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Unsplash प्यार निभाना पड़ता है, दुःख हज़ार हो मगर, हर हाल में मुस्कुराना पड़ता है। दिल में दबे ज़ज़्बातों को, एहसास कराना पड़ता है। मोहब्बत सच्ची हो, मगर विश्वास बनाना पड़ता है। मोम सा है रिश्ता प्यार का, ख़ुद को पिघलाना पड़ता है। उस चाँद के दीदार में, नींदें गवानी पड़ती हैं। आसान नहीं है मोहब्बत, इंतेहा से गुजरना पड़ता है। जो खो गए हैं मैं की आड़ में, मैं' से 'हम' में बदलना पड़ता है। इश्क़ का हाल बुरा है, आँखों को सुँझाना पड़ता है। ©theABHAYSINGH_BIPIN #Book प्यार निभाना पड़ता है, दुःख हज़ार हो मगर, हर हाल में मुस्कुराना पड़ता है। दिल में दबे ज़ज़्बातों को, एहसास कराना पड़ता है।
#Book प्यार निभाना पड़ता है, दुःख हज़ार हो मगर, हर हाल में मुस्कुराना पड़ता है। दिल में दबे ज़ज़्बातों को, एहसास कराना पड़ता है।
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वक्त के साथ किरदार बदलता है, वक्त के साथ रीतिरिवाज बदलते हैं। कब तक बैठोगे रूढ़िवादी सोच पर, वक्त के साथ जज़्बात बदलते हैं। वक्त के साथ मिटती हैं दूरियाँ, वक्त के साथ अपने भी बदलते हैं। क्यों पकड़े हो कसकर पतंग की डोर, इशारे में थामो, उड़ान बदलती है। क्यों बढ़ने हैं तुम्हें सब एक दिशा से, वक्त के साथ रिश्ते भी बिखरते हैं। क्यों आवेश में पड़े चिंतित हो, वक्त पर ही सारी पहेलियाँ सुलझती हैं। हर रिश्ते में वो जज़्बात रहते हैं, हर रिश्ते में वो तड़प रहती है। क्यों हो इतना भी बेकरार तुम, वक्त पर ही नींद सुकून की आती है। जिंदगी का फ़लसफ़ा किसे पता, वक्त पर ही जिंदगी सब सिखाती है। क्यों कार्यों के बोझ तले डूबे हो, वक्त ही वक्त ख्वाहिशें जगाता है। नासूर ज़ख्मों की परवाह क्यों, वक्त पर ही दवा मिलती है। दिल अगर टूटा है तो क्या हुआ, वक्त पर ही अपने मिलते हैं। क्या हुआ जो मौसम सावन चला गया, वक्त पर ही तो सारे मौसम बदलते हैं। क्या हुआ जो रिश्ते पतझड़ बन गए, वक्त पर ही बसंत की बहार खिलती है। छोड़ दो बेफिक्री में बेफिकर उसे, वक्त पर ही दबे राज भी खुलते हैं। वक्त पर सब कुछ अच्छा मिलता है, वक्त पर ही सही, नक्षत्र मिलते हैं। ©theABHAYSINGH_BIPIN #Hope वक्त के साथ किरदार बदलता है, वक्त के साथ रीतिरिवाज बदलते हैं। कब तक बैठोगे रूढ़िवादी सोच पर, वक्त के साथ जज़्बात बदलते हैं। वक्त के
#Hope वक्त के साथ किरदार बदलता है, वक्त के साथ रीतिरिवाज बदलते हैं। कब तक बैठोगे रूढ़िवादी सोच पर, वक्त के साथ जज़्बात बदलते हैं। वक्त के
read moreनवनीत ठाकुर
Unsplash "अबके मौसम ने फिर उम्मीद से धोखा दिया, ख़्वाब टूटे तो कई शाख से बीमार गिरे।" "वो जो साए थे कभी छाँव की मानिंद यहाँ, वक़्त आया तो वही दोस्त कई बार गिरे।" "इश्क़ की राहों में सिखलाए न हमको सब्र, जब संभलना था हमें, टूट के अशआर गिरे।" "ख़ुद को देखा तो समझ आया हमें ये 'नवनीत', पत्थरों से जो बचा था, वो मेरे यार गिरे।" ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर "अबके मौसम ने फिर उम्मीद से धोखा दिया, ख़्वाब टूटे तो कई शाख से बीमार गिरे।" "वो जो साए थे कभी छाँव की मानिंद यहाँ, वक़्त आया त
#नवनीतठाकुर "अबके मौसम ने फिर उम्मीद से धोखा दिया, ख़्वाब टूटे तो कई शाख से बीमार गिरे।" "वो जो साए थे कभी छाँव की मानिंद यहाँ, वक़्त आया त
read moreHimanshu Prajapati
Unsplash एक मोहब्बतें किताब था मैं, कुछ ने जला दिया, कुछ ने फाड़ दिया, बचा कुछ अंश रद्दी के भाव बिक गया..!💔 ©Himanshu Prajapati #leafbook एक मोहब्बतें किताब था मैं, कुछ ने जला दिया, कुछ ने फाड़ दिया, बचा कुछ अंश रद्दी के भाव बिक गया..!💔 #36gyan #hpstrange
#leafbook एक मोहब्बतें किताब था मैं, कुछ ने जला दिया, कुछ ने फाड़ दिया, बचा कुछ अंश रद्दी के भाव बिक गया..!💔 #36gyan #hpstrange
read moreIG @kavi_neetesh
Unsplash हमने जब अपना हक मांगा हमने जब भी अपना हक मांगा तो हैरानी हो गई। बोल पड़े हम घर में भाई फिर खींचातानी हो गई। मुंह फेर लिया अपनों ने रिश्तेदार भी रूठ गए। बड़े जतन से बांध रखा वो प्रेम के मोती टूट गए। घर में दीवारें खिंच गई मकान बिकाऊ हो गया। समझदार थे उनका अब पुत्र कमाऊ हो गया। कैसे बांध सके वो डोरी जलन पड़ी थी पांवों में। तुच्छ स्वार्थ से शूल बिछाए सूनी सी इन राहों में। संभल संभलके चलते फिर भी धोखा मिलता है। पांव से जमी खिसकती कभी फैसला हिलता है। जिसका पलड़ा भारी होता लोग उधर हो जाते हैं। सलाह मशवरे आकर हमको रोज देकर जाते हैं। रिश्तेदारों को भी जाने क्यों ये परेशानी हो गई। हमने जब अपना हक मांगा तो हैरानी हो गई। अपनी मेहनत हक का खाना बेईमानी हो गई। न्याय की खातिर टूट पड़े तो खींचातानी हो गई। ©IG @kavi_neetesh #camping Extraterrestrial life Entrance examination Hinduism Aaj Ka Panchang Kalki हमने जब अपना हक मांगा हमने जब भी अपना हक मांगा तो हैरान
#camping Extraterrestrial life Entrance examination Hinduism Aaj Ka Panchang Kalki हमने जब अपना हक मांगा हमने जब भी अपना हक मांगा तो हैरान
read moreAmit
Unsplash ए आसुओं आंखो की दहलीज पर ना आया करो अपने हालात ज़माने को ना बताया करो यहां लोग मुट्ठी में नमक लिए फिरते है अपने जख्म लोगो को ना दिखाया करो, ©Amit #नजरिया
MiMi Flix
"मोंटू, चुटकी और हुकु का बाढ़ से बचाव" - घने बादलों की गड़गड़ाहट और मूसलाधार बारिश से जंगल में खतरा मंडराने लगा। बढ़ते जल स्तर ने जानवरों को
read moreDil galti kr baitha h
White बस सह सकता हूं इस दर्द को कहने को कुछ बचा नहीं है उसके जाने के बाद जिन्दगी में अब और कुछ रहा नहीं है। ©Dil galti kr baitha h बस सह सकता हूं इस दर्द को कहने को कुछ बचा नहीं है उसके जाने के बाद जिन्दगी में अब और कुछ रहा नहीं है।
बस सह सकता हूं इस दर्द को कहने को कुछ बचा नहीं है उसके जाने के बाद जिन्दगी में अब और कुछ रहा नहीं है।
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