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Amandeep
#GodMorningThursday चमड़ा पहनना बंद करो
VATSA
मै यहीं हूं रूह बनके, ये जिस्म मरेगा एक दिन। चमड़े की तिजारत में, नीलाम करेगा एक दिन ।। इस जिस्म की कुछ, तासीर ही निकम्मी है। अनजान बनकर फिर, वत्स को पढ़ेगा एक दिन ।। #चमड़ा #वत्स #vatsa #illiteratepoet #hindishayari #dsvatsa #yqhindi #hindishayari
vibrant.writer
बेजुबानों की जुबान ©vibrant writer जो बेजुबान बोल नहीं पाते, सालों पिंजरे में जिंदगी बिताते, कभी किसी का खाना बन जाते, कभी दिखावे का चमड़ा बन जाते, ना चाहते हुए भी बालों को खिंचवाते, ना चाहते हुए भी मनोरंजन बन जाते, यू ही बस दर्द सहते जाते, सहते जाते, फिर एक दिन उनका भी हिसाब होता, जो इनको जिंदगी से लेकर मृत्य तक सताते। बेजुबानों की जुबान ©vibrant writer जो बेजुबान बोल नहीं पाते, सालों पिंजरे में जिंदगी बिताते, कभी किसी का खाना बन जाते, कभी दिखावे का चमड़ा
NEERAJ SIINGH
गाय की व्यथा ( आज के राजनैतिक वातावरण में) मैं गाय हूँ और मैं क्या सोचती हूं या क्या फील करती हूं व्यथा जो देखती हूं बता रही हूं मैं एक मध्यम से निम्न वर्ग से आती हूं और मैं आजकल बाहर चरने जाने से डरती हूं पता नहीं कब कोई इंसान कोई हिंदू या कोई मुसलमान और भी कोई कोई जात का आ जाता है मैं बेचारी समझ नहीं पाती कि यह कौन है और कई बार तो कोई चारा खिलाकर दूध दुहने आ जाता है तो कोई कई बार चारा खिलाकर खून और चमड़ा निचोड़ ले जाता है और मास भी चाव से बेच कर खाता है मुझे चारा खिलाकर निर्मम हत्या की ओर भी ले जाता है पर अब तो मैं लोगों के हुजूम से भी मैं डरती हूं पहले राम के नाम पर मेरे नाम पर डरती हूं अब कभी कोई अगर मुझे चारा खिलाकर प्यार करे तो हुजूम उसे चारा समझकर हिंदू मुसलमान में लड़ता है और किसी भोले भाले इंसान को जात पात के नाम पर ला मारता है कभी हिंदू हो तो कभी मुसलमान मरता है और राम भी बेघर और गाय भी अब बेडर नहीं जंचता है हाय यह सफेदपोश राजनेता इन्होंने राम और गाय को भी बेचा हैं हिंदू मुसलमान दुश्मन हो गया औऱ मुसलमान हिंदू का दुश्मन हो गया गजब का राम मंदिर और गजब का गौशाला हो रहा मैं गाय अब समझदार इंसान को क्या कह डालूं... जो बीतती व्यथा थी सब कह डाली........ गाय की व्यथा ( आज के राजनैतिक वातावरण में ) गाय की व्यथा ( आज के राजनैतिक वातावरण में) मैं गाय हूँ और मैं क्या सो
Abeer Saifi
ये रास्ते पे पानी क्यूँ है, नाला फूटा मालूम पड़ता है। चप्पल बगल में दबा ली जाती है, पाँव धोए जा सकते हैं किंतु चप्पल का चमड़ा फूल जाएगा । . . Full story👇👇👇👇 वह चला आ रहा था जेठ की तपती दुपहरी में बीड़ी सुलगाते , देह पर एक बदरंग नीली कमीज़, और मटमैली धोती पर चमकदार चमड़े की नई चप्पल । मानो लू के
Abeer Saifi
ये रास्ते पे पानी क्यूँ है, नाला फूटा मालूम पड़ता है। चप्पल बगल में दबा ली जाती है, पाँव धोए जा सकते हैं किंतु चप्पल का चमड़ा फूल जाएगा । . . Full story👇👇👇👇 वह चला आ रहा था जेठ की तपती दुपहरी में बीड़ी सुलगाते , देह पर एक बदरंग नीली कमीज़, और मटमैली धोती पर चमकदार चमड़े की नई चप्पल । मानो लू के
Dr Upama Singh
“गोमुख से बंगाल की खाड़ी तक की मेरी यात्रा” अनुशीर्षक में गंगा किनारा बचपन से ही देखा रहा मेरा गुरुकुल सुबह–ए–बनारस कितने दिन और शाम हमने गुजारे बैठ सब दोस्त गंगा किनारे कभी दशाश्वमेध कभी अस्सी कभी