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doctor vishal Kumar
Shivkumar
━──────────────────━ एक बार किसी ने स्वामी विवेकानंद जी से पूछा के :- सब कुछ खोने से ज्यादा बुरा क्या है..? पेड़ के नीचे बैठे हुए , स्वामी जी ने जवाब दिया :– उस उम्मीद का खो देना जिसके भरोसे मे हो हम सब कुछ वापस पा सकते हैं । ━──────────────────━ ©Shivkumar #Hope #आशा #उम्मीद #भरोसा #Hopeless #hopeful #Nojoto #nojotohindi ━──────────────────━
Shivkumar
Vishnu Bhagwan वर्णन मानव क्या करे, जब सक्षम वेद ना होए । क्षीरसागर शेष शयन, निद्रा से नयना सोए ।। जगत पालक जगतपति, की महिमा जटिल महान । लक्ष्मी पति बैकुण्ठ पति का, कोई क्या गाए गुणगान ।। धर्म उन्ही से कर्म उन्ही से, सबके पालनहार । सदा करे भक्तो की रक्षा, ले जग मे अवतार ।। चतुर्भुजा नीला वरण, तन पीताम्बर सोहे । हृदय बसे माता लक्ष्मी, माया से सबको मोहे ।। नाभि कमल से ब्रहम हुए, करने जगत संचार । सदा जपे हरि हर को, हर जपे हरि हर बार ।। कमल नयन पद्म चरण, सुंदर छवि बलवान । सबके स्वामी नारायण को, कोटी कोटी प्रणाम ।। ©Shivkumar #vishnubhagwan #विष्णु #Nojoto #nojotohindi #दोहा #दोहे #मन्त्र वर्णन मानव क्या करे, जब सक्षम वेद ना होए । क्षीरसागर शेष शयन, निद्रा से न
Bharat Bhushan pathak
मिली ना भीख में हमको,कहे हैं लोग आजादी, किसी ने प्राण खोए हैं,किसी का लाल खोया है। लुटी बच्चों ,कि है बचपन,सुहागिन माँग सूनी की, भुलाई चैन कितनों ने,किसी की नींद छीनी है। सरल देना ,यहाँ भाषण,लगे आसान भी नारे, मुसीबत तब,यहाँ होती,लहु माँगे,अगर धरती। अहित ना देश का करना,भले हो पेट भी परती।। ©Bharat Bhushan pathak #shaheeddiwas #nojotohindi#nojotopoetry#abhivyakti#23rdmarch मिली ना भीख में हमको,कहे हैं लोग आजादी, किसी ने प्राण खोए हैं,किसी का लाल खोया
nirankar pandey
उठो जागो और तब तक संघर्ष करो, जब तक आप अपना लक्ष्य प्राप्त न कर ले - स्वामी विवेकानन्द जी ©nirankar pandey स्वामी विवेकानंद जी#सुविचार
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- यहाँ कोई भी मतदानी नहीं है । बिके हैं सब बेईमानी नहीं है ।।१ गिरा जो आँख से पानी नहीं है । बयां करना भी आसानी नहीं है ।।२ लगाओ खूब नारे हिंद के अब । यहाँ कोई भी यूनानी नहीं है ।। ३ जरा सा हौसला करके तो देखो । कोई भी दरिया तूफ़ानी नहीं है ।।४ तुम्हीं से पूछने आये चले हम । हमीं पे क्यूँ मेहरबानी नहीं है ।।५ चुनावी खेल चालू हो गये तो । दिखा कोई भी अभिमानी नहीं है ।।६ लगे आरोप झूठे सैनिकों पे । हमारा देश बलदानी नहीं है ।।७ अदब से सर झुकाते हैं उन्हें बस । प्रखर की वह महारानी नहीं है ।।८ १२/०३ २०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- यहाँ कोई भी मतदानी नहीं है । बिके हैं सब बेईमानी नहीं है ।।१ गिरा जो आँख से पानी नहीं है । बयां करना भी आसानी नहीं है ।।२