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theABHAYSINGH_BIPIN
White मैं बैठे-बैठे सोच रहा था, उनकी तस्वीरें ताक रहा था। मन के कोने में हलचल थी, लबों पर नाम सजा रहा था। बीती यादों का सैलाब उमड़ा, गुज़रा वक्त भी सता रहा था। जिक्र उनका अब जरूरी नहीं, खयालों में डूबता जा रहा था। ©theABHAYSINGH_BIPIN #Sad_Status मैं बैठे-बैठे सोच रहा था, उनकी तस्वीरें ताक रहा था। मन के कोने में हलचल थी, लबों पर नाम सजा रहा था। बीती यादों का सैलाब उमड़ा,
#Sad_Status मैं बैठे-बैठे सोच रहा था, उनकी तस्वीरें ताक रहा था। मन के कोने में हलचल थी, लबों पर नाम सजा रहा था। बीती यादों का सैलाब उमड़ा,
read moreDeepika
Unsplash Deepika jadhav Work from home (only for female) जो भी महिलाएं घर बैठे अनलिमिटेड पैसे कमाना चाहते हैं। या अपने सपने पूरे करना चाहते हैं। या फिर अपनी खुद की पहचान बनाना चाहते है। वह comment में yes type कर दीजिए। Only female .... Housewife Students Job person women..... ©Deepika Work from home (only for female) जो भी महिलाएं घर बैठे अनलिमिटेड पैसे कमाना चाहते हैं। या अपने सपने पूरे करना चाहते हैं। या फिर अपनी खुद की
Work from home (only for female) जो भी महिलाएं घर बैठे अनलिमिटेड पैसे कमाना चाहते हैं। या अपने सपने पूरे करना चाहते हैं। या फिर अपनी खुद की
read moreKrishnaYadavNews
फरीदाबाद के बीके अस्पताल के बाहर कई दिनों धरना पर बैठे हैं बाबा चाहते हैं की छोटी-मोटी बीमारियों के लिए ना किया जाए दिल्ली रेफर
read moreSarvesh kumar kashyap
M.K Meet
मिटा सको तो मिटा दो मेरी हस्ती निकाल फेंको मुझे अपने घर से बाहर मगर कैसे जी सकोगे अपने दिल के बिना यार उसी घर में तो ,मै अपना घर बनाया हूं!!! . ©M.K Meet #घर
Dr.Priyanka Chandra
बे दिल ही सही उनकी चाहत हम कबूल कर बैठे इस कदर ही सही मोहब्बत से खुद को अब दूर कर बैठे ©Dr.Priyanka Chandra #Parchhai love बे दिल ही सही उनकी चाहत हम कबूल कर बैठे इस कदर ही सही मोहब्बत से खुद को अब दूर कर बैठे ..।।
#Parchhai love बे दिल ही सही उनकी चाहत हम कबूल कर बैठे इस कदर ही सही मोहब्बत से खुद को अब दूर कर बैठे ..।।
read moreAnuradha T Gautam 6280
#खिड़की खिड़की पर बैठे-बैठे शाम भी उतरने लगती और रातें भी बीत जाती पर सब्र की आंख अपने इंतजार में लगी रहती..🖊️
read moredr.rohit sarswati
White ( घर लौट चलूँ ) मन करता है छोड़ शहर की चका चौंद को घर अपने में लौट चलूँ ! मन करता है तोड़ नौकरी की जंजीरें इस शहर को तनहा छोड़ चलूँ । छोड़ चलूँ इस चँचल मन को इस शहर की भीड़ में रोता बिल्कता ! पीछे मुड़के ना देखूँ में चला जाउँ बस आगे बढ़ता । झुटी दिखावटी इस दुनिया से अब में नाता तोड़ चलूँ ! घर अपने मे लौट चलूँ घर अपने में लौट चलूँ । ©dr.rohit sarswati #घर लौट चलूँ
#घर लौट चलूँ
read moreAnuj Ray
प्यार पर बढ़ चढ़ रहा था, नादानियां ने ज़िन्दगी से हाथ धो बैठे। ज़रा सी गलतफहमी हुई थी, उम्र भर के लिए मोहब्बत से हाथ धो बैठे। ©Anuj Ray # मोहब्बत से हाथ धो बैठे"
# मोहब्बत से हाथ धो बैठे"
read moreTara Chandra
मात्र ईंट पत्थर आदि पदार्थ ही घर की बुनियाद नहीं होते, ... ... माता–पिता, दादा–दादी आदि के अनगिनत सपने, मेहनत तथा प्यार भी बुनियाद का हिस्सा होते हैं।। ©Tara Chandra #Home #घर