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Vibhor VashishthaVs

Meri Diary Vs❤❤ मनो बुद्धि अहंकार चित्तानि नाहं न च श्रोत्र जिव्हे न च घ्राण नेत्रे | न च व्योम भूमि न तेजो न वायु: चिदानंद रूपः शिवोहम शिव #yqbaba #yqdidi #yqhindi #Shiv #yqquotes #yourquotebaba #youequotedidi #vs❤❤

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मैं मन, बुद्धि, अहंकार और
स्मृति नहीं हूँ, न मैं कान, जिह्वा,
नाक और आँख हूँ। न मैं आकाश,
भूमि, तेज और वायु ही हूँ, 
मैं चैतन्य रूप हूँ, आनंद हूँ,
 शिव हूँ, शिव हूँ…..
💥🌺💥सुप्रभात💥🌺💥
🙏हर हर महादेव शिव शंभु🙏

✍️Vibhor Vashishtha Vs  Meri Diary #Vs❤❤
मनो बुद्धि अहंकार चित्तानि नाहं
न च श्रोत्र जिव्हे न च घ्राण नेत्रे |
न च व्योम भूमि न तेजो न वायु:
चिदानंद रूपः शिवोहम शिव

Abhishek 'रैबारि' Gairola

हलवा घी में भुनती, रेत सी महीम सूजी की मर्म चुम्बन करती, भीमी मीठी सुगंध, संयत निशा समीर पे सवार हो कर अपनी प्रचंड तीक्ष्णता से हर अवरोध तो

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हलवा

घी में भुनती, रेत सी महीम सूजी की मर्म चुम्बन करती, 
भीमी मीठी सुगंध,
संयत निशा समीर पे सवार हो कर अपनी प्रचंड तीक्ष्णता से
हर अवरोध तोड़,
सघन बाधाओं को भेद,
प्रमादित द्वारों के प्रत्यक्ष लापरवाह विवरों से, 
या झरोखों की झीनी, जंग खाई, कमज़ोर
धातुज चादरों से, प्रवेश लेकर,
घ्राण के मृदुल नथूनों को
गुदगुदाती, सहलाती, निज उर में छितर जाती, 
कुछ इस मानिंद कि मन मानसरोवर में उत्सव मचा हो जैसे, 
उपलक्ष में जिसके स्वयं आमोदेश्वर ने
मिष्टामृत रचा है आज कोई।

©Abhishek 'रैबारि' Gairola हलवा

घी में भुनती, रेत सी महीम सूजी की मर्म चुम्बन करती, भीमी मीठी सुगंध,
संयत निशा समीर पे सवार हो कर अपनी प्रचंड तीक्ष्णता से
हर अवरोध तो

Aprasil mishra

************************** निष्प्राण कर देती हृदय की वर्जना फिर भी यहाँ पर कर रहा हूँ अर्चना। विश्वास में आघात के विस्तार #Nature #Diet #NatureLove #yqhindi #yqpoetry #coronavirus #pandemic

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        A well developed country
in science and
 technology but hardly struggling
 now from corona pandemic 
which is indicate to only their
 inappropriate fooding structure. 
Have marked as question? What's 
a rubbish society, isn't 
progression and development?
 May be, no! What's intellectuality, 
now it's important for the
 world that all intellectuals 
think at our food chain and
 food system for always
 maintain to  check and balance
 in this eco and sustainable
 system of Universe.

          (read in caption 👇) **************************
निष्प्राण   कर   देती  हृदय  की  वर्जना
फिर भी  यहाँ  पर  कर  रहा  हूँ अर्चना।
विश्वास   में  आघात   के   विस्तार

काव्याभिषेक

ये जो #संत हैं , साक्षात् #अरिहंत हैं। मेरे भगवन्त हैं , अनादि अनन्त हैं । वीतराग #संत हैं, स्वयं एक पंथ हैं। दीप ये ज्वलंत हैं, चारित्र की #हिंदी #बसंत #प्रतिभा #पूर्णिमा #विद्या #इतिहास #ज्ञान #पाप #णमोकार

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ये जो संत हैं ,
साक्षात् अरिहन्त हैं । ये जो #संत हैं ,
साक्षात् #अरिहंत हैं।
मेरे भगवन्त हैं ,
अनादि अनन्त हैं ।
वीतराग #संत हैं,
स्वयं एक पंथ हैं।
दीप ये ज्वलंत हैं,
चारित्र की

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 11 - महत्संग की साधना 'मेरी साधना विफल हुई।' गुर्जर राजकुमार ने एक लम्बी श्वास ली।

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
11 - महत्संग की साधना

'मेरी साधना विफल हुई।' गुर्जर राजकुमार ने एक लम्बी श्वास ली।
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