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Alamsingh Choungad
green-leaves नए साल का दूसरा दिन ✨👆🏻🥀💗🦋🌺 हरि भरी हरियाली दिख रही हैं ठंडी ठंडी हवा चल रही है यही नए साल का नायरा है ©Alamsingh Choungad #GreenLeaves नए साल का दूसरा दिन ✨👆🏻🥀💗🦋🌺 हरि भरी हरियाली दिख रही हैं ठंडी ठंडी हवा चल रही है यही नए साल का नायरा है नये अच्छे विचार शुभ
#GreenLeaves नए साल का दूसरा दिन ✨👆🏻🥀💗🦋🌺 हरि भरी हरियाली दिख रही हैं ठंडी ठंडी हवा चल रही है यही नए साल का नायरा है नये अच्छे विचार शुभ
read moreनवनीत ठाकुर
हर घर की चौखट पे अरमान खड़े हैं, पर अंदर बस कुछ वीरान पड़े हैं। जहां रिश्तों की मिट्टी सूखी पड़ी है, वहां दीवारें बस खामोश खड़ी हैं। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर हर घर की चौखट पे अरमान खड़े हैं, पर अंदर बस कुछ वीरान पड़े हैं। जहां रिश्तों की मिट्टी सूखी पड़ी है, वहां दीवारें बस खामोश खड़ी
#नवनीतठाकुर हर घर की चौखट पे अरमान खड़े हैं, पर अंदर बस कुछ वीरान पड़े हैं। जहां रिश्तों की मिट्टी सूखी पड़ी है, वहां दीवारें बस खामोश खड़ी
read moreनवनीत ठाकुर
जो रास्ते थे कभी तेरा साथ देने वाले, अब उन्हीं पर अकेले ही चल पड़े हैं हम। वो जो हाथ थामते थे हर कदम में, अब खाली हैं, फिर भी दिल से चल पड़े हैं हम। तेरे बिना भी अब खुद को पा लिया है हमने, अब रास्ते अपनी मंज़िल की ओर ले चले हैं हम। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर जो रास्ते थे कभी तेरा साथ देने वाले, अब उन्हीं पर अकेले ही चल पड़े हैं हम। वो जो हाथ थामते थे हर कदम में, अब खाली हैं, फिर भी
#नवनीतठाकुर जो रास्ते थे कभी तेरा साथ देने वाले, अब उन्हीं पर अकेले ही चल पड़े हैं हम। वो जो हाथ थामते थे हर कदम में, अब खाली हैं, फिर भी
read moreBhupesh Pachori
White जख्मो से मेरे नमक रिसता जा रहा है ये मैंने ही भरे थे कभी किसी जिस्म में अब याद आ रहा है गिन गिन के हम भी थे कमीने किस किस्म के ©Bhupesh Pachori हां अब वापस लौट जाते हैं क्यों पड़े हैं बेवजह रिश्त में
हां अब वापस लौट जाते हैं क्यों पड़े हैं बेवजह रिश्त में
read moreNurul Shabd
भाते नहीं हैं दुनिया को दो चाँद एक साथ, तो साथ था तो कितने ही माथों पर बल पड़े। ©Nurul Shabd #भाते #नहीं #हैं #दुनिया #को #दो चाँद एक साथ, तो साथ था तो कितने ही माथों पर बल पड़े। दोस्त शायरी
Rameshkumar Mehra Mehra
White गुजार लेते है..... पूरा दिन दिखाबे की हंसी में...! शाम ढलते ही रो पडते है.....!! खुद की बदनसीबी पे..... ©Rameshkumar Mehra Mehra # गुजार लेते है,पूरा दिन दिखाबे की हंसी में,खुद शाम ढलते ही रो पड़े है,खुद की बदनसीब पे...
# गुजार लेते है,पूरा दिन दिखाबे की हंसी में,खुद शाम ढलते ही रो पड़े है,खुद की बदनसीब पे...
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