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vish
मैं ठहरे हुए कुएँ का वो पानी नहीं, जो थम जाऊँ.... मैं बहती नदी की वो धारा हूँ, जो साहिल से टकराकर भी, अपने सागर से मिल जाऊँ.... जिंद़गी ©vish # नदी की वो धारा
# नदी की वो धारा
read moreSANIR SINGNORI
पराया क्या जाने पीर 'काटली' की कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की पैसे के लालच में आज, साहूकारों ने बेच दी मिट्टी 'काटली' की निकली थी वो तुम्हारी प्यास बुझाने, बुझा दी मानस ने राह 'काटली' की सहस्र जीवों का जीवन थी जो, इंसानों ने छीन ली सांसे 'काटली' की अपनों ने काट दी जड़े 'सानिर' कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की सिर साँटें 'सानिर', तो भी सस्तो जाण, जै बच जाए जान 'काटली' की पराया क्या जाने पीर 'काटली' की कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की . ©SANIR SINGNORI #DesertWalk नदी बचाओ
#DesertWalk नदी बचाओ
read moreनवनीत ठाकुर
White जो जिया दूसरों के लिए हर घड़ी, वही हस्ती बनती है मीठी नदी। मौत ले जाती है जिस्म का नाम, पर जिंदा रहते हैं नेक काम। वो दुआओं में, वो यादों में बसते हैं, हर दिल में अपने निशान छोड़ चलते हैं। खुद को भुलाकर जो बांटते जहान हैं, बनती वही हस्ती की पहचान है। ©नवनीत ठाकुर #जो जिया दूसरों के लिए हर घड़ी, वही हस्ती बनती है मीठी नदी। मौत ले जाती है जिस्म का नाम, पर जिंदा रहते हैं नेक काम। वो दुआओं में, वो यादों
#जो जिया दूसरों के लिए हर घड़ी, वही हस्ती बनती है मीठी नदी। मौत ले जाती है जिस्म का नाम, पर जिंदा रहते हैं नेक काम। वो दुआओं में, वो यादों
read moreParasram Arora
White वो नदी समुन्दर के निकट पहुंचने के तुरंत बाद लौटने लगी अपने स्त्रोत की तरफ क्यों की उसे डर था कि उसका मीठा जल समुन्द्र के खारे पानी से मिल कर कहीं प्रदूषित न हो जाए ©Parasram Arora नदी और उसका मीता पानी
नदी और उसका मीता पानी
read moreMukesh Poonia
White नीचे गिरना सदैव पतन नहीं होता नदी पर्वतो से गिरकर सागर बन जाती है . ©Mukesh Poonia #sad_quotes नीचे #गिरना #सदैव #पतन नहीं होता #नदी #पर्वतो से गिरकर #सागर बन जाती है अच्छे विचारों आज का विचार सुप्रभात हिंदी छोटे सुविचार न
Snehi Uks
यूं तो बहुत सी नदी,तालाब, सागर और महासागर भी है पर महबूब की आंखों में डूबना मतलब पार हो जाना है....
read mores गोल्डी
नदी के शांत तट पर., मन तेरी यादें विसर्जन कर रहा है....!! ~×~ बहुत दिन हो गए हैं तुमसे बिछड़े., अब मिलने को मन कर रहा है.....!! ©s गोल्डी नदी के शांत तट पर., मन तेरी यादें विसर्जन कर रहा हैं....!!# ~×~ बोहत दिन हो गए हैं तुमसे बिछड़े., अब मिलने को मन
नदी के शांत तट पर., मन तेरी यादें विसर्जन कर रहा हैं....!!# ~×~ बोहत दिन हो गए हैं तुमसे बिछड़े., अब मिलने को मन
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