलों में कैदियों को अदालत में पेश कर वापस लाई जाती है ©Ek villain #जिलों में अनियमितता से हो रहे काम #City
Anil Malviya
review " Gandhi chouk " ©Anil Malviya Review " गांधी चौक " यह कहानी छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के" गांधी चौक " जो पीसीएस परीक्षा के संघर्ष का प्रतीक है, हजारों बच्चे हर वर्ष वहां पी
Kavita jayesh Panot
सुनो तुम कोरोना की इस आँधी में, जहाँ मौसम का नही ठिकाना। कभी आँसुओ की बारिश है, कभीअपनो से बिछोह की तपिश। कभी स्वांसों की शिथिलता , और ठिठुरन। अनिश्चित है अब ज़िन्दगी का मौसम। सोचा क्या करूँ एकान्त में बैठ, कलम की सलाई, और कागज की डोरी, बस हाथ में लिए हर क्षण, ख़यालो का एक स्वेटर बुन रही हूँ। और इस स्वेटर में बदलते मौसम सी, ज़िन्दगी के हर रंग भर रही हूँ। तुम्हारें साथ बिताए वो हर पल, मोतियों से जड़े है । प्यार,और एहसास, से भरा ये स्वेटर, पहन लेना इसे जब,----–------ अकेलेपन की ठिठुरन में खुद को पाओ, ओढ़ लेना इसे जब आँसुओ में भीग जाओ, ढक लेना खुद को इससे जब, संघर्षो के तूफा में घिरा खुद को पाओ। ये महज ख़यालो का फूलदान नही, मेरे न होने पर मेरे होने का एहसास होगा। रखना दिल में बसाकर इसे , इसमें जिन्दा मेरी साँसों का आभास होगा। ये ख़यालो से बुना खूबसूरत तोहफा है, तुम्हारे लिए, जो मेरी साँसे बंद हो जाने पर भी, खुशबू बन तुम्हारी यादों में जिंदा होगा। कविता जयेश पनोत Insta id kavitapanot ©Kavita jayesh Panot #कोरोना#अनियमितता#ज़िन्दगी