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Itzz Rajatt

मैंने पूछा मेरी एहमियत है कितनी, उसने कहा बांग्लादेशी दो रुपये जितनी। currency of bangladesh is Takka. #yqbaba #yqdidi

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मैंने पूछा हमसे बैर है कितना ? 
उसने कहा एक रुपये में सौ पैसे जितना। मैंने पूछा मेरी एहमियत है कितनी,
उसने कहा बांग्लादेशी दो रुपये जितनी।

currency of bangladesh is Takka.
#yqbaba #yqdidi

Sachin Ratnaparkhe

जिसे हमने वफादार समझा, असल में वो ही गद्दार निकले। और अभी फिर दोहराता हूं कि, देश के गद्दारों को, गोली मारो सालो को। अगर वो मुसलमान है तो #दिल्ली_हिन्दू_विरोधी_दंगे

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जिसे सुनियोजित तरीके से किया जाए,
उसे दंगा नहीं नरसंहार कहते है 
और दिल्ली में वहीं हुआ है हिन्दुओं के खिलाफ।

अब कुछ का तर्क है कि 

मरने वाले उधर के भी है...
हा बिल्कुल है, लेकिन एक भीड़( बीबी बच्चे समेत) जो पूरी योजना में संलिप्त थी जिसने पत्थर और पेट्रोल इकठ्ठा कर रखे थे, हिन्दुओं के घर दुकान को चिन्हित किया हुआ था, जो यह सोच कर निकले थे आग लगानी है जान लेना है। उस जिहादी भीड़ को आत्मरक्षा के लिए उठी हिन्दुओं कि भीड़ के समकक्ष रखना धूर्तता के अलावा और कुछ नहीं है।
 जिसे हमने वफादार समझा,
असल में वो ही गद्दार निकले।

और अभी फिर दोहराता हूं कि,
देश के गद्दारों को, 
गोली मारो सालो को। 
अगर वो मुसलमान है तो

Poetry with Avdhesh Kanojia

वामपन्थ की चरस में मदमत्त बातवीरों की मजदूरों के प्रति दिखावटी सहानुभूति   वामपन्थ की चरस के मद में रहने वाले पत्रकार व रचनाकार बुद्धूजीवी #अनुभव #अर्बन_नक्सल

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वामपन्थ की चरस में मदमत्त बातवीरों की मजदूरों के प्रति दिखावटी सहानुभूति 

  वामपन्थ की चरस के मद में रहने वाले पत्रकार व रचनाकार बुद्धूजीवी, जो अपने घरों में बैठे बैठे प्रवासी मजदूरों के प्रति फेसबुक पर सहानुभूति दिखा कर व वर्तमान केंद्र सरकार को गरियाकर स्वयं को उनका हितैषी बना कर प्रस्तुत कर रहे हैं। इतिहास गवाह है कि जब भी मोदीजी जैसे नेता ने कुछ देशहित में कार्य करना चाहा तब बने बने काम पर उस्तरा फेरने के लिए #अर्बन_नक्सल गिरोह सक्रिय हो उठता है। वह यदि राज्य सत्ता में है तो उसने मजदूरों को राज्य छोड़ने पर विवश किया, ताकी बाद में जो समस्याएं जन्म लें उनका दोष सीधा मोदी सरकार पर मढ़ दिया जाए। शुरुआत दिल्ली व महाराष्ट्र से हुई जहाँ सत्ता में क्रमशः केजरीवाल और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री हैं। उनमें एक वामपन्थ के उपासक व दूसरे वर्तमान में वामपन्थ के दास अर्थात कांग्रेस व एनसीपी के बंधुवा मजदूर हैं। और दूसरे वाले महाशय उद्धव व उनके भाई राज ठाकरे तो वैसे भी उत्तर भारतीयों और बिहारियों के कट्टर विरोधी रहे हैं अतः ये बंधुवा मजदूरी उद्धव जी के लिए वरदान सिद्ध हुई। 

एक और गौर करने वाली बात यह है कि दिल्ली या महाराष्ट्र से एक भी बांग्लादेशी व रोहिंग्या ने पलायन नहीं किया। कारण उनकी सेवा में दोनों राज्यों की सरकारों ने कोई कसर नहीं छोड़ी और बाकी प्रवासी मजदूरों को भूखे रहने की नौबत आ गई। भूख से व्याकुल होकर ही वे अपने अपने गाँव चल दिये। यदि उनके भोजनादि की व्यवस्था राज्य सरकारों द्वारा की गई होती तो कदाचित वे पलायन करने को विवश न होते। उत्तर प्रदेश जहाँ से मैं भी हूँ, बराबर वहाँ के हाल चाल लेता रहता हूँ। अभी तक सुनने में नहीं आया कि कोई भी गरीब वहाँ भूख से पीड़ित है। सबके लिए भोजन की व्यवस्था है। किन्तु अखण्ड विरोधियों को विरोध के लिये कोई न कोई मुद्दा तो चाहिए होता है, कुछ उन्हें स्वयं मिल जाते हैं और कुछ को वे षड्यंत्रबद्ध तरीके से जन्म देते हैं। हमने और हमारे मित्रों ने एक सर्वेक्षण किया और जो मजदूर महाराष्ट्र से लौट रहे थे उनसे पलायन का कारण (मेरे परम मित्र ने) पूछा तो एक ने बताया कि उनकी बस्ती में एनसीपी नेता द्वारा कहा गया था कि 20 लाख करोड़ का लाभ अपने मूल निवास अर्थात उनके पैतृक गाँव जाने पर ही मिलेगा। दूसरे प्रवासी ने बताया कि उन्हें बताया गया कि अब तुम्हे पूरे साल तुम्हारे गाँव मे ही रोजगार दिया जाएगा अतः यहाँ परिवार से दूर रहने की कोई आवश्यकता नहीं है।

  खैर ये बातवीर लोग केवल फेसबुक पर विरोध जी बातें ही लिख सकते हैं, ज़रूरत मन्दों के लिए कुछ नहीं कर सकते। जिन जेएनयू के वामपंथी छात्रों के समर्थन में वे अपनी कलमें घिसा करते हैं, वे प्रवासी मजदूरों के लिये कुछ नहीं करते दिख रहे और जिन्हें ये संघी, भगवा आतंकी, निक्करधारी आदि कह कह गरियाते रहते हैं वे अपने जीवन को संकट में डालकर उनकी सहायता कर रहे हैं, वह भी किसी की जाति या धर्म पूछे बिना, साथ ही जब से लॉक डाउन हुआ है तब से अभी तक जो गरीब, मजदूर आदि जहाँ कहीं भी हैं, उन्हें भोजन, दवा व रहने आदि की भी व्यवस्था कर हैं। हमारे जिले सहजिला कायर्वाह श्रीमान संजय जी ने तो जब 4 मजदूरों को एक स्थान और बेघर व भूखा देखा व उन्हें अश्रु देखे तो उन्हें अपने दूसरे मकान में रहने को स्थान दिया व भोजनादि की व्यवस्था की।

जय माँ भारती

✍️अवधेश कनौजिया© वामपन्थ की चरस में मदमत्त बातवीरों की मजदूरों के प्रति दिखावटी सहानुभूति 

  वामपन्थ की चरस के मद में रहने वाले पत्रकार व रचनाकार बुद्धूजीवी

Rahul Mishra

हमदर्दी जो है, आजकल दो ही शेड्स में आ रही है. एक हरा, दूसरा केसरिया !! आप कितनी भी इंसानियत की बात कर लें मगर सच तो ये है कि आपकी इंसानियत

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हमदर्दी जो है, आजकल दो ही शेड्स में आ रही है. एक हरा, दूसरा केसरिया !!

आप कितनी भी इंसानियत की बात कर लें मगर सच तो ये है कि आपकी इंसानियत

Rahul Mishra

हमदर्दी जो है, आजकल दो ही शेड्स में आ रही है. एक हरा, दूसरा केसरिया !! आप कितनी भी इंसानियत की बात कर लें मगर सच तो ये है कि आपकी इंसानियत

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हमदर्दी जो है, आजकल दो ही शेड्स में आ रही है. एक हरा, दूसरा केसरिया !!

आप कितनी भी इंसानियत की बात कर लें मगर सच तो ये है कि आपकी इंसानियत

Poetry with Avdhesh Kanojia

#Truth #Politics #Left #Nationalist #राजनीति life #lifequotes वामपन्थ को चरस के नशे में रहने वाले बातवीरों की मजदूरों के प्रति दिखावटी सह #अर्बन_नक्सल

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अवधेश कनौजिया #truth #politics #left #nationalist #राजनीति #life #lifequotes 

वामपन्थ को चरस के नशे में रहने वाले बातवीरों की मजदूरों के प्रति दिखावटी सह
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