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Vaishali Kahale
Pnkj Dixit
🌷खुशी या ग़म 🌷 "उदित सब सामान रख लिया न बाबू , हरी मिर्च का अचार , घी का डिब्बा.... ओर " "उफ्फ ममा ! बच्चा नहीं हूँ मैं , आईआईटी टॉपर हूँ .. ओर ... ओर इन सबकी कोई जरूरत नहीं है, बाजार से सब मिल जाएगा ।" "पर बाबू ! माँ के हाथ ..... " "अरे बस करो ना तुम भी । गधे की तरह लाद दोगी क्या ? मेरा बेटा पढ़ने जा रहा है कोई मजदूरी करने नहीं ।" .... उदित ! तू निकाल इन सबको । "पापा रहने दो ना , ममा ने कितने प्यार से बनाया है भैया के लिए ... भैया की पसंद है न ये , क्यों भैया , है न ।" "तू चुप रह चुहिया , तू तो बोलिए भी मत .... साथ चलने वाली थी और पकड़ लिया ये बिस्तर । " अब मेरी हेल्प कौन करेगी ? सॉरी भैया ! मुझे क्या पता था जरा-सी लापरवाही इतना बड़ा रोग लगा देगी ।... ओए सुन हीरो ! आई एम सो हेप्पी , मेरे भाई ने डिस्ट्रिक्ट में नाम कमाया है । अच्छा चल जल्दी कर बेटा ; ये वाली ट्रेन निकल गई तो पूरे चार घंटे इंतजार करना पड़ेगा । सुनो ! ज्योति को आधे घंटे बाद दवाई दे देना । अब हम चलते हैं । किरन बेटे और सूरज को छोड़ने चौखट तक आई । "बाय ममा, बाय दीदी" ख्याल रखना अपना । चारपाई पर लेटे-लेटे ही ज्योति ने भाई को निहारा , हाथ उठाकर "बाय" बोलने की ताकत उसमें नहीं बची थी । जब तक बाप-बेटे आंखों से ओझल नहीं हो गए किरन चौखट के सहारे खड़ी होकर देखती रही ; फिर उसने ज्योति की तरफ देखा । बेटी की आंखों से आंसुओं का झरना फूटता हुआ उसके सूख चुके गालों से होते हुए तकिए को भीगो रहा था । किरन के सब्र का बांध टूट गया । वह निढाल - सी होकर वहीं चौखट के पास बैठ गई और मुँह में साड़ी का पल्लू ठूंस लिया । बेजान आंखों से टप-टप आँसू गिरने लगे । किरन समझ नहीं पा रही थी कि आखिर इस पल को वो क्या नाम दें ... खुशी या ग़म । २३/०७/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' 🌷खुशी या ग़म 🌷 "उदित सब सामान रख लिया न बाबू , हरी मिर्च का अचार , घी का डिब्बा.... ओर " "उफ्फ ममा ! बच्चा नहीं हूँ मैं , आईआईटी ट
Faizi Khan
Amit Singhal "Aseemit"
माँ के हाथों से बना हुआ स्वादिष्ट आम का अचार, खाते हुए लगता है जैसे मिल गया हो उनका दुलार। ©Amit Singhal "Aseemit" #आम #का #अचार
Raja
आचार विचार घटना क्रम चक्र 😹😹*"आंसू" जता देते है, "दर्द" कैसा है?* *"बेरूखी" बता देती है, "हमदर्द" कैसा है?*🙉🙉 🙋🙋*"घमण्ड" बता देता है, "पैसा" कितना है?* *"संस्कार" बता देते है, "परिवार" कैसा है?*🙏🙏 😒😒*"बोली" बता देती है, "इंसान" कैसा है?* *"बहस" बता देती है, "ज्ञान" कैसा है?*🕴🕴 👣👣*"ठोकर" बता देती है, "ध्यान" कैसा है?* *"नजरें" बता देती है, "सूरत" कैसी है?*🙎🙎 💅💅*"स्पर्श" बता देता है, "नीयत" कैसी है?* *और "वक़्त" बता देता है, "रिश्ता" कैसा है!*💔💔 *सुंदर पंक्ती* *कहीं ना कहीं कर्मों का डर है !*👨👩👧👦👫👩👩👧👦 *नहीं तो गंगा पर इतनी भीड़ क्यों है?* 👸👸*जो कर्म को समझता है उसे* *धर्म को समझने की जरुरत ही नहीं* *पाप शरीर नहीं करता विचार करते है*🙉🙉 🐟🐟🐟और गंगा विचारों को नहीं !* *सिर्फ शरीर को धोती है |*🙆🙆 *"शब्दों का महत्व तो !*🙏🙏 🙏🙏*बोलने के भाव से पता चलता है ,* *वरना "वेलकम" तो*🙏🙏 *पायदान पर भी लिखा होता है"।*🙏🙏 (लेखक) संजीव सौंसरवार अचार /विचार
Vaishali Kahale
Spn Lohra