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के_मीनू_तोष

मरण जब मरण को न कुछ शेष रहे बाकी केवल अवशेष रहें दाह स्वयं का यूँ कर देना फ़िर तुझमें तू न शेष रहे संसार का न कोई क्लेश रहे

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मरण

जब मरण को न कुछ शेष रहे
बाकी केवल अवशेष रहें
दाह स्वयं का यूँ कर देना
फ़िर तुझमें तू न शेष रहे

संसार का न कोई क्लेश रहे
हृदय में न कोई द्वेष रहे
भावों की अर्थी जला देना
बस ब्रह्मा विष्णु महेश रहें

कुंठाओं का न कोई लेश रहे
प्रेम ही केवल विशेष रहे
घृणा की अग्नि बुझा देना
करुणा का तुझमें प्रवेश रहे

द्वैत का न कोई परिवेश रहे
समता का भावावेश रहे
दुभाँति हृदय से मिटा देना
बस एकत्व का समावेश रहे

अस्तित्व पर न छद्मवेश रहे
आत्मज्ञानी सम वेश रहे
यूँ मरण को जीवन बना देना
धनवान सा तू दरवेश रहे

©के मीनू तोष (१७ फरवरी २०१९) #NojotoQuote मरण

जब मरण को न कुछ शेष रहे
बाकी केवल अवशेष रहें
दाह स्वयं का यूँ कर देना
फ़िर तुझमें तू न शेष रहे

संसार का न कोई क्लेश रहे

Rahul Apne

कई बार हम देख नहीं पाते या हम देखना नहीं चाहते...... #फ़ासलाज़रासाथा #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didiतुमने

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तुमने देखा नहीं चाहतों का सिलसिला, हमने कभी मोहब्बत की हसरतों का ऐसा अंजाम सोचा नहीं था,जहां तुम थे जहां मैं था हमारे दरम्या फ़ासला जरा सा था,ये दिल तुम्हारी चाह में बेकरार था, कभी मेरी दुनिया तुम से शुरू तुम पे खत्म हो जाती थी, अपनी जिद में गवां बैठे ना मुझे, अपने गुस्से में रुला बैठे ना मुझे, सब कुछ बदल सकता था, तेरा मेरा साथ लंबा चल सकता था, तुमने मुड़ कर देखा ही नहीं तेरे अक्स के बेहद करीब थी मेरी परछाई, तुम समझ न पाए बस फ़ासला जरा सा था, जब कोई फैसला लेता है भावावेश में अतिउत्साह भी ले डूबता है जोश ही जोश में, मैं तो करता वहीं हूँ धड़कनों की धुन जो सरगम गुनगुनाती है।  कई बार हम देख नहीं पाते या हम देखना नहीं चाहते......
#फ़ासलाज़रासाथा #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didiतुमने

Ankita Tripathi

आंखों की रोशनी को बनाएं रखनें के लिए यहाँ भी पढ़ सकते हैं ❤ हाँ तुम्हें स्वीकार है हाँ मुझे स्वीकार है प्रेम की ही आ रही अब तो ये पुकार है #yqbaba #yqdidi #yqbhaijan #नफ्स़ #ankyy #hindikaanubhav

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हाँ तुम्हें स्वीकार है हाँ मुझे स्वीकार है
प्रेम की ही आ रही अब तो ये पुकार है

चेतना से उठ गया निंद्रा अपनी त्यागकर
अब दोबारा हो रहा प्रेम का विस्तार है

भावावेश से निपटकर वो खड़ा है सामने
शून्य में जो लीन है वो सहज ही पार है

हो शिखर जब लांघना छोड़ देना वासना
एक सुनहले मार्ग पर लग गया अम्बार है

मैं समपर्ण भाव से जुड़ गयी स्वयं चाव से
फूट निकली है ह्रदय से एक नयी चित्कार है

जो हुआ निःशब्द लेके एक तरल चुंबन को यूँ 
अब वो ही है देखता प्रियतम में ये संसार है आंखों की रोशनी को बनाएं रखनें के लिए यहाँ भी पढ़ सकते हैं ❤

हाँ तुम्हें स्वीकार है हाँ मुझे स्वीकार है
प्रेम की ही आ रही अब तो ये पुकार है

रजनीश "स्वच्छंद"

मेरी कलम बहक रही।। मेरी कलम बहक रही, कैसे इसे मनाऊँ मैं, श्रृंगार मानवों का हो, कैसे इसे बताऊं मैं। मैं सत्य लिखने बोलता, ये सत्य ढूंढने च #Poetry #Quotes #kavita

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मेरी कलम बहक रही।।

मेरी कलम बहक रही, कैसे इसे मनाऊँ मैं,
श्रृंगार मानवों का हो, कैसे इसे बताऊं मैं।

मैं सत्य लिखने बोलता,
ये सत्य ढूंढने चली।
आसक्त मोहपाश में,
ये घर फूंकने चली।
श्वेतावरण की आड़ ले,
कागज़ ये काली कर गई।
दरबार की एक चाह में,
भावकुण्ड खाली कर गई।
क्या गरीब सत्य है,
सत्य भूख है नहीं।
लक्ष्मी विलास मूर्ति,
ज्ञान की पूछ है नहीं।
चाँद के अवसान पर,
सूर्य किरण थी जल रही।
पीस रही थी ज़िन्दगी,
समय की चक्की चल रही।
भावावेश का मेला लगा,
अल्लाह महेश चीखते।
रोटी से बड़ा धर्म है,
राम रहीम सीखते।
किसी ने सच कहा कभी,
हो भूखे पेट भजन नहीं।
मज़ार पर हैँ चढ़ रहे,
पर ढक रहे वो तन नहीं।
मज़हबी उन्माद है, कैसे इसे जलाऊं मैं।
मेरी कलम बहक रही, कैसे इसे मनाऊँ मैं।

क्या लिखूं तू बता,
है कलम ये पूछती।
क्या है सत्य, क्या असत्य,
ज़िन्दगी बस जूझती।
,क्या तुला, क्या यंत्र है,
सच का बोलो मोल क्या।
जो सत्य है मुखर यहां,
तो फिर बजाना ढोल क्या।
झेंप कर मैं चुप रहा,
शब्द मौन मुख की सौत थी।
सौंदर्य पुस्तकों का था,
दुनिया मे उसकी मौत थी।
पिघला हुआ शीशा कोई,
रहा कानों में उड़ेलता।
जिसको कहा परम् कभी,
ये जग है उससे खेलता।
कलम मेरी थी हंस रही,
मैं स्तब्ध क्षुब्ध था।
जिसकी कहानी लिख रहा,
वही पटल से लुप्त था।
ज्ञान आज एक बड़ा,
मुझे कलम है दे गई।
सच से हुआ था सामना,
प्राण-पखेरू ले गई।
अन्त:चिता है जल रही, कैसे इसे बुझाऊँ मैं।
मेरी कलम बहक रही, कैसे इसे मनाऊँ मैं।

©रजनीश "स्वछंद" मेरी कलम बहक रही।।

मेरी कलम बहक रही, कैसे इसे मनाऊँ मैं,
श्रृंगार मानवों का हो, कैसे इसे बताऊं मैं।

मैं सत्य लिखने बोलता,
ये सत्य ढूंढने च

Satya Prakash Upadhyay

कभी शिव शक्ति ,कभी गणेश मुरारी, कभी सूरज बन चमकते हो। हे सर्व समर्थ मुझ दिन हीन पे, कृपा क्यूँ नही करते हो। सुना है तेरा नाम बहुत ,अकारण करु

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कभी शिव शक्ति कभी गणेश मुरारी कभी सूरज बन चमकते हो
हे सर्व समर्थ मुझ दिन हीन पे कृपा क्यूँ नही करते हो
सुना है तेरा नाम बहुत अकारण करुणा करते हो
क्या चूक हो रही मुझ से अब तक जो दर्श न अपने देते हो

माना कि मैं कमजोर बहोत पर तुम सर्वशक्तिमान कहलाते हो
कुछ कृ
more in caption...... कभी शिव शक्ति ,कभी गणेश मुरारी, कभी सूरज बन चमकते हो।
हे सर्व समर्थ मुझ दिन हीन पे, कृपा क्यूँ नही करते हो।
सुना है तेरा नाम बहुत ,अकारण करु

Rishika Srivastava "Rishnit"

#wetogether पहली मुलाकात ************** सोनल आज बहुत खुश थी,हो भी क्यों न आखिर अपने पसंदीदा शायर से मिलने जो जा रही थी।होटल में रिजर्व सी

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"पहली मुलाकात ( कहानी)"
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(Read in caption)

©rishika khushi #wetogether 

पहली मुलाकात
**************

सोनल आज बहुत खुश थी,हो भी क्यों न आखिर अपने पसंदीदा शायर से मिलने जो जा रही थी।होटल में रिजर्व सी

Niwas

मेरी बहन मुझसे पूछती है, आपका दिमाग ख़राब नहीं होता, रोना नहीं आता। अभी उसकी उम्र 18 है, धोखा शब्द उसके शब्दकोश में नया नया प्रवेश हुआ है। ज #Self #lockdown

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#lockdown diary
#self motivation मेरी बहन मुझसे पूछती है, आपका दिमाग ख़राब नहीं होता, रोना नहीं आता। अभी उसकी उम्र 18 है, धोखा शब्द उसके शब्दकोश में नया नया प्रवेश हुआ है। ज

AK__Alfaaz..

असीम,अनन्त, मनमोहक मुस्कान है जिनकी., अतिविलक्षण,प्रतिभाशाली, भाषा ज्ञान है जिनका., अद्भुत व्यक्तित्व, अनुपम चारित्रिक., गुण विशेष है जिनका. #yqbaba #yqdidi #testimonial

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असीम,अनन्त,
मनमोहक मुस्कान है जिनकी.,
अतिविलक्षण,प्रतिभाशाली,
भाषा ज्ञान है जिनका.,
अद्भुत व्यक्तित्व,
अनुपम चारित्रिक.,
गुण विशेष है जिनका.,
मन,कर्म,वचन से,
 सेवाभाव स्वभाव है जिनका.,
सर्वजन हिताय,सर्वजन सुखाय.,
आचरण मे परिलक्षित होता है जिनके.,
सूर्य अरूणिमा सा मस्तक पर.,
तेज सुशोभित है जिनके., असीम,अनन्त,
मनमोहक मुस्कान है जिनकी.,
अतिविलक्षण,प्रतिभाशाली,
भाषा ज्ञान है जिनका.,
अद्भुत व्यक्तित्व,
अनुपम चारित्रिक.,
गुण विशेष है जिनका.

Anil Siwach

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8 – अदम्भ

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