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Sunita D Prasad

# उसकी कविताएँ.... वह लिखता है कविताएँ ऐसे मेरी माँ, पसंद का व्यंजन पकाती थी मेरे लिए जैसे।। वह शब्दों और भावों में, #yqbaba #yqdidi #yqpowrimo

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#उसकी कविताएँ..


--सुनीता डी प्रसाद💐 # उसकी कविताएँ....

वह लिखता है कविताएँ ऐसे 
मेरी माँ,
पसंद का व्यंजन 
पकाती थी मेरे लिए जैसे।।

वह शब्दों और भावों में,

shayar_dillwala

क्यूं खुश रहूं मै सदा,दो पल के लिए मुझे रो लेने दो... थक गया मै जो नहीं हूं वो बनकर,मुझे मेरे मन मुताबिक रह लेने दो... आवाजों का पीछा करता र #रूह #किनारा

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क्यूं खुश रहूं मै सदा,दो पल के लिए मुझे रो लेने दो...
थक गया मै जो नहीं हूं वो बनकर,मुझे मेरे मन मुताबिक रह लेने दो...
आवाजों का पीछा करता रहा, करता रहा इंतेज़ार मै एक नायाब मौके का...
क्या सच में वो पल आयेगा भी,या नाकाम रहेगा ये ऐतबार भी...
बाज आए मेरी तन्हाई,मुझे अब अकेला रहना नहीं...
बजरी,रेत या मिट्टी हो,क्यों मेरे पैरों तले से फिसल जाए...
क्यों भांप सा उडे ये पानी,क्यों समय भी हाथ से निकल जाए...
अक्स को खुद के में देख सका लेकिन छूने की जुर्रत कभी ना हुई मेरी उसे...
क्यों ऐसा हुआ,क्यों डरता रहा में अपनी ही परछाई से...
वास्ता था मेरा मेरी हर एक बात से,रास्ता भी था उस हर बात को पाने का...
कोई ढकेल ही देता मुझे खाई में जहां गिरता ही सही लेकिन मै उस तक पहुंच तो जाता...
आज जो ऐहेसास है शायद इस ऐहेसास का वक़्त पहले ही आ जाता...
ना मै रहता अब जैसा,शायद मै कुछ और ही बन जाता...
मिल्कियत कुछ और होती मेरी,मै शायद किसी और मुकाम पे पोहोंच जाता...
मिल जाता कोई हमसफ़र भी मुझे,शायद मुझे मेरी रूह का किनारा ही मिल जाता...

©shayar_dillwala क्यूं खुश रहूं मै सदा,दो पल के लिए मुझे रो लेने दो...
थक गया मै जो नहीं हूं वो बनकर,मुझे मेरे मन मुताबिक रह लेने दो...
आवाजों का पीछा करता र

Divyanshu Pathak

हम देख चुके हैं कि ‘जीवन विज्ञान’ को शिक्षा से जोडऩे में किसने कितना साथ दिया। नए युग की चुनौतियों पर मंथन होना, नई पीढ़ी को तथा अन्य समाजों #पंछी #पाठक #स्त्रैण

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"स्त्रैण"
भाव नही गुण है
हर्ष, उल्लास और ऐश्वर्य का
प्रकृति के सरल स्वभाव का
कितनी सहजता से सम्पूर्ण
विभिन्नताओं को एक करने को सोच लिया
शब्द रूप रस गन्ध और स्पर्श के
सभी सकारात्मक पहलुओं को निरख लिया !
ये भोला पन ही तो "स्त्रीत्व" की पराकाष्ठा है
असंभव को संभव करने की प्रेरणा ......
नवदुर्गाओं के समस्त भावों का प्रफुष्ठन
पार्वती से पराशक्ति हो जाने की यात्रा
एक दिन पूर्ण हो जाएगी !😊
 हम देख चुके हैं कि ‘जीवन विज्ञान’ को शिक्षा से जोडऩे में किसने कितना साथ दिया।
नए युग की चुनौतियों पर मंथन होना, नई पीढ़ी को तथा अन्य समाजों
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