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theABHAYSINGH_BIPIN
White इस तबाही का जश्न कौन मनाएगा, टूटा है दिल मेरा, जाम कौन उठाएगा। सुना है मैखाने हर दर्द का मर्ज हैं यारों, वहाँ तक मुझको कौन ले जाएगा। ज़ख़्मी दिल की दवा कहाँ मिलती है, मुझे भी उस गली का पता बताएगा। जहाँ टूटे अरमानों का सवेरा होता है, जो ग़म के अंधेरों में चिराग़ जलाएगा। ग़म का समंदर यहाँ गहरा है बहुत, डूबते दिल को साहिल कौन दिखाएगा। जो हारे हैं मोहब्बत की बाज़ी यहाँ, उनका मुक़द्दर फिर कौन बनाएगा। इन रास्तों में अकेले ही चलना है अब, साथ कोई नहीं जो साथ निभाएगा। फिर भी दिल में यही एक सवाल बाकी है, इस तबाही का जश्न कौन मनाएगा। ©theABHAYSINGH_BIPIN #GoodNight इस तबाही का जश्न कौन मनाएगा, टूटा है दिल मेरा, जाम कौन उठाएगा। सुना है मैखाने हर दर्द का मर्ज हैं यारों, वहाँ तक मुझको कौन ले जा
#GoodNight इस तबाही का जश्न कौन मनाएगा, टूटा है दिल मेरा, जाम कौन उठाएगा। सुना है मैखाने हर दर्द का मर्ज हैं यारों, वहाँ तक मुझको कौन ले जा
read moreनवनीत ठाकुर
इक उमर की चाहत थी, इक लम्हे की दस्तक, दरवाज़ा खुला तो ख्वाबों का सफर निकला। जो दिन था मुक़द्दर का, वो भी कुछ यूँ बीता, जैसे काग़ज़ पर गिरा, पानी का असर निकला। अरमान सजे थे जिनसे रोशन मेरी दुनिया, वो चिराग़ जला लेकिन हवा का असर निकला। मिलन की घड़ी आई तो जुदाई के साए थे, जिसे चाहा था अपना, वो भी बेख़बर निकला। ख़्वाबों की हक़ीक़त में जो देखा था कभी हमने, आईना दिखाया तो हर शक्ल बदल निकला। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर इक उमर की चाहत थी, इक लम्हे की दस्तक, दरवाज़ा खुला तो ख्वाबों का सफर निकला। जो दिन था मुक़द्दर का, वो भी कुछ यूँ बीता, जैसे का
#नवनीतठाकुर इक उमर की चाहत थी, इक लम्हे की दस्तक, दरवाज़ा खुला तो ख्वाबों का सफर निकला। जो दिन था मुक़द्दर का, वो भी कुछ यूँ बीता, जैसे का
read moreEpic Echo
बिल्ला चिराग हिला कर जिन्न बन गया 🌚😂। EpicEcho । #shortsvideo wcomedy" class="text-blue-400" target="_blank">wcomedy video wcomedy" class="text-blue-400" target="_blank">wcomedy
read more#Mr.India
White ख़्वाहिशें तो बेपनाह हैं, मगर ख़ुद को तरसाना अभी बाक़ी है, सफ़र पर निकले हैं, लेकिन मंज़िल तक पहुंचना अभी बाक़ी है। उम्मीदें पलती हैं, फिर पल में बिखर जाती हैं, ठोकर लगती है तो ज़िंदगी रुककर ख़ुद सँभल जाती है। हर मोड़ पर आफ़तें हैं, हर रास्ता अजनबी है, सिरफ़रोशी का जज़्बा है, यही हमारी तलब है। तूफ़ानों में चलने का इरादा हमने बांधा है, जहाँ सहर नहीं, वहीं एक चिराग़ हमने जलाया है। हवा के रुख़ से डरकर हम क़दम पीछे नहीं करते, सूरज की तपिश में भी साया ढूंढ लिया करते। मंज़िल नहीं तो क्या हुआ, सफ़र का मज़ा लिया जाएगा, हर गिरते पत्थर को राह का नक़्शा बनाया जाएगा। ©#Mr.India ख़्वाहिशें तो बेपनाह हैं, मगर ख़ुद को तरसाना अभी बाक़ी है, सफ़र पर निकले हैं, लेकिन मंज़िल तक पहुंचना अभी बाक़ी है। उम्मीदें पलती हैं, फिर प
ख़्वाहिशें तो बेपनाह हैं, मगर ख़ुद को तरसाना अभी बाक़ी है, सफ़र पर निकले हैं, लेकिन मंज़िल तक पहुंचना अभी बाक़ी है। उम्मीदें पलती हैं, फिर प
read moreनवनीत ठाकुर
White उम्मीद की लौ हो, तो टूटे दिलों में उम्मीद भर दे, बुझते चिराग़ों को फिर जलने पर मजबूर कर दे। अंधेरों में भी रोशनी का सुराग दे, बुझते चिराग को उम्मीद से जलने की चाहत दे। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर उम्मीद की लौ हो, तो टूटे दिलों में उम्मीद भर दे, बुझते चिराग़ों को फिर जलने पर मजबूर कर दे। अंधेरों में भी रोशनी का सुराग दे,
#नवनीतठाकुर उम्मीद की लौ हो, तो टूटे दिलों में उम्मीद भर दे, बुझते चिराग़ों को फिर जलने पर मजबूर कर दे। अंधेरों में भी रोशनी का सुराग दे,
read moreनवनीत ठाकुर
सफर लम्बा है, पर कदम रुकते नहीं, दर्द के साये में हौसले झुकते नहीं। जो तू था कभी मेरी राहों का नूर, अंधेरों में जलते अब चिराग़ कुछ दूर। हर मोड़ पर तेरी खुशबू सी आती है, पर सच्चाई में तन्हाई मुस्कुराती है। आसमान चुप है, सितारे बेगाने हैं, दुआ के हर जवाब में फासले पुराने हैं। दिल के जुनून को आखिर कौन हराएगा? सूरज छुपा सही, पर फिर से आएगा। मंज़िलें मेरी, चाहे तू साथ न हो, ये सफर मेरा है, इंतज़ार तेरा हो न हो। ©नवनीत ठाकुर #जो तू था कभी मेरी राहों का नूर, अंधेरों में जलते अब चिराग़ कुछ दूर। हर मोड़ पर तेरी खुशबू सी आती है, पर सच्चाई में तन्हाई मुस्कुराती है।
#जो तू था कभी मेरी राहों का नूर, अंधेरों में जलते अब चिराग़ कुछ दूर। हर मोड़ पर तेरी खुशबू सी आती है, पर सच्चाई में तन्हाई मुस्कुराती है।
read moreनवनीत ठाकुर
White जीने का हुनर अगर सीखना है, हमसे सीखो, अंधेरों में भी उम्मीद का चिराग जलाना सीखो। भेड़-बकरियों संग चलना हमें कब मंज़ूर, हमारी राहें अलग, हमारा सफर मशहूर। ©नवनीत ठाकुर जीने का हुनर अगर सीखना है, हमसे सीखो, अंधेरों में भी उम्मीद का चिराग जलाना सीखो। भेड़-बकरियों संग चलना हमें कब मंज़ूर, हमारी राहें अलग, हमारा
जीने का हुनर अगर सीखना है, हमसे सीखो, अंधेरों में भी उम्मीद का चिराग जलाना सीखो। भेड़-बकरियों संग चलना हमें कब मंज़ूर, हमारी राहें अलग, हमारा
read moreनवनीत ठाकुर
ऊपरवाले पर रख यक़ीं, इरादों से रौशन हर अधूरी ज़मीं। गर नीयती के तूफां जो आएं भी, नीयत का चिराग़ बुझ ना पाए कभी। ©नवनीत ठाकुर ऊपरवाले पर रख यक़ीं, इरादों से रौशन हर अधूरी ज़मीं। नीयती के तूफां जो भी आएं, नीयत का चिराग़ बुझ ना पाए।
ऊपरवाले पर रख यक़ीं, इरादों से रौशन हर अधूरी ज़मीं। नीयती के तूफां जो भी आएं, नीयत का चिराग़ बुझ ना पाए।
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