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Ravendra
Ravendra
Vedantika
टूट जाते है रिश्ते तो ज़िंदगी रुकती नही बस गलतफहमियां फिर आगे बढ़ती नहीं मिलते है नए रिश्ते तुझको हर मोड़ पर तेरे दिल की ख़लिश तब भी मिटती नहीं रिश्ते निधि और आयुष आज आमने सामने आ गए थे या फिर यूँ कहे कि किस्मत उन्हें एक बार फिर एक दूसरे के सामने लेकर आ गई थी तो गलत नहीं होगा। दोनो
Vandana
जब चेहरे में इतनी खूबसूरत हंसी थी तो बोलो क्या कुछ कमी थी,,, बहुत कुछ पा लिया अब तो बोलो कहां गुम है वह हंसी,,, चलो हंसने के बहाने ढूंढते हैं बचकानी बातों में खिलखिलाकर हंसते हैं,,,, छोड़ो भी अब क्यों इतना समझदार बनते हो क्यों उलझे रहते हो क्यों बिगड़
CalmKazi
//उपहार// “बड़े दिनों से सोचा है, आज ज़रूर ख़रीदूँगा” दानिश के कमज़ोर कंधे आज पसीने से तर हो चले थे। मज़दूरी का रोज़गार आज कुछ काम आने वाला था। वह राह चलते मंटू से बाज़ार का रास्ता पूछता निकल गया। उसकी रोज़ की मैली बनियान आज चूँकि तर हो चुकी थी तो कोयले सी खाल पर गमछे सी पड़ी थी। अपनी मुट्ठी में कुछ सिक्के और नोट पकड़े वो बरबस फलाँगे भरता उस सड़क पर चल पड़ा। #thumbsizedstories #ep47 //उपहार// “बड़े दिनों से सोचा है, आज ज़रूर ख़रीदूँगा” दानिश के कमज़ोर कंधे आज पसीने से तर हो चले थे। मज़दूरी का
PARBHASH KMUAR
किसीको मुझसे🙂 कोई शिकायत ☹हो, तो एक ☝पर्ची 📃में लिखकर ✍डस्टबीन में डाल ✊दो !!😉 ©PARBHASH KMUAR किसीको मुझसे🙂 कोई शिकायत ☹हो, तो एक ☝पर्ची 📃में लिखकर ✍डस्टबीन में डाल ✊दो !!😉
Kasim Crestfallen
कभी हर बात टाल देना, कभी खुल कर बात करना, कभी चुप चाप सुन्ना मुझे, कभी ढेरों सवालात करना, परिपक्व हो तुम कितनी, मग़र फिर भी बच्ची लगती हो, अरे तुम मुझे ऎसी ही अच्छी लगती हो। वो तुम्हारा यूँ ही नाराज़ हो जाना, और फिर जल्द मान जाना, अजनबी होने का एहसास दिलाना, फ़िर करीब से पहचान जाना, कई बेतुके मज़ाक लाज़मी, मुझे फिर भी तुम सच्ची लगती हो, तुम्हारी बनावटी खुशी, ऎसी ही अच्छी लगती हो। ग़लतफ़हमियाँ पालना, फ़िर झगड़ना मुसलसल, कुछ देर का वकफ़ा और फिर माफी मुसलसल, यूँ नोक झोंक में भी तुम थोड़ी कच्ची लगती हो, अस्थायी नाराज़गी, ऎसी ही अच्छी लगती हो। दूर हो तुम काफी, मग़र दूरी ना हो बीच हमारे, दोस्ती कायम रहे, साफ दिल के दहलीज़ हमारे, किसी खूबसूरत किस्से की, तुम हूबहू पर्ची लगती हो, हाँ तुम मुझे हर तरह से अच्छी लगती हो। ऎसी ही अच्छी लगती हो! मुसलसल = continuously वकफ़ा = break पर्ची = piece of paper अस्थायी = temporary
VATSA
वो काफ़िर फ़रिश्ते तुम्हारे। झूठ फ़रेब का फ़र्क़ जो समझाते हैं हर मुस्कान पर झकझोर के जगाते हैं वही मगरूर दिल के पास हैं ज़माने के जिनके ठेके हैं सलीक़ा सिखाने के वो काफ़िर फ़रिश्ते तुम्हारे। मेरे ख़्वाबों को चुरा कर रोज़ सोने देते हैं शिकायतों की पर्ची मेरी बहुत कम लेते हैं हर नुक्कड़ पे इनके चेहरे बदल जाते हैं जो दूर चाँद को मेरा मामा बताते है वो काफ़िर फ़रिश्ते तुम्हारे। #फ़रिश्ते #yqbaba #yqdidi #dsvatsa #vatsa #illiteratepoet #yqbaba वो काफ़िर फ़रिश्ते तुम्हारे। झूठ फ़रेब का फ़र्क़ जो समझाते हैं हर मुस्का
Harshita Dawar
एक बिजली के पोल पर एक पर्ची लगी देख कर मैं करीब गया और लिखी तहरीर पढ़ने लगा लिखा था कृपया ज़रूर पढ़ें एक बिजली के पोल पर एक पर्ची लगी देख कर मैं करीब गया और लिखी तहरीर पढ़ने लगा लिखा था कृपया ज़रूर पढ़ें इस रास्ते पर कल मेरा पचास रुपये का
V.boy Arun 9151