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Stories related to जब मैं

Sanjana Hada

#autumn मैं

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Autumn इश्क - इश्क सी लड़की 
             Miss Hada..🌺🌺
*************************

इस डिजिटल युग में
साहित्य से प्रेम करने वाली मैं,

इंस्टाग्राम के जमाने में 
कविताएं लिखने वालीं मैं,

वेस्टर्न के जमाने में 
बिल्कुल सलवार सूट जैसी मैं,

New गानों से कोसों दूर भागने वालीं मैं 
हमेशा सदाबहार गाने सुनने वाली मैं,

न कोई Message न कोई Video call 
मुझे पसंद है Face to Face बातें करना ,

मुझे आता नहीं बातें बनाना 
मुझे तो बस अब स्वयं को है जानना ,

आता नहीं मुझे कोई षड्यंत्र 
मैं तो चाहती हूं बस अब स्वयं पर नियंत्रण,

मैं हर परिस्थिति में भी 
पन्नों पर प्रेम बिखेरना चाहती हूं 
मैं अपने व्यक्तित्व को 
शब्दों से निखारना चाहती हूं,

हां मैं स्वयं से इश्क करना चाहती हूं...🌺

©Sanjana  Hada #autumn मैं

हिमांशु Kulshreshtha

मैं...

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White बातें सब की
सुन लेता हूँ
मैं ख़ामोशी से
करते जाना अपने दिल की
मेरी आदत है
काँटों से उलझाना दामन
है शौक मेरा .
दिल मे दर्द पराया
बसाना मेरी फ़ितरत है….!!!

©हिमांशु Kulshreshtha मैं...

kevat pk

मैं

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Ajay Tanwar Mehrana

मैं आजाद हूं

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ना मेरा कोई मेरा रहबर मेरा रब
                ना हितैषी मैं ही तो हूं जो मेरा सब
                 मोड़ सब आंधी तूफानों की मरोड़ 
                 कोई कह तो दे कि मैं  बर्बाद  हूं ।

                 मैं चला बंदिश जमाने की भी तोड़ 
                 असल मायने में तो मैं आजाद हूं ।

                 जी रहे सब दुःख भरी मर्यादाओं में 
                 मैं नहीं विक्षत ना ही दिलशाद हूं ,
                  कालचक्र कर्मकांडों की ये सीमा 
                तो भी चलती चक्की का उन्माद हूं ।

                 मैं चला बंदिश जमाने की भी तोड़ 
                 असल मायने में तो मैं आजाद हूं ।

                 ना मैं जकड़ा जातियों, पंथों, धर्म ने
                  ना समाज की रिवाजों के भरम ने ,
                 झूठ सब देवों - देवियों की ये लीला 
                'अजय' खुले द्वंद्वों में बजता नाद हूं !

                 मैं चला बंदिश जमाने की भी तोड़ 
                 असल मायने में तो मैं आजाद हूं ।

©Ajay Tanwar Mehrana मैं आजाद हूं

बेजुबान शायर shivkumar

जब मैं उसकी भावनाएं बन जाता हूं तो राहत की एक खिड़की खुलती है जो शायद मेरे सवालों का जवाब न दे लेकिन मुझे अधिक दर्द सहने में मदद करती है, म

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जब मैं उसकी भावनाएं बन जाता हूं तो राहत की एक खिड़की खुलती है जो शायद मेरे सवालों का जवाब न दे लेकिन मुझे अधिक दर्द सहने में मदद करती है, मुझे प्यार में अधिक विश्वास रखने में मदद करती है।

©बेजुबान शायर shivkumar जब मैं उसकी भावनाएं बन जाता हूं
तो राहत की एक खिड़की खुलती है 
जो शायद मेरे सवालों का जवाब न दे लेकिन
मुझे अधिक दर्द सहने में मदद करती है,
म

हिमांशु Kulshreshtha

जब तुमने..

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White जब फैसला लिया तुमने
मुझसे दूर जाने का ,
धड़कनें मेरे दिल की
मुझसे सवाल करने लगीं ,
क्या जिन्दगी के इस सफर में,
यूँ ही अधूरे रहेंगे रास्ते इश्क़ के
अल्फाज़ ए मोहब्बत की तरह

©हिमांशु Kulshreshtha जब तुमने..

kevat pk

#मैं और वो

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Kuldeep KumarAUE

#love_shayari जब हम मिले जब तुम मिले तब हम दोनों एक हुए हैं #kuldeepkumaraue

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White जब हम मिले जब तुम मिले 
 तब हम दोनों एक हुए हैं

©Kuldeep KumarAUE #love_shayari जब हम मिले जब तुम मिले 
 तब हम दोनों एक हुए हैं #kuldeepkumaraue

Shiv Narayan Saxena

जब-तक जीओ, मस्त जीओ

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gudiya

#NatureQuotes #मातृभूमि #nojotohindi nojotophoto #nojoyopoetry आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच

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Nature Quotes आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच 
तब तब अचानक मुझे लगता है यही तो तुम हो मेरी मां मेरी मातृभूमि 

धान के पौधों ने तुम्हें इतना ढक दिया है कि मुझे रास्ता तक नहीं सुझता 
और मैं मेले में कोई बच्चे सा दौड़ता हूं तुम्हारी ओर 
जैसे वह समुद्र जो दौड़ता आ रहा है छाती के सारे बटन खोले हाहाता 


और उठती हैं शंख ध्वनि कंधराओं के अंधकार को हिलोडती 
यह बकरियां जो पहली बूंद गिरते ही भाग और छप गई पेड़ की ओट में 

सिंधु घाटी का वह सेंड चौड़े पत्ते वाला जो भीगा जा रहा है पूरी सड़क छेके 
वे मजदूर जो सुख रहे हैं बारिश मिट्टी के ढीले की तरह

 घर के आंगन में वह  नवोढ़ा भीगती नाचती और 
काले पंखों के नीचे कौवों के सफेद रोए तक भीगते 
और इलायची के छोटे-छोटे दाने इतने प्यार से गुथंम गुत्था यह सब तुम ही तो हो 

कई दिनों से भूखा प्यासा तुम्हें ही तो ढूंढ रहा था चारों तरफ
 आज जब भी की मुट्ठी भर आज अनाज भी भी दुर्लभहै 
तब चारों तरफ क्यों इतनी बाप फैल रही है गरम रोटी की 
लगता है मेरी मां आ रही है नकाशी दार रुमाल से ढकी तश्तरी में 

खुबानीनिया अखरोट मखाने और काजू भरे
 लगता है मेरी मां आ रही है हाथ में गर्म दूध का गिलास लिए 
यह सारे बच्चे तुम्हारी रसोई की चौखट पर कब से खड़े हैंमां 
धरती का रंग हरा होता है फिर सुनहला फिर धूसर 
छप्परों से इतना धुआं उठता है और गिर जाता है 
पर वहीं के वहीं हैं घर से निकले यह बच्चेतुम्हारी देहरी पर 
सर टेक सो रहे हैं मां यह बच्चे कालाहांडी के 
यह आंध्र के किसानों के बच्चे यह पलामू के पटन नरोदा पटिया के 

यह यदि यह यतीमअनाथ यह बंदहुआ 
उनके माथे पर हाथ फेर दो मां 
इनके भीगी के सवार दो अपने श्यामलहाथों से 
तुम कितनी तुम किसकी मन हो मेरी मातृभूमि 
मेरे थके माथे पर हाथ फेरती तुम ही तो हो मुझे प्यार से तख्ती और मैं भेज रहा हूं 
नाच रही धरती नाच आसमान मेरी कल पर नाच नाच मैं खड़ा रहा भेजता बीचो-बीच।
-अरुण कमल

©gudiya #NatureQuotes 
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आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच
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