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shubham singh shekhawat
White श्री गणेशाय नमो नमः ©shubham singh shekhawat जय श्री गणेश
Ganesh joshi
Author Rupesh Singh
गणेश व़ंदना गजवदन गनविनायक जी तुमको नमन् गौरी सुत, भोले शंकर जी तुमको नमन् मुसक वाहन है जिनका है उनको नमन् कार्तिकेय जी को है मेरा सादर नमन् गजवदन गनविनायक जी तुमको नमन् वन्दना है प्रथम जिनकी उनको नमन् रिघ्दि, सिध्दि के दाता जी तुमको नमन् गजवदन गनविनायक जी तुमको नमन ।। ©Rupesh Kumar Singh #retro #गणेश वंदना #रुपेश सिंह
Ravendra
Ravendra
Devesh Dixit
गणेश जी का वाहन गणेश जी का वाहन मूषक, गणेश जी से रूठ गया। हवाई जहाज पर क्या मिला, जो मुझे अब छोड़ दिया। कई युगों से साथ मैं उनके, अब अचानक क्या हुआ। उनकी हरकत से देखो मेरे, दिल को अब आघात हुआ। हवाई जहाज पर देखा उनको, पीड़ा क्या अपनी बताऊँ। मुझ सी न तीव्रता होगी उसकी, न मानो तो उड़ के दिखाऊँ। माता ने जब देखा उसको, मन उनका पसीज गया। डाटूँगी उसको माता बोलीं, सुनकर शान्त वो हो गया। प्रभु को मेरे कुछ न कहना, कह कर वो तो रो गया। कब आएँगे प्रभु अब मेरे, इंतजार में वो तो बैठ गया। कुछ तो कमी होगी मुझमें, जो उन्होंने मुझको त्यागा है। नहीं होगा अब इस जग में, मुझसा कोई अभागा है। तभी गणेश जी वहाँ आ गये, बोले तू तो मेरा दुलारा है। हवाई जहाज की यात्रा का, आनंद मैंने जो उठाया है। कह नहीं सकता मूषक मेरे, अनोखा अनुभव पाया है। अब से तेरे ही साथ रहूँगा, मेरा तुझसे यही वादा है। मूषक अब निश्चिन्त हुआ है, उनके ही चरणों में पड़ा है। गणेश जी का वाहन मूषक, अब देखो प्रसन्न हुआ है। हवाई जहाज को प्रभु ने छोड़ा, सपना ये साकार हुआ है। ............................................ देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #गणेश_जी_का_वाहन #nojotohindi #nojotohindipoetry गणेश जी का वाहन गणेश जी का वाहन मूषक, गणेश जी से रूठ गया। हवाई जहाज पर क्या मिला, जो मुझ
ज़ख्मी दिल
शिव जी और पार्वती जी ने एक दिन विचार किया कि अब बच्चों का विवाह करना चाहिए। कार्तिकेय स्वामी और गणेश जी से कहा कि जो इस पूरे संसार का चक्कर लगाकर पहले लौट आएगा, उसका विवाह पहले कराएंगे। कार्तिकेय स्वामी तो अपने वाहन मयूर यानी मोर पर बैठकर उड़ गए। गणेश जी का वाहन चूहा है तो उन्हें अपना दिमाग दौड़ाया। गणेश जी ने तुरंत ही माता-पिता यानी शिव-पार्वती की परिक्रमा कर ली और कहा कि मेरे तो आप दोनों ही पूरा संसार हैं। ये बात सुनकर शिव जी और पार्वती जी बहुत प्रसन्न हो गए। शिव जी ने गणेश जी को प्रथम पूज्य होने का वरदान दे दिया। कार्तिकेय स्वामी संसार की परिक्रमा करके आए तो उन्हें थोड़ा ज्यादा समय लग गया। वापस लौटकर कार्तिकेय स्वामी ने देखा कि गणेश का विवाह हो गया है। पूरी बात मालूम हुई तो कार्तिकेय स्वामी नाराज हो गए। नाराज होकर कार्तिकेय स्वामी क्रोंच पर्वत पर चले गए। ये क्रोंच पर्वत आज दक्षिण भारत में कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के तट पर है। इसे श्रीपर्वत भी कहते हैं। माता-पिता ने कार्तिकेय स्वामी को मनाने की बहुत कोशिश की, लेकिन कार्तिकेय का गुस्सा खत्म नहीं हुआ। जब बहुत कोशिशों के बाद भी शिव-पार्वती कार्तिकेय स्वामी को मना नहीं पाए तो उन्होंने तय किया कि अब से वे हर माह की अमावस्या पर शिव जी और पूर्णिमा पर पार्वती जी कार्तिकेय से मिलने क्रोंच पर्वत पर जाएंगी। इसलिए श्रीपर्वत के मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग में शिव जी और पार्वती जी, इन दोनों की ज्योतियां हैं। मल्लिका यानी पार्वती और अर्जुन यानी शिव जी। इस कहानी का संदेश यह है कि माता-पिता अपनी नाराज संतान को मनाने के लिए पूरी कोशिश करते हैं। बच्चों को भी अपने माता-पिता की भावना का ध्यान रखना चाहिए। बच्चे अलग अपनी जिम्मेदारी नहीं समझते हैं तो माता-पिता को ही उन्हें थोड़ा प्रेम से समझाना चाहिए। ©Kumar Vinod गणेश का विवाह हो