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Ishvarchand vidyasagar

विद्यासागर

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वक़्त घड़ी की सुईओं के साथ बीत रहा था, और एकाएक मुझे एहसास हुआ कि उसे हमें छोड़कर कही दूर चले जाना चाहिए विद्यासागर

Madhur Bhaiji

विद्यासागर

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डगमग मैं जिस भव सागर में 
उस सागर की तू शान है,
मैं कश्ती कच्ची कागज की
पर तू विशाल जलयान है।

हो मोक्ष पंथ के राही तुम
 इतनी अर्जी बस सुन लेना,
हमको भी पार निकलना है
कुछ हम खेते कुछ तुम खेना ।।

                                      ✍ मधुर भाईजी विद्यासागर

Madhur Bhaiji

विद्यासागर महाराज

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डगमग हम जिस भवसागर में
उस सागर की तुम शान हो
मैं कश्ती कच्ची कागज की
पर तुम विशाल जलयान हो

तुम मोक्षपंथ के राही हो
इतनी अर्जी बस सुन लेना
हमको भी पार निकलना है
कुछ हम खेते कुछ तुम खेना
                        ✍ मधुर भाईजी विद्यासागर महाराज

Anjani Upadhyay

कवि विद्याधर विज्ञ

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कवि विद्याधर विज्ञ

©Anjani Upadhyay कवि विद्याधर विज्ञ

'Bharat' Sachin

#आचार्य विद्यासागर जी महाराज #आचार्य_विद्यासागर_महाराज

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# गुरुवर विद्यासागर #

"अंकित मेरे भावों में सदा से ही ये बात है,
मेरे मन में भी गुरुवर समर्पण के भावार्थ हैं।
जिनके चरणों में रहूँगा,
मैं जीवन भर नतमस्तक,
वो एक मेरे माँ-बाप हैं, 
और दूसरे आप हैं।।"....✍🏻

- 'भारत' सचिन #आचार्य विद्यासागर जी महाराज
#आचार्य_विद्यासागर_महाराज

Vini Patel

पुस्तक। #વિચાર

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मेने मेरे सर से पूछा :- सर इन्सान को बदलना हैं तो केसे बदले?

सर ने कहा:- इन्सान अनुभव से बदलता है।

मेने कहाँ:- सर इन्सान चाहे तो वो अच्छे पुस्तक पढ़ने से भी बदल सकता है। पुस्तक।

Mahendra Maddheshiya

हिन्दी कविता - आवाज़ तुम्हारी पुस्तक - युगभारती से

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Sankranti

कवी - के. गणेश

पुस्तक..

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आयुष्य वाचलेल्या पानासारखं
आठवणींनी मनात भरावं..
आपण संपलो तरीही
आपलं अस्तित्व उरावं..! पुस्तक..

Bharat

पुस्तक

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कभी वो मेरे पास आने से कटराती थी 
आज तो वो हमेशा मेरे संग को बतलाती है

क्योकि मैने मन से उसको अपना बनाया था
कभी उसको मैने अपनी सांस समाया था

जब से मैने उसको अपने कर में थामा है
तब से इस जहां ने मुझे संग से जाना है 

रात-रात भर उसके संग में बतियाता हूँ
समय आने पर उसको में हथियाता हूँ पुस्तक
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