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Dr Jayanti Pandey
झूठ की चाशनी बड़ी मीठी है जनाब कानों में मिस्री सी घुलती, करती आदत खराब फिर सच की खुश्की कौन सुन पाता है उसे तो किसी अंधेरे कोने में धकियाया जाता है NDTV की निधि राजदान एक मीठे स्वर में बोले गये झूठ का शिकार हो गयीं। उन्हें हावर्ड यूनिवर्सिटी से बिना किसी प्रयास के एसोसिएट प्रोफेसर बनने क
Ravendra
krishna kant
vinay vishwasi
सरकार की उदासीनता या कोर्ट की मेहरबानी। लाखों अभ्यर्थी जी रहे हैं कैसे ये जिंदगानी। डेढ़ साल पहले आयी NCTE की गाइडलाइन। बी.एड. वालों को तो मिल गयी लाइफलाइन। प्राईमरी का टीईटी देने को मिला जो मौका। सबने कर मेहनत लगाया फिर तो चौका। आया उसके बाद सुपरटेट का नोटिफिकेशन। जनवरी में दे दिया सबने ये एग्जामिनेशन। 15 फरवरी को था नियुक्ति- पत्र देने का वादा। था सामने लोकसभा चुनाव तो जोश था ज्यादा। जो शि.मि.फेल थे वे भर्ती कोर्ट में फँसा दिए। योग्य के हक़ में ही अपनी नजरें धँसा दिए। लगता रोज -रोज 'डेट' केवल 'डेट' के लिए। रोज मोबाइल पर चिपके रहे अपडेट के लिए। कभी सरकार कभी कोर्ट ने रुलाया है। देखते ही देखते एक वर्ष बीत आया है। अब तो डेट भी न लगता अपने केस के लिए। क्या शिक्षा से भी बड़ा है, कुछ देश के लिए। सभी अभ्यर्थियों का अब सुन लो पुकार। जगे हो या सो गए आप भी सरकार। सरकार की उदासीनता या कोर्ट की मेहरबानी। लाखों अभ्यर्थी जी रहे हैं कैसे ये जिंदगानी। डेढ़ साल पहले आयी NCTE की गाइडलाइन। बी.एड. वालों को
Mamta Singh
आप सब काे अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस की बहुत शुभकामना🙏🙏🙏🙏🙏🙏 पूरी कहानी अनुशीर्षक में... आज सुबह से ही ,बार-बार दयाल साहब का फाेन आ रहा था।दयाल साहब मीरा के पिताजी के मित्र और स्थानीय अखबार के संपादक भी थे।बार -बार, फाेन के रिंग
Srk writes
एक दिन अपना पत्र मुझ पे नाज़िल हो गया,, 🤎 उस को पढ़ते ही मिरी सारी ख़ताएँ मर गईं ©Srk writes #पत्र,, प्रेम पत्र
Mahendra Bandhu
बात को समझिये फ़िर तर्क कुतर्क करिये रसखान रहीम के इस देश में ये कैसा कुतर्क है कि मुस्लिम संस्कृत नहीं पढ़ा सकता.? संस्कृत जैसे विषय में जहां एकेडमिक करियर का स्कोप बेहद छोटा होता है, वहां कोई मुस्लिम आखिर बिना संस्कृत में रुचि के संस्कृत इस स्तर तक क्यों पढ़ेगा कि वो प्रोफेसर हो सके.? और अगर किसी व्यक्ति में इतना समर्पण है तो ये क्या मायने रखता है कि व्यक्ति का धर्म क्या है.? कई हिन्दू अलग अलग जगहों पर अरबी, उर्दू, फारसी के टीचर हैं और कई मुस्लिम संस्कृत पढ़ा रहे हैं.! B H U छात्र मुस्लिम प्रोफेसर के संस्कृत पढ़ाने का विरोध नही कर है। दरअसल, BHU में किसी भी दूसरी यूनिवर्सिटी की तरह एक संस्कृत का विभाग है। लेकिन महामना के इस विद्या केंद्र में बाकी विश्वविद्यालयों से अलग एक अतिरिक्त संस्कृत धर्म विज्ञान संकाय है। फिरोज खान की नियुक्ति संस्कृत विभाग में नहीं धर्म विज्ञान संकाय में हुई है। धर्म विज्ञान संकाय वो विभाग है जहां मुख्यतः संस्कृत भाषा की पढ़ाई नहीं, वैदिक कर्मकाण्ड और पूजा पद्धति का प्रशिक्षण होता है। सरल भाषा में - धर्म विज्ञान संकाय में पुजारी, पुरोहित, धर्मगुरु बनने का प्रशिक्षण होता है। छात्रों का कहना है कि संस्कृत भाषा कोई भी व्यक्ति पढ़ा सकता है, लेकिन धर्मगुरु बनने का प्रशिक्षण वो कैसे दे सकता है जो खुद उस धर्म का है ही नहीं.!! अरबी, फारसी कोई हिन्दू मुस्लिम ईसाई पढ़ा सकता है, लेकिन मौलवी, काज़ी बनने नमाज़ पढ़ने की ट्रेनिंग वो कैसे देगा जो खुद एक बार भी नमाज़ अदा न करता हो.! जैसे कि बैपटाइजेशन करने की ट्रेनिंग कोई हिन्दू बौद्ध जैन गुरु नहीं दे सकता भले ही वो खुद कितना भी जानकार क्यों न हो.!! छात्रों का तर्क है कि सेना में सभी धर्मो के धर्मगुरुओं की पोस्ट निकलती है और किसी धर्म के धर्मगुरु की पोस्ट के लिए उसी धर्म का अनुयाई ही आवेदन कर सकता है। इसमें आपत्ति का क्या विषय है। लिहाजा फिरोज़ खान को धर्म विज्ञान विभाग की जगह संस्कृत विभाग में अपॉइंटमेंट दे दिया जाए जहां वो संस्कृत पढ़ाएं। ये छात्रों के तर्क हैं। आप इस तर्क से भी इनकार नहीं कर सकते कि विचारधारा बुद्धि और हृदय संचालित होती है। धार्मिक विचारधारा को कोई ऐसा व्यक्ति जो स्वयं किसी और विचारधारा का मानने वाला हो वह कैसे उसकी दीक्षा दे सकता है? निष्कर्ष आप निकाल सकते हैं। लेकिन निष्कर्ष निकालते समय धैर्य आवश्यक है। संस्कृत में धैर्य और धर्म एक ही 'धारण' क्रिया से बने हैं। धर्म की व्युत्पत्ति है- "धार्यते इति धर्मः"। अर्थात् जो धारण करे वो धर्म है। इसलिए धैर्य हर जगह आवश्यक है, लेकिन धर्म के विषय में धैर्य विशेष आवश्यक है.! संस्कृत विद्या धर्म संकाय में मुस्लिम प्रोफेसर नियुक्ति विवाद
Ek villain
चुनाव आयोग में नियुक्ति पर विवाद संबंधी समाचार बहुत संवेदनशील विषय पर गंभीरता विचार विमर्श की आवश्यकता को बल देते हैं चुनाव आयोग सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की नियुक्ति बहुत समय से विवाद का विषय बनती रहती है यहां तक कि उच्चतम न्यायालय की नियुक्तियां भी विवाद ग्रस्त रहती है और कभी विपक्ष दल और स्वयं न्यायधीश महोदय खुलेआम अपने विरोध व्यक्त करते हैं हमारे देश में आर्थिक सुधार मोदी सरकार में बहुत बड़े स्तर पर लाए गए हैं जिसका प्रभाव स्पष्ट रूप से लक्षित होता है परंतु अब प्रशासनिक सुधारों का समय भी आ गया है ©Ek villain #Travel #चुनाव आयोग में नियुक्ति पर विवाद संबंधी समाचार
पूर्वार्थ
पत्र प्रेम भरा जब मैने उसे लिखा, उस कागज में उनका ही चेहरा दिखा, फिर याद आया उनका फंसाना, वो भूल गए हमें याद है वो मौसम सुहाना, लिखा की तुम बिन अधूरे है हम, तुम्हारी ही याद हमें हर रोज है आती, कभी तो जागते रहते है रातों को करवटें बदलकर, कभी आंखों में ही कट जाती है रातें, कभी दिल बहुत उदास होता है, जब तुम्हारा ही अहसास होता है, लाख रहें मेरे पास हरदम खोए रहते है, ये दिल तो सिर्फ़ तुम्हारे ही पास होता है, फूल खिलते है रोज बिन तेरे क्या सुगंध, तुम्हारे लिए ही शायद है उनमें सुगंध, ऋतु बदली मौसम बदला हम खुद न बदलपाएं, ये प्रेम की रीत है चलो हम ही इसे निभाएं, खुश तो हो तुम भी हमारा है क्या, रहना नित हंसते हुए इससे अच्छा क्या, हंसी तुम्हारी रोते को हंसा देती है, दुखियों के सब दर्द मिटा देती है, आंखे तो सच में बहुत ही प्यारी है, ये सिर्फ़ प्रेम बरसाने बाली है, चेहरा दिल को बहुत शुकून देता है, शून्य को भी शिखर कर देता है, पत्र नही ये दिल के जज्बात है, इस दिल के सबसे ख़ास ही आप है,, ©पूर्वार्थ #पत्र