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संवेदिता "सायबा"
Bhavana kmishra
हर बार गिर के यूं संभलते रहे, ए जिन्दगी तूने जैसे चाहा, वैसे हम चलते रहे.. सोचा था जीएंगे जीवन, अपनी शर्तों पर, मगर तूने जैसे चाहा, वैसे हम ढलते रहे.. कभी खट्टा, कभी मीठा तेरा अनुभाव रहा , हर दौर ज़िंदगी का यूं जीते रहे.... कहां से आए और कहां को जाना है, राहे ज़िंदगी में बस चलते रहे...। ©Bhavana kmishra #akelapan #Nojoto #Hindi #hindi_poetry #poem #bhavanakmishra हर बार गिर के यूं संभलते रहे,
Pushpvritiya
लगने दो उम्रदराज़ मुझे, मेरी उम्र मुझे बतलाती हैं, कितना लंबा तुम्हारे साथ चली...... कितने बसंत को देखा हैं तुम संग कितनी बरसात चली....... कितने स्वप्न गढ़े संग में, कितने जतन से पूर्ण किया, कितने उजाले हर्ष के, कितने दुखो की रात ढली....... लगने दो उम्रदराज़ मुझे,मेरी उम्र मुझे बतलाती है, कितना लंबा तुम्हारे साथ चली............... @पुष्पवृतियां . . . ©Pushpvritiya हैप्पी वाली एनिवर्सरी महाशय लगने दो उम्रदराज़ मुझे, मेरी उम्र मुझे बतलाती हैं, कितना लंबा तुम्हारे साथ
Vedantika
दिल की धड़कनों में फिर से हलचल हुई है दहलीज पर उनके कदमों की आहट हुई है होने लगे होश गुम जबसे वो सामने है आए वक़्त ठहरा हुआ और ये नज़रे झुकी हुई है लगने लगी है हाथों में मेहंदी उनके नाम की हर घड़ी हो गई मुश्किल अब तो इंतज़ार की सब सखियाँ करे ठिठोली प्रियतम को चिढ़ावे सौ कहानियाँ सुनावै सब उनको मेरे प्यार की मिलन की घड़ियां मुद्दत बाद आई है जीवन में जबसे बजी विवाह की शहनाई इस आँगन में नमस्ते रचनाकारों 🙏🏼 जैसा कि आप सभी जानते है आदरणीया सुनीता जौहरी जी द्वारा kitab-e-zindagi मंच पर हर शुक्रवार, kitab-e-ras क्लास आयोजित किय
Insprational Qoute
नित नित नयनो में स्वप्न जगाती कब हो मिलन का सवेरा, विरले ही मुझे बस रंग देता उफ़्फ़ ये रंगों सा इश्क़ तेरा, मेरे आहत व क्रंदन हृदयाघात को स्पर्श तेरा मनुहार करे, सिर्फ़ तेरे श्वाशो के स्पंदन से छट जाता फिर काला अँधेरा, मिलन की सरिता सर सर निर्झरिणी सी अनवरत बहती है, जैसे क्षितिज में अंतराल का मानो कोई लगा हो एक फेरा, चिंतित मन भार से पीड़ित अनायास ही सोच में पड़ जाता है, मेरे तिमिर को कर प्रकाशमान मिटा दो जीवन का तुम घनेरा, विस्तृत असीमित नभ में अनगिनत चहुँओर फैले जो तारे है, ऐसे ही अमिट अनन्त हो सातों जन्म का ये बंधन तेरा मेरा।। नमस्ते रचनाकारों 🙏🏼 जैसा कि आप सभी जानते है आदरणीया सुनीता जौहरी जी द्वारा kitab-e-zindagi मंच पर हर शुक्रवार, kitab-e-ras क्लास आयोजित किय
Insprational Qoute
सोचती हूँ न लिखना आता तो फिर क्या होता? अकेलेपन में कटता जीवन एकांत सरीखा होता, लिखकर बयाँ कर लेती अपने अंतर्मन के भाव को, कलम से बेहतर कोई नहीं जानता मेरे अनुभाव को, कलम से ही सीखा है सिर झुका कर स्व को कहना, बनी हूँ मृदुभाषी सोच यही कि बस लिखती रहना, लेखन के महत्त्व को रचनाकार ही समझ सकता है, लिख कर जनजागृत करने वाला वहीं एक प्रवक्ता है, सुसुप्त राष्ट्र को भी शांत हुँकार से,नींद से जगा देता है, क्रांति आ जाती समूल जब लेखक"शब्द"लिख देता है, लिखना एक तपस्या के समान ही एक कठिन तप है, बिन कहे जब चले कलम तो समझना यही तेरा जप है, सूक्ष्म अति सूक्ष्म विषय पर भी बख़ूबी लिख देता है, लेखक है साहब हर क़िस्से को जहन से समझता है। @निशा कमवाल ****लेखन का महत्व**** सोचती हूँ न लिखना आता तो फिर क्या होता? अकेलेपन में कटता जीवन एकांत सरीखा होता, लिख कर बयाँ लेती हूँ अपने
saurabh
....... हार गए......... हम हार गए............. बन करके जो छल आया उसके हाथों में विजय लगी बन करके जो प्रणय मिला वो तो दर्पण सा टूट गया.
Aprasil mishra
संघर्ष बनाम सफलता उम्मीदों को सम्हालते हुए अब तक एक अरसा व्यतीत हो चुका है, मन अब हर दिन उबासियां ले रहा है। चेतन्यबोध क्षण प्रति क्षण विवेक शून्
DR. SANJU TRIPATHI
तेरे ही प्यार के रंगों की ओढ़ के चुनरिया पिया मैं तो तेरे ही रंगों में रंग गई, कल तक थी तुझसे बिल्कुल अनजान, प्यार का बंधन करके तेरी हो गई। तेरे नाम की लगाई है माथे पर बिंदिया तेरे ही नाम की हाथों में मेहंदी रचाई है, लाल जोड़ा पहन के सजी हूँ आज मैं झिलमिल सितारों वाली चुनरी मंगाई है तेरी दुल्हन बनी हूँ माँग में भरकर तेरे नाम का सिंदूर सोलह श्रृँगार पूरे किये हैं बड़ी मन्नतों व दुआओं के बाद जिंदगी में यह वस्ल की चाहत की रात आई है। तेरा साथ पाकर तो जिंदगी का हर मुश्किल सफर भी हँसते हँसते कट जाएगा, तेरे प्यार की खुशियों की छाँव तले जिंदगी के सारे गम धीरे धीरे खिसक जाएंगे। नमस्ते रचनाकारों 🙏🏼 जैसा कि आप सभी जानते है आदरणीया सुनीता जौहरी जी द्वारा kitab-e-zindagi मंच पर हर शुक्रवार, kitab-e-ras क्लास आयोजित किय
Divya Joshi
इस अंतर में बैठा लेखक कुछ भाव लिखता है, तीखी धूप को हरदम ठंडी छाँव लिखता है। शूल भरे पथ पर चलकर हर जख्म सहता है, शब्दों में वो मलमल का अनुभाव लिखता है। क्रमश... आगे caption में पढ़ें ©Divya Joshi झूठा लेखक इस अंतर में बैठा लेखक कुछ भाव लिखता है, तीखी धूप को हरदम ठंडी छाँव लिखता है। शूल भरे पथ पर चलकर हर जख्म सह, शब्दों में वो मलमल