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Himachal MC
Mohan Sardarshahari
White तेरे रुखसार का जादू, दिल पर छाने लगा है जज़्बात ना चाह कर भी अब बयां होने लगे हैं लोग अब बार- बार साठ याद दिलाने लगे हैं उन्हें क्या मालूम हम ड्यूटी से रूखसत हुए हैं तेरा रूखसार पढ़ने को तो अब आजाद हुए हैं।। ©Mohan Sardarshahari #rukhsar
Jashvant
शराफ़त छीन लेती है सदाक़त छीन लेती है क़लमकारों से ख़ुद्दारी ज़रूरत छीन लेती है रिया-कारी से बचिए ये बहुत ज़हरीली नागिन है ये नागिन ज़िंदगी भर की 'इबादत छीन लेती है ज़माने में ज़रूरी है बहुत ता'लीम का होना जहालत आदमी से आदमियत छीन लेती है भरी हो जेब तो इंसाँ नशे में चूर रहता है ज़रा सी तंग-दस्ती सब नज़ाकत छीन लेती है अगर जन्नत की चाहत है तो ख़िदमत शर्त है माँ की अगर माँ रूठ जाती है तो जन्नत छीन लेती है जहाँ तक हो सके 'आलम किसी से क़र्ज़ मत लेना मियाँ ये क़र्ज़-दारी ख़ैर-ओ-बरकत छीन लेती है ©Jashvant शराफत क्षीण लेती है Arbeen Sahani Writer Anil Jahrila 7654727348 Raj Guru Rukhsana Khatoon Madhu Kashyap
SZUBAIR KHAN KHAN
गीत.......✍️ 122 122 122 12 तेरी याद बाबुल सुहाके गई हुई आंख नम तो बता के गई हुई जब तु रुखसत रुलाके गई बहाना तु कैसा बनाके गई तेरी याद बाबुल सुहाके गई ज़माना हुआ है तुझे देखलूं कहां हो कहां हो तुझे ढ़ूढ़लूं दुआ साथ जानां रहेगी सदा यही कहके पैहम सताके गई लेखक - ज़ुबैर खान........✍️ ©SZUBAIR KHAN KHAN Rukhsat
Jashvant
White अच्छा तुम्हारे शहर का दस्तूर हो गया जिस को गले लगा लिया वो दूर हो गया काग़ज़ में दब के मर गए कीड़े किताब के दीवाना बे-पढ़े-लिखे मशहूर हो गया महलों में हम ने कितने सितारे सजा दिए लेकिन ज़मीं से चाँद बहुत दूर हो गया तन्हाइयों ने तोड़ दी हम दोनों की अना! आईना बात करने पे मजबूर हो गया दादी से कहना उस की कहानी सुनाइए जो बादशाह इश्क़ में मज़दूर हो गया सुब्ह-ए-विसाल पूछ रही है अजब सवाल वो पास आ गया कि बहुत दूर हो गया कुछ फल ज़रूर आएँगे रोटी के पेड़ में जिस दिन मिरा मुतालबा मंज़ूर हो गया ©Jashvant हो गया Ek Alfaaz Shayri Nîkîtã Guptā Rukhsana Khatoon Dr.Mahira khan Chanda
Jashvant
कुछ शौक़ था यार फ़क़ीरी का कुछ इश्क़ ने दर-दर भटकाया कुछ यार ने कसर न छोड़ी थी कुछ ज़हर रक़ीब ने घोल दिया कुछ हिज्र फ़िराक़ का रंग चढ़ा कुछ यार ने ग़म अनमोल दिया कुछ क़िस्मत थी बद-क़िस्मत की कुछ हिज्र विसाल में घोल दिया कुछ यूँ भी राहें मुश्किल थीं कुछ ग़म का गले में तौक़ भी था कुछ शहर के लोग भी ज़ालिम थे कुछ मरने का हमें शौक़ भी था ©Jashvant यार फकीरी का Geet Sangeet Rukhsana Khatoon Rakesh Srivastava Parul rawat Raj Guru
Sam
अपने मेहबूब के लिए इश्क़ बयान क्या करू, मेहबूब को देखते ही लबे रुखसार खामोश हो जाती है, ©Sam #Rukhsaar
SHIVA KANT(Shayar)
अपने दुःख पे आह आह,हमारे दुःख पे वाह वाह..! रूखे-रूखे रिश्ते क्यों,होते नहीं स्वाहा..! अपनी अपनी कहानी,ज़ख़्मों की निशानी..! कराहते रहे रात-दिन,वो मिला न जिसे चाहा..! सभी ये दोगले किरदार,कहाँ किसके वफ़ादार..! ज़माने ने फिर भी,क्यों इन्हीं को सराहा..! हमारी इंसानियत,लगे सबको हैवानियत..! दुःखों का दिखता,ये कैसा चौराहा..! किसे बताऊँ कैसे सुनाऊँ,हाल-ए-दिल अपना..! संक्षेप में भी नज़र,आयेगा वार्तालाप आल्हा..! ©SHIVA KANT(Shayar) #watchtower #rukherukherishtey