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SANTU KUMAR
White एक तुम ही तो जानती थी मुझे, मुस्कराने पर भी पूछ लेती थी "क्यों उदास हो?.. ❤️❤️🙏🙏❤️❤️ ©SANTU KUMAR #love_shayari एक तुम ही तो जानती थी मुझे, मुस्कराने पर भी पूछ लेती थी "क्यों उदास हो?.. 🖤
#love_shayari एक तुम ही तो जानती थी मुझे, मुस्कराने पर भी पूछ लेती थी "क्यों उदास हो?.. 🖤
read moreRajinder singh bhati
White आपको मेरा नमस्कार आज भी मैं आपके लिए उपयोगी बात बता रहा हूं मनुष्य के जीवन में कितनी बातें होती हैं जो उसके जनरल में काम आती है या कार्य करती हैं उन्हें लगभग सब मनुष्य एक दूसरे से जान लेते हैं या वंशानुगत समझ लेते हैं उन सब बातों का ज्ञान होते हुए भी यह मनुष्य उनको अपने जीवन में अप्लाई नहीं करता और बार-बार उन्हें गलतियों को दोहराता रहता है जो गलतियां वंशानुगत होती आ रही थी इस विषय में मैं आप सभी मनुष्य से अनुरोध करता हूं की अपनी बुद्धि और अपने विवेक और अपने स्वयं के अनुभवों के आधार पर निर्धारित करना चाहिए कि मेरे लिए क्या अच्छा है क्या बुरा है क्या मुझे करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए अगर सलाह लेनी है तो एक बहुत समझदार सिस्टम तुम्हारे अंदर है जिससे आप सलाह ले सकते हो उसकी सलाह कभी गलत नहीं होती ©Rajinder singh bhati आपके लिए उपयोगी बात
आपके लिए उपयोगी बात
read moreI͓̽n͓̽n͓̽o͓̽c͓̽e͓̽n͓̽t͓̽ b͓̽e͓̽w͓̽a͓̽f͓̽a͓̽
White हो सकता हैं कुछ लोगो को मेरे मरने के बाद सुकून मिले 😭 ©+-InNocEnT BeWafa-+ लिखने को तो बहुत है मगर आज लिखूँगा नही जिसके लिए ये post h 😝
लिखने को तो बहुत है मगर आज लिखूँगा नही जिसके लिए ये post h 😝
read moreVinod Mishra
"स्वार्थ साधना जिसके लिए साध्य हो ; जिसके लिए साधक अपनी नित नई निष्ठा बदलता रहता हो ऐसा साधक जीवन में कुछ भी पा सकता है परन्तु प्रतिष्ठा कभी
read moreRahul Varsatiy Parmar
सुबह के 5 बज चुके है तो जमाने ए बंदिश खैर एक खयाल एक गजल देखिए रातों की नींद से (अदावत/ दुश्मनी) हो गई है हमे भी ज़माने के रिवाजों से (कदूरत/ नफरत) हो गई है ज़माने- ए- बंदिश में कैद है (आबरू/ इज्जत) ) हमारी अब खुद को ही खामोश कर रही है खामोशी हमारी (मशगूल-ए- महफिल /मिलना जुलना) नही है रही अब फितरत हमारी मशरूफ-ए-बेरुखी जिंदगी खुद से हमारी हिदायत-ए -दिल है की मुखातिब हो ज़माने से क्यों हया-ए- आबरू खौफ से गुजरे जिंदगी हमारी (मशरूफ/व्यस्त,) (बेरुखी/नाराजगी,)( हिदायत/ सलाह ,) (मुखातिब/ सामना,) (हया ए आबरू/ शर्म) ,(खौफ/ डर) इस गजल का सीधा सा मतलब है 4 लोगो क्या कहेंगे इसे बेफिकर होकर जियो निर्मला पुत्र सिद्धांत परमार ©Rahul Varsatiy Parmar #foryoupapa जिंदगी खुद के लिए जियो समाज के लिए नही #
#foryoupapa जिंदगी खुद के लिए जियो समाज के लिए नही #
read moreChhaya_33
उसका प्यार पाने के लिए, मैं आखिरी हद तक झुक गई थी मेरी इसी कमजोरी को पकड़ कर उसने मुझे आखिरी हद तक जलील कियर
read moreनवनीत ठाकुर
ज़ुबां कहे भी तो किसे सुनाए ग़म, जिस दिल ने जिया है, वही समझे कम। बेनिशान थी आरज़ू, मगर गहरी छाप छोड़ गई, ज़ुबां खामोश रही, मगर दास्तां बोल गई। दिल के अंदर एक कहानी दबी थी, जो न कह सका, वो नरगिस ने सुनाई थी। गहरी छाप थी मोहब्बत की, वक़्त ने छोड़ दी, ज़ुबां की खामोशी में सच्चाई खोल दी। दर्द को छिपाकर, दिल ने उसे सहा, जिसे कह न सका, वही आह में बहा। मौन की गहराई में, दिल की आवाज़ पाई, जो अल्फ़ाज़ न थे, वो खामोशी ने जताई। ©नवनीत ठाकुर #जुबां खामोश थी
#जुबां खामोश थी
read moreRajinder singh bhati
White आपको मेरा नमस्कार आज भी मैं आपके लिए उपयोगी बात बता रहा हूं पड लिखकर आप बड़े अधिकारी बन सकते हो अगर आपने अपने अंदर उच्च कोटि के संस्कारों का गठन किया तो आप समाज में भी बड़े आदमी बन सकते हो और हमेशा ध्यान रखिए जो मनुष्य अपना काम छोड़कर आपका काम करता है उसको हमेशा अपने दिल में रखकर सम्मान दीजिएगा सबको अपना मानिए लेकिन दिल में किसी खास इंसान का दर्जा होता है उसी को रखिए अगर आपने किसी गलत इंसान या गलत धारणा या गलत सोच को दिल में बैठाया तो दिल की कार्य करने की क्षमता भी विगति में चली जाएगी तो इसलिए हमेशा सोच समझकर चुनाव कीजिए ©Rajinder singh bhati #good_night आपके लिए उपयोगीबात
#good_night आपके लिए उपयोगीबात
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