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शिवानन्द

कैसी परिभाषित होगी #नारी .. जो खुद में ही दुनिया सारी है। इस धरा की जड़ है जो.. ख़ुदा की बनाई कलाकारी है। #ममता , #प्रेम , निडर और साहस के #Women #yqbaba #womensday #yqdidi #महिलादिवस

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कैसी परिभाषित होगी नारी ..
जो खुद में ही दुनिया सारी है।

इस धरा की जड़ है जो..
ख़ुदा की बनाई कलाकारी है।

ममता, प्रेम, निडर और साहस के छंदों से..
जो रिश्तों को सुशोभित कर दे👉ये वह अलंकारी है।
~~शिवानन्द कैसी परिभाषित होगी #नारी ..
जो खुद में ही दुनिया सारी है।

इस धरा की जड़ है जो..
ख़ुदा की बनाई कलाकारी है।

#ममता , #प्रेम , निडर और साहस के

Vivekans Chowdhary

dard keh do दर्द बना हूँ,शब्दों में कह दो, शब्द बने हैं,लफ्जो में कह दो,  जो भी है बस कह दो तुम,  तेरे कहते मैं हो जाऊँ गुम।।  मेरे कारण ज

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dard keh do
दर्द बना हूँ,शब्दों में कह दो, 
शब्द बने हैं,लफ्जो में कह दो,
 जो भी है बस कह दो तुम,
 तेरे कहते मैं हो जाऊँ गुम।।

 मेरे कारण ज

Harshita Mohan Sahay (नैना)

मैंने लिखा उसकी आंखो को रोशनी सूरज की, उसके चेहरे को चांदनी चांद की, उसकी जुल्फों को काली घनी रातें, उसकी हंसी को #Love #Heart #Feeling

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Sunita D Prasad

# प्रथम प्रेम गीत.. प्रथम प्रेम गीत, लिखने वाला, विरह में व्याकुल कोई हृदय रहा होगा। सम्मिश्रित संवेदनाओं से आप्लावित हृदय ने

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# प्रथम प्रेम गीत..

प्रथम प्रेम गीत, 
लिखने वाला, 
विरह में व्याकुल 
कोई हृदय रहा होगा।
सम्मिश्रित संवेदनाओं से 
आप्लावित हृदय ने
जब किया होगा
मौन क्रंदन..
तब..
उसका एकांत
उसके गीतों में
'छंद' बन गया होगा..
और उसकी वेदना 
उन छंदों का 'मकरंद'।
उसने प्रेम को, 
ऐसे लिखा होगा..
मानो, वह सृष्टि का.. 
अंतिम प्राणी हो।
प्रथम भाव-
करुणा रहा होगा।
पर..
उन्मांद-पीड़ा ने भी
उसके हृदय को 
खूब..मथा होगा।
विपरीत भावों के मंथन में
विरह वेदना से तब एक..
नवोदित प्रेम कवि..जन्मा होगा।
--सुनीता डी प्रसाद💐




     # प्रथम प्रेम गीत..

प्रथम प्रेम गीत, 
लिखने वाला, 
विरह में व्याकुल 
कोई हृदय रहा होगा।
सम्मिश्रित संवेदनाओं से 
आप्लावित हृदय ने

संवेदिता "सायबा"

कविता मन विमोहन नगर की ये संवेदिता। गुनगुनाती है जीवन की गोपन कथा। चंद शब्दों व छंदों का आश्रय लिए। भाव अविरल है उन्मुक्त सी "कविता"। एक सा #Poetry #WorldPoetryDay #nojotohindi #hindipoetry #worldpoetryDay2023

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Himanshu Chaturvedi

मृत्यु का शोक कर हम क्यों आंखें भर भर रोते हैं..? मां सरस्वती के बेटे कभी मरते..?.. ..वो तो अजर अमर.... ...वो तो "अटल" सत्य से होते हैं मान #AtalBihariVajpayee #Hindi #hindiwriters #nojotowriters #naman #atalji #shradhanjali

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मृत्यु का शोक कर हम 
क्यों आंखें भर भर रोते हैं..?
मां सरस्वती के बेटे कभी मरते..?..
..वो तो अजर अमर....
...वो तो "अटल" सत्य से होते हैं
माना वो चले गए 
अब हमको साथ नहीं उनका
पर वो तो अविनाशी हैं..
....केवल मृत्यु भर तक का साथ नहीं उनका
तो काल भले ही इस जीत से 
..झूठा ही खुश हो ले
पर अटल सत्य तो है ये कि 
अपने कवि छंदों से..
..अपनी कविता के पंदों से
साथ हमेशा रहेंगें वो...
...मर कर भी दिलों में ज़िंदा हैं जो
तो आशा है कि उन अमर रचनाओं से
 हमें आशीष देते रहेंगे वो❤🙏 मृत्यु का शोक कर हम 
क्यों आंखें भर भर रोते हैं..?
मां सरस्वती के बेटे कभी मरते..?..
..वो तो अजर अमर....
...वो तो "अटल" सत्य से होते हैं
मान

Sunita D Prasad

तुम जब भी आना.. मेरी कविताएँ ही बनकर आना..! पर, तुम मत आना, बनकर मेरी बहुचर्चित-कविताएँ..! जिनमें उतारा है, मैंने सत्य किसी का या जिन्हें #yqbaba #yqdidi #अधूरी #yqpowrimo

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#अधूरी कविताएँ..

   --सुनीता डी प्रसाद💐







 
तुम जब भी आना..
मेरी कविताएँ ही बनकर आना..!

पर, तुम मत आना,
बनकर मेरी बहुचर्चित-कविताएँ..!
जिनमें उतारा है, मैंने सत्य किसी का 
या जिन्हें

Nishh.

हिंदी की कक्षा में बहुत कुछ सीखा था, सीखा था अक्षर ज्ञान और उन पर मात्रा लगाना। वर्णों को मिलाकर शब्द और शब्दों से वाक्य बनाना। शब्दार्थ भी #Life #Hindi #nojotohindi #hindipoetry #shabd #zingdi #Matribhasha #Hindidiwas #NishhShayari #alankar

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हिंदी दिवस   हिंदी की कक्षा में बहुत कुछ सीखा था,
सीखा था अक्षर ज्ञान और उन पर मात्रा लगाना।
वर्णों को मिलाकर  शब्द और शब्दों से वाक्य बनाना।
शब्दार्थ भी किए याद,
तब कहीं जाकर शुरू किया कठिन शब्दों को अपनाना।
फिर सीखा शब्दों की संधि कराना।
समझा समास फिर हमने,
फिर देखा छंदों में काव्य का गुनगुनाना।
काव्य पढ़-पढ़ कर समझा,
अलंकारों का काव्य को सजाना।
साथ ही गद्य के पाठों का पढ़ना व पढ़ाना।
मुहावरों कहावतों से बातों को रोचक बनाना।
इसी तरह बहुत कुछ सीखा गया,
हिंदी की कक्षा में जाना।
ए हिंदी तुझे बस इतना ही बताना,
मातृभाषा हे तु हमारी, तुझे जितना भी जाना हमने कम जाना... हिंदी की कक्षा में बहुत कुछ सीखा था,
सीखा था अक्षर ज्ञान और उन पर मात्रा लगाना।
वर्णों को मिलाकर  शब्द और शब्दों से वाक्य बनाना।
शब्दार्थ भी

अनुज

शून्य से सृजन‌ की ओर पहला कदम विरान सा, दूर से, लिखना सभी को, होता कहीं आसान सा, मनोबल को सुदृढ़ करना, फिर पंक्तियों का ताल मेल, और झि #Poetry #Hindi #poem #MessageToTheWorld

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शून्य से सृजन‌ की ओर
 पहला कदम विरान सा,
 दूर से, लिखना सभी को,
 होता कहीं आसान सा,
 मनोबल को सुदृढ़ करना,
 फिर पंक्तियों का ताल मेल,
 और झिझक भरी आकांक्षाओं का,
 मन मस्तिष्क में मेल जोल,
 न अंलकारों की समझ,
 और मात्राओं की उठा-पटक,
 छंदों का विरह होना स्वयं में,
 लय बद्ध होने की मन में खटक,
 कहां आसान था सफ़र,
 लिखना, मिटाना बार-बार,
 कोई भी आकर करता सृजन को,
 अपने चक्षुओं से तार-तार,
 फिर स्वयं एकाकी होकर,
 स्वयं को ढांढस बंधानां,
 फिर सृजन को जन्म देना,
 और कलम फिर से उठाना,
 लिखना सामाजिक कुंठाओं पर,
 या प्रेम को आलोकित करना,
 कुंडली मार कर बैठे समाज पर,
 खादियों का शोषित करना,
 दुर्गम था पग रखना साहित्य में,
 आया था जब अनजान सा,
 शून्य से सृजन‌ की ओर
 पहला कदम विरान सा...

©अनुज शून्य से सृजन‌ की ओर
 पहला कदम विरान सा,
 दूर से, लिखना सभी को,
 होता कहीं आसान सा,
 मनोबल को सुदृढ़ करना,
 फिर पंक्तियों का ताल मेल,
 और झि

DR. SANJU TRIPATHI

स्वरचित रचना #ks_contest_11
#collabwith_काव्य_संगीत
#yqdidi
#yqbaba


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