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Ankur tiwari

#Love छुप छुप कर रोज तुम्हें देखते हैं अक्सर हर रोज़ तेरा ही अक्स आंखों में बसाते है मन ही मन खुश हो जाते है तूझे सोचकर करके तेरी बाते ह

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छुप छुप कर रोज तुम्हें देखते हैं अक्सर 
हर रोज़ तेरा ही अक्स आंखों में बसाते है 
मन ही मन खुश हो जाते है तूझे सोचकर 
करके तेरी बाते हम अपना दिन बिताते हैं 
तेरा काजल तेरी बिंदिया तेरी लाली का ख्याल है 
हर रोज़ अपने सपनो में हम तुझे सजाते है 
आईने को भी रहती हैं शिकायत तुझसे अक्सर 
देख कर हसीं ये सूरत चांद तारे भी जल जाते है 
तेरी मदमस्त सी आंखों में डूब जाने का दिल हैं 
कल्पनाओं में अक्सर इनमे गोते लगाते हैं 
घनघोर काली घटाओं सी तेरी जुल्फों के छाव में 
हर रोज़ हम अपने सुबह ओ शाम बिताते है 
जब भी कहने को होता कि इश्क़ हैं मुझे तुमसे 
कहते कहते वही कहीं मेरे लब रुक जाते है 
और पूरा नहीं हो पाता है यह स्वप्न मेरा किसी दिन 
अलार्म बजने लगता है और हम नींद से उठ जाते है 
@अंकुर तिवारी

©Ankur tiwari #Love 
छुप छुप कर रोज तुम्हें देखते हैं अक्सर 
हर रोज़ तेरा ही अक्स आंखों में बसाते है 
मन ही मन खुश हो जाते है तूझे सोचकर 
करके तेरी बाते ह

बेजुबान शायर shivkumar

#fathers_day #FathersDay #FatherLove #fatherday #nojotohindi // #पिता // पिता की उंगली नहीं मिली फिर भी मैं चलना सीख लिया, मा #मां #कविता #संस्कार

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Sangeeta Kalbhor

अगदी निखालस.. असंही नाही आणि तसंही नाही... पण खरं सांगू का? एक अतृप्त स्त्री सदैव माझ्यात असते रे.. म्हणजे असं बघ.. तन माझे नाहीचं इतरत्र क #कविता

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गोपी छन्द :-  बसा लें चलकर हम बस्ती । धरा इतनी न हुई सस्ती ।। प्रेम की जग में हो पूजा । #कविता

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गोपी छन्द :- 

बसा लें चलकर हम बस्ती ।
धरा इतनी न हुई सस्ती ।।
प्रेम की जग में हो पूजा ।
नही पथ कोई हो दूजा ।।

तपन सूरज की है भारी ।
झेलती दुनिया है सारी ।।
हुए बेहाल जीव सारे ।
बरसते तन पे अंगारे ।।

बने सज्जन हो तुम फिरते ।
बात भी मीठी हो करते ।।
अधर पे सिर्फ टिकी लाली ।
हृदय में बस तेरे गाली ।।

शोक उनका हो क्यों करते ।
पथिक बनकर जो हैं रहते ।।
प्रखर यही राम की माया ।
नेह छोड़ो ये तन छाया ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गोपी छन्द :- 


बसा लें चलकर हम बस्ती ।

धरा इतनी न हुई सस्ती ।।

प्रेम की जग में हो पूजा ।

Bindu Sharma

SAURABH SAJAN

होठों की लाली #शायरी

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