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shalini jha
रिस रिस घावों से गुज़रती रही है ज़िन्दगी आक्रोश में पलती पिघलती रही है ज़िन्दगी समय संदर्भ पर उफनती मौन उबाल नयनों से बूंद बूंद ढ़लकती रही है ज़िन्दगी क्या मिला क्या न मिला किसका करे मलाल हाल से बेहाल में बदलती रही है ज़िन्दगी नाव पर सवार नदी की बहती धार स्नेह संग भीगती पलटती रही है ज़िन्दगी उमंग संग झूमती झुलसती प्रेम प्रपात खोज़ में भरपूर की भटकती रही है ज़िन्दगी रीत प्रीत से छली पहने काजल कोर मेघ को पुकारती सुलगती रही है ज़िन्दगी ©shalini jha रिस रिस घावों से गुज़रती रही है ज़िन्दगी आक्रोश में पलती पिघलती रही है ज़िन्दगी समय संदर्भ पर उफनती मौन उबाल नयनों से बूंद बूंद ढ़लकती रह
Er.Shivampandit
#प्रिया राईटर है, शांत समंदर है सोलह कलाएं छूपी हुई जिसके अन्दर है सुन्दर प्रभात सी पिघलती बर्फ से गिरता हुआ प्रपात सी
Foundation Persnickety (Rishav Bhardwaj)
कातर प्रणय विराग (A neo - romantic poem : छायावाद) -: Erotica कातर प्रणय विराग (A neo - romantic poem : छायावाद) -: Erotica .......................................................... कातर स्वर में प्रेम
Sujata Darekar
प्यासी हूँ, चली आती हूँ आबशार के पास.... पर इसे कौनसी प्यास है जो गिरता और बहता है दूर दूर तक.... Improve ur urdu By following Md writer.. हाज़िर हूँ आपकी ख़िदमत में एक औऱ आसान से लफ्ज़ "आबशार" के साथ, चलिये शुरुआत करते हैं एक छोटे से Coll
अरफ़ान भोपाली
भोपाल रियासत का हूँ नही पर लिखता भोपाली हूँ झरनों और सफ़ेद शेरों के शहर रीवा रियासत से हूं भोपाल रियासत का हूँ नही पर लिखता भोपाली हूँ रीवा रियासत का रहने वाला सफ़ेद शेरों के शहर से हूँ यही रियासत है जिसने दुनिया को पहला सफ़ेद शेर
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
................................नही होते ? हमने देखा है,ये तजुर्बा करके,इश्क़ देता है सज़ा किसी को इंतेखाब करके/१ इश्क में कौन,किसे कैसे,हासिल हुआ है,कोई पाकीजा इश्क़ भला मुकम्मल कब हुआ है//२ फना हों जाना ही इश्क है,तो यही_सही, मुहब्बत में मुहब्बत का हासिल कब हुआ है//३ मुहब्बत में महबूब की सलामती की,दुआएं करते करते, ये इश्क़ हमेशा इबादत सा हुआ है//४ ऐ इश्क़ तेरे सदके हर गम कूबूल करते है,"शमा"जाँ तो सब फिदा करते है,हम अपनी जीस्त को तेरे नाम करते है//५ shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak #NojotoStreak हमने देखा है,ये*तजुर्बा करके,इश्क़ देता है सज़ा किसी को*इंतेखाब करके//*knowladge*चुनाव इश्क में कौन,किसे कैसे,हासिल हुआ है,कोई
Vijay Tyagi
"पेड़ की ठूँठ से... निकली है कोंपले देने को संदेश...." शेष नीचे अनुशीर्षक में पढ़ें... 🙏🙏 Vijay Tyagi "पेड़ की ठूँठ से" पेड़ की ठूँठ से निकली हैं कोंपले देने को संदेश नव उद्गम का नव आशा का, सृजन की नवभाषा का प्रकृति की प्रदत प्रकृति
pushpraj singh RANA
Geetika Chalal
हमें प्रेम में रहने दो। प्रश्न अनेक उठेंगे अब हमारे प्रेम पर, गर्जन तुम्हारी मौनता की आक्रामक थी। काले मेघ बरस रहे, अभी और बरसेंगे। मेरी चपलता, तुम्हारी मौनता में विलीन थी। ये संचित प्रेम, प्रवाह से कब जल-प्रपात बना? कब दुविधाओं ने तुम्हें मुक्त किया? कैसे साहस ने तुम्हारा आलिंगन किया? ये मौनता का बाँध कैसे तुमने तोड़ लिया? मैं मानती रही अभागा स्वयं को। मेरी प्रतीक्षा का अंत न था। मैंने स्वीकारा - मैं सीता न थी। मैं दासी तुम्हारी, मैं मात्र मीरा। चक्रव्यूह अति जटिल है अब भी जाति का, धर्म का, कुल का, गोत्र का। तुममें-मुझमें, क्या सामर्थ्य है इसे तोड़ने का? चक्रव्यूह अति जटिल है अब भी दर्प में लिप्त नीति का, आडंबर में लिप्त समाज का। तुममें-मुझमें, क्या सामर्थ्य है इसे तोड़ने का? मैं निश्चिन्त हूं अब कि तुमने स्वीकारा मुझे। मैं निश्चिन्त हूं अब कि ये प्रेम कुंचित मर्म नहीं। मुझे इस क्षण हर्ष में जीने दो। मेरा ईश्वर भी जनता है - निस्वार्थ प्रेम का कोई अंत नहीं। तुम्हारी मौनता ने सिद्ध किया - प्रेम का स्वरूप केवल विवाह नहीं। तुम्हारी गर्जन ने सिद्ध किया - प्रेम में कोई भेद नहीं। निवेदन! इस समाज से। प्रार्थना! प्रत्येक नीति से। हमें मौन रहने दो। कोई प्रश्न ना करो। सब स्पष्ट है। अब केवल हमें प्रेम में रहने दो। (गीतिका चलाल) @geetikachalal04 ©Geetika Chalal हमें प्रेम में रहने दो। By-गीतिका चलाल हमें प्रेम में रहने दो। प्रश्न अनेक उठेंगे अब हमारे प्रेम पर, गर्जन तुम्हारी मौनता की आक्रामक थी। क
Unconditiona L💓ve😉
🌱झरना 🌱 कुछ यादें बचपन की आज जीने को मिला..! फिर से बच्चा बन उछलने को मिला..! तो सारी परेशानियों को भूल ख़ुद को ढूंढ़ने को मिला...! इन दिनों बहुत ज़्यादा बारिश हो रही है यहाँ, रात हुई मूसलाधार वर्षा के बाद सुबह देखा गिरते वेग से एक जल प्रपात..! जिसकी आवाज से कोसों दूर गूंज