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New कविता कृष्णमूर्ति का बिरहा Quotes, Status, Photo, Video

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Mihir Choudhary

बिरहा

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तुमने तो हँस के पूछा था  बोलो न कितना प्रेम है 

बोलो कैसे मैं बतलाता
बोलो ना कैसे समझता 

जब अहसास समंदर होता है 
तो शब्द नही फिर मिलते हैं 

उन बेहिसाब से चाहत को कैसे कैसे मैं  बतलाता 
बोलो न कैसे  दिखलाता बोलो न कैसे  समझता 

 तब भी हिसाब का कच्चा था
अब भी हिसाब का कच्चा हूँ

 जो था वो ना मेरे बस का था
अब तो जो हालात हुए उनसे तो मैं अब बेबस हूं

अब अंदर -अंदर सब जलता है
लावा जैसा सा कुछ पलता है

धीमे धीमे  कुछ रिसता है
कुछ टूट-टूट के पीसता है

नस-नस मैं जैसे कुछ खौलता है
धड़कन बिजली सा दौड़ता  है

अब बेहिसाब ये यादे है 
बस बेहिसाब ये चाहत है 

बोलो क्या वो प्रेम ही था 
बोलो न क्या ये प्रेम ही है

मिहिर... बिरहा

-vinita vinay panchal

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Anuj Ray

#बिरहा की रातें

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" बिरहा की रातें"

न धुंआ न कहीं ,आग जला करती है,
बिरहा की रातें यूं ही ,खामोश जला करती हैं

जलता है बदन आग की लपटों में,दो बूंद 
की उम्मीद लिये, बेबसी हाथ मला करती है।

फागुन का महीना हो, या घनी सावनी रातें, 
पिया मिलन की आस में, यूं ही ख़ला करती हैं।

©Anuj Ray #बिरहा की रातें

Ajnabee raja

कविता का भविष्य

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|| कविता का भविष्य ||

अतीत...
एक कवि
कविता लिखता-लिखता
मर गया,
एक पीढ़ी
कविता सुनते-सुनते
मर गई।

वर्तमान...
एक कवि
कविता लिखने की
कोशिश कर रहा है,
एक पीढ़ी
कविता सुनने का
प्रयास कर रही है।

भविष्य...
एक मरा हुआ कवि,
एक मरी हुई पीढ़ी,
एक अजन्मी कविता।

~सत्यमा्चार्य #NojotoQuote कविता का भविष्य

Parasram Arora

# कविता का उदगम.......

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वो नहीं होती कविता 
जिसे  सर्दी  की  
ठिठुरन  मे  चाय क़े  गर्म घूँट क़े  साथ  हलक 
मे  उतार लिया जाय
कविता तो  कवि क़े  संवेदित  ह्रदय की 
वो   उम्दा  फ़सल है. जिसे कवि अपने  ही 
खेत  मे अपने लिए  उगाता है
लेकिन  जिसे  वो   औरों  मे  बाँट  कर 
ज्यादा  प्रसन्नता  का  अनुभव करता है

©Parasram Arora # कविता  का उदगम.......

Dinesh Sharma Jind Haryana

कविता का चक्कर #शायरी

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shashwat ayush

कविता का सफ़र

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रैदास से लेकर सूरदास तक...
चंद्रवरदाई से तुलसीदास तक...
भूषण से लेकर कबीर तक...
ग़ालिब से लेकर मीर तक...
मीरा से लेकर रहीम तक...
रहमान से लेकर बाबा फरीद तक...
रसखान से लेकर बहादुर शाह जफर तक...
भारतेंदु से लेकर दिनकर तक...
धरती से लेकर आसमान तक...
हजारी प्रसाद से लेकर सुभद्रा कुमारी चौहान तक...
जयशंकर प्रसाद से लेकर बच्चन की मधुशाला तक...
महादेवी वर्मा से लेकर सूर्यकांत त्रिपाठी निराला तक...
श्याम नारायण पांडेय से लेकर अज्ञेय के उक्त तक....
माखन लाल चतुर्वेदी से लेकर मैथिलीशरण गुप्त तक
-शाश्वत_आयुष

©unknown historical truth कविता का सफ़र

Dinesh Sharma Jind Haryana

कविता का दीवाना# #शायरी

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meena mallavarapu

भोर का पंछी # कविता

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भोर का पंछी 



भोर का पंछी न जाने क्यों
आज उदास कर गया
वह चहक जो मन को भाती थी 
आज क्यों आंखें कर गई नम
परिन्दों के झुंड
उड़ रहे हैं पंख फैलाए
आता है ख़याल मन में
इस झूंड में से गर
छूट जाए पंछी एक
मुड़ कर शायद ही
देखेंगे बाकी
है ज़िन्दगी की रीत यही
है उसूल यही
परिपक्व मन उदास क्यों हो इस सच्चाई से! भोर का पंछी
# कविता

sakshi vidhi saheewala

कविता कलम का सिपाही

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