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dilkibaatwithamit
White बड़े दिन बाद, कोई ज़बाब आया ये शुक्र है, उसे मेरा ख्याल आया क्यूं ना निकलें, नींद में आंसू मेरे बहुत दिन बाद तेरा,ख़्वाब आया हर एक बूंद में है, एक घर रोशन मेरे हिस्से में चांद का दाग आया तुम से नफ़रत भी, लाज़वाब थी तुम पे इश्क़ भी, बेहिसाब आया .. ©dilkibaatwithamit बड़े दिन बाद, कोई ज़बाब आया ये शुक्र है, उसे मेरा ख्याल आया क्यूं ना निकलें, नींद में आंसू मेरे बहुत दिन बाद तेरा,ख़्वाब आया हर एक बूंद मे
बड़े दिन बाद, कोई ज़बाब आया ये शुक्र है, उसे मेरा ख्याल आया क्यूं ना निकलें, नींद में आंसू मेरे बहुत दिन बाद तेरा,ख़्वाब आया हर एक बूंद मे
read moreKiran Chaudhary
सारे सपने धरे के धरे रह गए मेरे, जब हकीकत से मेरा सामना हुआ।। ©Kiran Chaudhary सारे सपने धरे के धरे रह गए मेरे, जब हकीकत से मेरा सामना हुआ।।
सारे सपने धरे के धरे रह गए मेरे, जब हकीकत से मेरा सामना हुआ।।
read moreShruti Rathi
White ** **Sweet Dreams** 🌛⭐️🌜 😊 ©Shruti Rathi #sad_quotes शुभ रात्रि सुविचार #GoodNight #sweetdreams #शुभरात्रि #Raat #रात #shrutirathi #swapna #सपने #sweet
#sad_quotes शुभ रात्रि सुविचार #GoodNight #sweetdreams #शुभरात्रि #Raat #रात #shrutirathi #swapna #सपने #sweet
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी गणतंत्र की हामी भर कर संविधान के दायरे में भारत आया था लोकतंत्र के पहरेदार बनकर तिरंगा लालकिले से फहराया था नैतिकता के मूल्यों पर कितने खरे उतरे व्यवस्थाये कितनी जन जन को दे पाये है शोर शराबे संसद के,कितने नीतिगत हो पाये है अनीतियो से सियासतें खेलती न्याय जनता को कितना दे पाये है सर्वोदय का सूरज अस्त होता पूंजीवाद के कुकुरमुत्ते फिर से उग आये है वोटो की राजनीति,ठगों के हवाले देश की एकता अखण्डता नष्ट करते आये है आजादी के दीवाने विस्मित हो गये चेहरे राष्ट्रवाद का बिगाड़ते आये है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #happy_independence_day सँविधान के दायरे में भारत आया था
#happy_independence_day सँविधान के दायरे में भारत आया था
read moreSatish Kumar Meena
White सपने सच तब होंगे, जब आप अपने होंगे। स्वयं को जानों,, और अपना लोहा मानों।। ©Satish Kumar Meena सपने
सपने
read moreAbhishek Jha
Unsplash रात के अंधेरे में, बालकनी में खड़े होकर चाय की चुस्की लेते ही चश्मे पे जमे हुए भाप ने मुझसे कहा, "अंधेरा थोड़ा धुंधला ही अच्छा लगता है।" उसकी सुनता, पर इतने में ही रात की ख़ामोशी बोल पड़ी, "अरे, मुझे बाहर क्या ढूंढता है, मैं तो तेरे अंदर भी हूँ।" तो मैंने उससे पूछा, "अच्छा मुझमें,पर मुझमें कहाँ?" तो बोलती है, "जरा दिल की गहराइयों में उतर के तो सुन, ख़ामोशी हूँ, मेरा एक अलग शोर होता है।" मैं ख़ामोशी की बात सुन ही रहा था, इतने में बालकनी से गुजरती ठंडी हवा ने कहा, "अरे, जनाब पहले चाय तो पी लिजिये, वरना इस अंधेरी रात में खामखा मुझपे इल्ज़ाम लग जाएगा।" बस इतने में ही गुजरते हुए वक़्त ने कहा, "बस कीजिए भाईसाहब, फिर लोग दुनिया को दोष देते हैं, जबकी वक़्त तो अकेलापन बर्बाद कर देता है।" ©Abhishek Jha रात के अँधेरे में
रात के अँधेरे में
read moreDr. Bhagwan Sahay Meena
Unsplash याद रखना... सपने तुम्हारे हैं तो पूरा भी तुम्हीं करोगे... न हालात तुम्हारे हिसाब से होंगे और न लोग... ©Dr. Bhagwan Sahay Meena #library सपने
#library सपने
read moreDr. Bhagwan Sahay Meena
नींद से क्या शिकवा जो आती नहीं रात भर... कसूर तो उन सपनों का है जो सोने नहीं देते... ©Dr. Bhagwan Sahay Meena सपने
सपने
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