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दिनेश
उसे अपने वक़्त पर कुछ इस कदर गुरूर हो गया , कि एक पल में एक उम्र का ख्वाब चकनाचूर ही गया । जो सोचता था कि वो पूरा घर चलाता है , आज एक कदम न चल पाया इतना मजबूर हो गया । कुछ आये अपनापन जताने उनके आने से आधा दर्द दूर हो गया , पर दुख में साथ देती है सिर्फ पत्नी ये अहसास जरूर हो गया। ©दिनेश #Raat कोई कारवां कहाँ ? कोई काफिला कहाँ ?
Shashi Bhushan Mishra
दिल के जैसा जमीं कहाँ है, पर आँखों में नमी कहाँ है, क्यों नाहक हो परेशान तुम, सोचो तुझमे कमी कहाँ है, हुई जेल से फक़त रिहाई, बात ख़ुशी की गमी कहाँ है, मौसम है बदला-बदला सा, वक्त की आँधी थमी कहाँ है, ढूँढ रहे हो हरियाली को, चाचर धरती शमी कहाँ है, गम के बादल घिरकर आए, अब बारिश मौसमी कहाँ है, बिन सौगात मिलन बेमानी, तुम ही तुम हो हमीं कहाँ है, आशाओं के दीप से 'गुंजन', जगमग घर है तमी कहाँ है, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #दिल के जैसा जमीं कहाँ है#
i_m_charlie...
बेशक उन चीजों के पीछे भागो जो जीने के लिए जरूरी है, पर वो भी करो जो तुम्हारे लिए जरूरी है, भले ही कमाई का हिस्सा कम होगा तो वो चलेगा, पर खुशियों का बटवारा सोच समझकर करना, भले ही लोग बिछड़ जाए आपके लिए फैसलों की वजह से पर उन फैसलों को सही करके तुम उनको उनकी औकात दिखा देना। ©i_m_charlie... #lakeview बाते कड़वी है पर सच है।
सत्यमेव जयते
लौट आती है हर बार दुआ मेरी खाली जाने कितनी ऊँचाई पर खुदा रहता है ©कुमार विनोद ऊँचाई पर खुदा रहता है
MUKESH_VIP
क्या दौर आया है, एक ओर कुछ अमीर की सोच है कि कितना सोना खरीदना है, वहीं कुछ गरीब सोच रहे है कि कहाँ पर सोना है। ©MUKESH_VIP #raindrops क्या दौर आया है, एक ओर कुछ अमीर की सोच है कि कितना सोना खरीदना है, वहीं कुछ गरीब सोच रहे है कि कहाँ पर सोना है।
Deep_Sufi_Music
Ashraf Fani【असर】
जाबांज़ परिंदा उड़ने को जब पर फैलता है परवाह कहाँ ऊँचाई की वो उड़ता जाता है ©Ashraf Fani【असर】 जाबांज़ परिंदा उड़ने को जब पर फैलाता है परवाह कहाँ ऊँचाई की वो उड़ता जाता है #ashraffani #thepredator
Bulbul varshney
सफलता के द्वार खुल जाएंगे तू बस खुद पर भरोसा बनाए रख। ©Bulbul varshney #umeedein खुद पर भरोसा है।
Mahendrasinh(Mahi)
कहाँ- कहाँ समेटूँ तुझे ऐ ज़िंदगी, जिधर भी देखु तू बस बिखरी पड़ी है। ©Mahendrasinh(Mahi) कहाँ- कहाँ समेटूँ तुझे ऐ ज़िंदगी, जिधर भी देखु तू बस बिखरी पड़ी है।
Sneh Lata Pandey 'sneh'
जैसे पता नहीं इस सड़क के अंतिम छोर का। वैसे हमें पता नहीं इन ख्वाहिशों के हिलोर का। कब ये झकझोरनें लगें हमारे दिल और दिमाग को। बढ़ावा देने लगें रिश्तों में दूरियों और अलगाव को। ©Sneh Lata Pandey 'sneh' #LongRoad कहाँ तक जाती है ये सड़क