Find the Latest Status about विद्याधर से विद्यासागर पुस्तक from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, विद्याधर से विद्यासागर पुस्तक.
Ishvarchand vidyasagar
वक़्त घड़ी की सुईओं के साथ बीत रहा था, और एकाएक मुझे एहसास हुआ कि उसे हमें छोड़कर कही दूर चले जाना चाहिए विद्यासागर
Madhur Bhaiji
डगमग मैं जिस भव सागर में उस सागर की तू शान है, मैं कश्ती कच्ची कागज की पर तू विशाल जलयान है। हो मोक्ष पंथ के राही तुम इतनी अर्जी बस सुन लेना, हमको भी पार निकलना है कुछ हम खेते कुछ तुम खेना ।। ✍ मधुर भाईजी विद्यासागर
Madhur Bhaiji
डगमग हम जिस भवसागर में उस सागर की तुम शान हो मैं कश्ती कच्ची कागज की पर तुम विशाल जलयान हो तुम मोक्षपंथ के राही हो इतनी अर्जी बस सुन लेना हमको भी पार निकलना है कुछ हम खेते कुछ तुम खेना ✍ मधुर भाईजी विद्यासागर महाराज
'Bharat' Sachin
# गुरुवर विद्यासागर # "अंकित मेरे भावों में सदा से ही ये बात है, मेरे मन में भी गुरुवर समर्पण के भावार्थ हैं। जिनके चरणों में रहूँगा, मैं जीवन भर नतमस्तक, वो एक मेरे माँ-बाप हैं, और दूसरे आप हैं।।"....✍🏻 - 'भारत' सचिन #आचार्य विद्यासागर जी महाराज #आचार्य_विद्यासागर_महाराज
Vini Patel
मेने मेरे सर से पूछा :- सर इन्सान को बदलना हैं तो केसे बदले? सर ने कहा:- इन्सान अनुभव से बदलता है। मेने कहाँ:- सर इन्सान चाहे तो वो अच्छे पुस्तक पढ़ने से भी बदल सकता है। पुस्तक।
Sankranti
क्या मैं इतनी बुरी हूं.... पुस्तक सोई पुस्तकालय में बोली इतने दिन चुप रहने के बाद आज वो अपना मुंह खोली मुस्किल से कोई मुझे ले जाता है वो भी रख मुझे टेबल पर सामने मेरे सो जाता है क्या मैं इतनी बुरी हूं.... मैं एक जगह रखे रखे थक जाती हूं एक बार भी तो वो मुझे खोलकर देख ले इसके लिए तरस जाती हूं जब वो बाहर जाता फोन साथ ले जाता जब वापस आता फोन में लग जाता वो तो मेरा ख्याल ही भूल जाता है क्या मैं इतनी बुरी हूं.... मैं मददगार..., इतनी काम की हूं फिर भी क्यों लगती बेकार हूं कुछ तो देख मुझे अजीब सी शक्ल बनाते जैसे लिखा हो मुझमें ऐसा कुछ जिसे देख वो डर जाते क्या मैं इतनी बुरी हूं.... ©Sankranti #पुस्तक
कवी - के. गणेश
आयुष्य वाचलेल्या पानासारखं आठवणींनी मनात भरावं.. आपण संपलो तरीही आपलं अस्तित्व उरावं..! पुस्तक..
Bharat
कभी वो मेरे पास आने से कटराती थी आज तो वो हमेशा मेरे संग को बतलाती है क्योकि मैने मन से उसको अपना बनाया था कभी उसको मैने अपनी सांस समाया था जब से मैने उसको अपने कर में थामा है तब से इस जहां ने मुझे संग से जाना है रात-रात भर उसके संग में बतियाता हूँ समय आने पर उसको में हथियाता हूँ पुस्तक