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HintsOfHeart.
कभी सोचा है आपने ! झींगुरों की सीटी के बिना रातें किस कदर यतीम हो जायेंगी ! ©HintsOfHeart #झींगुर
anamika
चाँद और वो और खुला आसमान सितारों की महफ़िल झींगुर का झिंझोटी तान #चाँद #आसमान #सितारों #महफ़िल #झींगुर #झिंझोटी #नोजोतोहिन्दी
Prabhat Awasthi
"झींगुर और क्रांतिकारी"- हर ओर छाता है अंधेरा, डर का साया पसारने लगता है अपने पैर। हर आवाज़ को निर्वात में बदलने के, किए जाते हैं प्रयास। तब कुछ लोग लेते हैं प्रेरणा, झींगुरों से। करते हैं अपनी आवाज़ को गुंजायमान, फैल गए अंधेरे के विरूद्ध। नहीं ठहरती उनकी ध्वनि, प्रकाश की उजली किरण आ जाने तक। और उजाले के साथ ही, सोये हुए लोग,भूल जाते हैं, क्रांतिकारियों को,झींगुरों की तरह। –बांदा वाला ©Prabhat Awasthi "झींगुर और क्रांतिकारी"- हर ओर छाता है अंधेरा, डर का साया पसारने लगता है अपने पैर। हर आवाज़ को निर्वात में बदलने के, किए जाते हैं प्रयास। त
Ranjana Bansal (Jazbat )
Shree
झूमते झूले से झूम उठता है... झांझर सी झंकार से थिरकता है... झींगुर की सी झनक से सोया... खोया-खोया झरना झिलमिलाती चांदनी... झंकृत ताल विस्तृत विश्वास झांकी सा... झीनी-झीनी रात झुरमुट शोखियों के... झटक कर झुमके पलक झपकते कमाल... झांकती झक कर झिझक इतराता तन... झमेला इश्क का झड़ी सावन की लगी... झील मौजों की झलक जन्नतों सी, मन मेरे महबूब में महबूब मेरे मन में...! झूमते झूले से झूम उठता है... झांझर सी झंकार से थिरकता है... झींगुर की सी झनक से सोया...
A. K.
किताब से निकाल ले जायेगा प्रेमपत्र गिद्ध उसे पहाड़ पर नोच-नोच खायेगा चोर आयेगा तो प्रेमपत्र ही चुराएगा जुआरी प्रेमपत्र ही दांव लगाएगा ऋषि आ
रिंकी✍️
मैं अकेला ताकता रहता हूँ जमीं की तरफ जब होता हूँ अकेला तो नापता रहता हूँ नदियों की गहराईयों को और देखता रहता हूं उस विशाल आसमां को जो पूरे ब्रह्मांड को खुद में है समेटे हुए मैं देखता रहता हूँ उस अंधेरे को जहाँ वर्षो से एक सन्नटा है जहाँ झींगुरों की आबाज़ और हवा की सनसनाहट के अलाबा कोई नही आता जाता है बिल्कुल उस वीरान खण्डर की तरह जो कई सालों से बंद है लेकिन वो मुझे प्रिय है क्योकि मुझे वो पसन्द है रात का वो अंधेरा और उसकी गहराई जो बिल्कुल मेरे ह्रदय की की तरह पूरी समा में है समाई लगता है बिल्कुल जैसे हो मेरे हो ह्रदय की खाई मैं अकेला ताकता रहता हूँ जमीं की तरफ जब होता हूँ अकेला तो नापता रहता हूँ नदियों की गहराईयों को और देखता रहता हूं उस विशाल आसमां को जो पूरे
Divyanshu Pathak
जो व्यक्ति सदा प्रसन्न रहता है, आनंद भाव में रहता है, वह गाता है, बजाता है, नृत्य करता है। इनका आधार नाद ही है। नाद आकाश की तन्मात्रा है, गुण है। इसी से सम्पूर्ण सृष्टि का निर्माण होता रहता है। सम्पूर्ण सृष्टि इसी में लीन होती रहती है। 💕🌷#Good morning🌷 : कृष्ण इसी नाद के पर्याय बने रहे। गाना या गुनगुनाना नाद ही है। गुंजन शब्द नाद वाचक है। भौंरा, मधुमक्खी, मच्छर, झींगुर आदि
रिंकी✍️
वीरान खण्डर सी नजर आती हैं अब मेरे गाँव की सभी इमारतें सब पलायन हुए यहां से शहर की तरफ यहाँ रह गए हैं कुछ बूढ़े , कुछ खेत और कुछ औरतें और रह गई है वो सुनसान सड़क जहाँ नही दिखता कोई दूर दूर तलक सुनी है खेतो की पगडंडियाँ सूनी– सूनी सी है वो नदियाँ रही न अब वो बच्चो की शरारतें जहाँ जमघट लगती थी वो अब आम का बगीचा तो है मगर टायरों के झूले नजर नही आते वो खिलखिलाती हँसी नजर नही आती आंगनों से आंगन में चूल्हा तो नजर आता है मगर घर की औरतें नजर नही आती आती है बस रातों को झींगुरों की आबाज़ सन्नाटे का शोर और अकेले पन से चुभता ये घर ✍️रिंकी वीरान खण्डर सी नजर आती हैं अब मेरे गाँव की सभी इमारतें सब पलायन हुए यहां से शहर की तरफ यहाँ रह गए हैं कुछ बूढ़े , कुछ खेत और कुछ औरतें