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Sumit Rawal
Alone मोहब्बत से अच्छी होती है वैश्या लहजा हमेशा एक हीं रखती है l #वैश्या
मलंग
कभी कभी मेरी भी गली में आ जाया करो गालिब प्यार पूरा मिलेगा। किसी के बहु बेटी की इज्ज़त भी सायद बच जायेगा। जिस चाहत के लिए मोहब्बत को बदनाम किया करते हो बड़ी शिद्दत से पूरा करेंगे उन चाहतो को भी बेवफाई का डर भी न सताएगा क्योंकि हम अपने धंधे में गद्दारी नहीं किया करते.. साहब.. ©मलंग ##वैश्या
Shaikh Imran
मुर्शिद कपड़े तो दोनों ने ही उतारे थे फिर औरत को ही वेश्या क्यो कहा ©Shaikh Imran #वैश्या
मलंग
एक रेड लाईट एरिया मे क्या खूब बात लिखी पाई गई : "यहाँ सिर्फ जिस्म बिकता है, ईमान खरीदना हो" तो अगले चौक पर *पुलिस स्टेशन" हैं . आप चाहते हैं, कि आपकी तानाशाही चले औरकोई आपका विरोध न करे तो आप भारत में *न्यायाधीश* बन जाइये ! . आप चाहते हैं, कि आप एक से बढ़कर एक झूठ बोलें अदालत में, लेकिन कोई आपको सजा न दे, तो आप *वकील* बन जाइये ! . कोई महिला चाहती हो कि वो खूब देह व्यापार करे लेकिन कोई उनको वेश्या न बोले, तो बॉलीवुड में *हिरोइन* बन जाये ! . आप चाहते हैं, कि आप खूब लूट मार करें, लेकिन कोई आपको डाकू न बोले, तो आप भारत में *राजनेता* बन जाइये ! . आप चाहते हैं, कि आप दुनिया के हर सुख मांस,मदिरा,स्त्री इत्यादि का आनंद लें, लेकिन कोई आपको भोगी न कहे, तो किसी भी धर्म के *धर्मगुरु* बन जाओ ! . आप चाहते हैं, कि आप किसी को भी बदनाम कर दें, लेकिन आप पर कोई मुकदमा न हो, तो मीडिया में *रिपोर्टर* बन जाइये ! . यकीन मानिये कोई आप का बाल भी बाँका नहीं कर पाएगा. भारत में, हर *"गंदे"* काम के लिए एक *वैधानिक पद* उपलब्ध है, इसीलिए *मेरा भारत महान* है..!! 🌹🌹🌹🌹🌹 साभार.... (Repost) #हर_बेटी_मेरी जय हिंद 🇮🇳 ©मलंग #वैश्या
Chandani pathak
जिस्म में जान है मेरी, रूह तो कब की मर चूकी है, साँसे हैरान है मेरी, ना जाने कैसे ये चल रही है, ना कोई अपना है यहाँ, ना किसी से है मेरा रिश्ता, हर शाम ढ़लते ही, मेरे जिस्म का वो टुकड़ा है बिकता, सामाज का दोष बताऊ, या दोष दू मैं खुद का, पेट पालने को मै बेचती हूँ खुदी वो हिस्सा, शौख़ नहीं मुझे बिकने का, हालात ने कर दिया है मुझे ऐसा, इस समाज़ ने नाम दिया है मुझे वैश्य़ा। दर्द समझ सके जो मेरा, नहीं है समाज़ में कोई ऐसा, रातों के अंधेंरे में आने वाला मेरे पास, दिन में सरीफ़ बन मेरी ही बुराई करता, क्या पता समाज़ को, हर रात मेरे अन्दर हैं कोई मरता, जिस्म के मेरे टुकड़े को खरीदकर, वो खुद को पाक़ साफ है कहता, गर् वो ख़रीदता ही ना मुझे, तो भला कैसे बनती मैं वैश्य़ा, बचपन में अगवाकर लायी जाती हूँ मैं यहाँ, रातों का खिलौना बनाकर मुझे, इस समाज़ ने नाम दिया है मुझे वैश्य़ा। insta id |@chand_ki_kalam ©Chandani pathak #वैश्या #सोच
Prashang Jha
वो अपना जिस्म बेचती रही शहरों की उन गलियों में जहां अकसर आम लोग कतराते हैं जाने से.. कि वो वैश्या ही तो हैं जिसने बचा रखी है हजारों लड़कियों की जान उन हैवानों से... ©Prashang Jha एक वैश्या...