Find the Latest Status about ललकारना from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, ललकारना.
Sarbjit sangrurvi
अंत बुरा, है होता, की हुई बदमाशीयो का, तोबा कर लें जल्दी से, इस जैसी ना बात अच्छी होती है। छीन छपट के, किसी को तंग परेशान कर, कमाना खाना, बात अच्छी नहीं, देती बद दुआ जब आत्मा, रोती है। बुरे दिन ना कभी, किसी को दिखाए ख़ुदा, जिस पे हो नजरें कर्म, अनायत तेरी, किस्मत ना सोती है। जो हक़ किसी का, हड़प जाते, उस जालिम को ललकारना अच्छा है। जो शैतान हैवान बन जाते, उन को मारना अच्छा है। यहां कुछ सेवादार हैं अच्छे, हद से ज्यादा लुटेरे हैं। जनता, नेताओं के बल, बुरे चलते कुछ डेरे हैं। ©Sarbjit sangrurvi अंत बुरा, है होता, की हुई बदमाशीयो का, तोबा कर लें जल्दी से, इस जैसी ना बात अच्छी होती है। छीन छपट के, किसी को तंग परेशान कर, कमाना खाना,
Bharat Bhushan pathak
आज बर्बरता की,नारी पर अत्याचार की एक तस्वीर समक्ष आई,उस पर कुछ भाव रखकर पुरुषार्थ को ललकारना चाहुँगा:- क्या मानव तू है मृतक हुआ,शेष नहीं तुझमें पुरुषार्थ। ओ माटी के पुतले सुन तू, सोचे क्यों तू केवल स्वार्थ।। लील रहा जब दानव बेटी, देखे भला क्यों मौन हुआ। अपना कोई पीड़ित ना था,अरे इस कारण गौण हुआ।। अजी वह बस संख्या में एक ,वहाँ पर तुम तो दर्जन थे। नहीं कम शक्ति अच्छाई में, माना अगर वो दुर्जन थे।। अगर साहस से बस हुँकारा,मुँह को कलेजे आ जाते। भय तुम्हें न ही करना था,सुनो वो उलटे भय खाते।। ©Bharat Bhushan pathak आज बर्बरता की,नारी पर अत्याचार की एक तस्वीर समक्ष आई,उस पर कुछ भाव रखकर पुरुषार्थ को ललकारना चाहुँगा:- क्या मानव तू है मृतक हुआ,शेष नहीं तुझ
Bharat Bhushan pathak
आज बर्बरता की,नारी पर अत्याचार की एक तस्वीर समक्ष आई,उस पर कुछ भाव रखकर पुरुषार्थ को ललकारना चाहुँगा:- क्या मानव तू है मृतक हुआ,शेष नहीं तुझमें पुरुषार्थ। ओ माटी के पुतले सुन तू, सोचे क्यों तू केवल स्वार्थ।। लील रहा जब दानव बेटी, देखे भला क्यों मौन हुआ। अपना कोई पीड़ित ना था,अरे इस कारण गौण हुआ।। अजी वह बस संख्या में एक ,वहाँ पर तुम तो दर्जन थे। नहीं कम शक्ति अच्छाई में, माना अगर वो दुर्जन थे।। अगर साहस से बस हुँकारा,मुँह को कलेजे आ जाते। भय तुम्हें न ही करना था,सुनो वो उलटे भय खाते।। ©Bharat Bhushan pathak आज बर्बरता की,नारी पर अत्याचार की एक तस्वीर समक्ष आई,उस पर कुछ भाव रखकर पुरुषार्थ को ललकारना चाहुँगा:- क्या मानव तू है मृतक हुआ,शेष नहीं तुझ
Saket Ranjan Shukla
मंजिलों की ओर यूं कदम बढ़ाता चला मैं, धूल की तरह मुश्किलों को उड़ाता चला मैं, हर मोड़ पर जैसे भूल भुलैया सी हुई ज़िन्दगी, संयम से,अपनी