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F M POETRY
Unsplash यहाँ नहीं है वहाँ नहीं है.. तुम्हारी यादें कहाँ नहीं हैं.. कोई तो ऐसा मक़ाम होगा.. जहाँ पे दिल को सुकूँ मिलेगा.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY #कोई तो ऐसा मक़ाम होगा...
#कोई तो ऐसा मक़ाम होगा...
read moreLili Dey
माना कि तेरे रास्ते और मेरे रास्ते अलग था, मगर एक रोज मुलाक़ात तो हुआ था, दोस्ती भी हुई थी और इश्क भी हुआ था, मेरे इज़हार तुझे नापसंद था और तेरे इनकार मुझे चुभता था, फिर भी हमारे बीच कुछ तो था, मगर यह बता ही नहीं जो था वह क्या था ? ©Lili Dey क्या था
क्या था
read moreSANIR SINGNORI
'जानी' पागल क्यूं हो गया तू... एक ही शख़्स था जहां में क्या..🥀 . ©SANIR SINGNORI 'जानी' पागल क्यूं हो गया तू... एक ही शख़्स था जहां में क्या..🥀
'जानी' पागल क्यूं हो गया तू... एक ही शख़्स था जहां में क्या..🥀
read moreSANIR SINGNORI
'जानी' को समझाए कोई... एक ही शख़्स था जहां में क्या.. 🥀🥺 . ©SANIR SINGNORI जानी को समझाए कोई, एक ही शख़्स था जहां में क्या
जानी को समझाए कोई, एक ही शख़्स था जहां में क्या
read moreHimaani
White ।।उसका इश्क ऐसा था ।। कि मुझे कभी कॉल मत करना कि मुझे कभी मैसेज मत करना मेरे बिस्तर तक आना है तो आ फिर चाहे तू मुझसे रोज बात करना ©Himaani #sad_shayari उसका इश्क ऐसा था लव स्टोरी
#sad_shayari उसका इश्क ऐसा था लव स्टोरी
read moreAnuj Ray
White ऐसा लगता है दिसंबर" फिर से पिछली बार की भांति, उतर आया गगन से, इस बार भी, चूमने धरती का माथा स्वर्ग से अंबर। सर्द बाहों में समाने ,आ गई वसुधा भी आँखें मूंदकर , बर्फ़ की चादर में लेटा है कोई, ऐसा लगता है दिसंबर। ©Anuj Ray # ऐसा लगता है दिसंबर"
# ऐसा लगता है दिसंबर"
read moreF M POETRY
White फिर से दुबारा पाएंगे तुझको ये ख्वाब है.. मिलना था खुश्नसीबी बिछड़ना अज़ाब है.. यूसुफ़ आर खान ल... ©F M POETRY #मिलना था.....
#मिलना था.....
read morePravin Pawade
इश्क का मतलब ... नही जानते... तो क्या कीजीए... प्यार की चाह मे.... राह भुल बैठे... तो क्या कीजीए... इन उदास नजरों का... क्या था केहना.. सु
read moreनवनीत ठाकुर
जियारत करूं के माथा टेकूं, तूने जो दिया, मैं उसके काबिल न था। तेरी रहमत की हद क्या बताऊं, इंशाल्लाह, तूने जो किया, मैं उसका हकदार न था। ©नवनीत ठाकुर जियारत करूं के माथा टेकूं, तूने जो दिया, मैं उसके काबिल न था। तेरी रहमत की हद क्या बताऊं, इंशाल्लाह, तूने जो किया, मैं उसका हकदार न था।
जियारत करूं के माथा टेकूं, तूने जो दिया, मैं उसके काबिल न था। तेरी रहमत की हद क्या बताऊं, इंशाल्लाह, तूने जो किया, मैं उसका हकदार न था।
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