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Stories related to सिंधु घाटी सभ्यता प्रश्नोत्तरी upsc

AbhiJaunpur

#Book #Civil_Services_Day #upsc #upscmotivation #Loksevaaayog #‌AbhiJaunpur Anshu writer अदनासा- Rajesh Arora Rakesh Srivastava Swati

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Gajendra

#leafbook I love my UPSC

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Unsplash my love my UPSC

©Gajendra #leafbook I love my UPSC

Parasram Arora

सभ्यता और सस्रकृति का विषैला धुआँ

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Unsplash सभ्यता क़ी छीद्रित  टोकरी
को उलट कर 
अब न जाने उसमे क्या कुछ संग्रहित करने क़ी चेष्टा क़ी जा रहीं है
 
सस्कृति का धुँवा अब विषैला हो चुका और समपूर्ण राष्ट्र के वातायन को कालीख पोत कर  स्याह करने  क़ी कोशिश क़ी जा रहीं है

इसके बावजूद हमारे राजनेताओं द्वारा ऐसी सभ्यता और संस्कृति को बरकरार रखने क़ी कोशिश क़ी जा रहीं है

©Parasram Arora सभ्यता और सस्रकृति का विषैला धुआँ

नवनीत ठाकुर

#षड्यंत्रों की छाया हर दिल पर भारी, भ्रष्टाचार की चादर ने लूट ली जिम्मेदारी। शोषण के जख्म चीखते हैं बेआवाज़, जुर्म के मंजर बन गए रोज़ का आगा

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White षड्यंत्रों की छाया हर दिल पर भारी,
भ्रष्टाचार की चादर ने लूट ली जिम्मेदारी।
शोषण के जख्म चीखते हैं बेआवाज़,
जुर्म के मंजर बन गए रोज़ का आगाज़।

अपहरण के धंधे अब आम हो गए,
अपराधी खुलेआम इनाम हो गए।
छेड़छाड़ के ज़ख्म लहू-लुहान हैं,
इंसाफ के मंदिर खुद बदगुमान हैं।

यह कैसी सभ्यता, यह कैसी रवायत?
जहां जुर्म को मिलती है हर इक सहायत।

©नवनीत ठाकुर #षड्यंत्रों की छाया हर दिल पर भारी,
भ्रष्टाचार की चादर ने लूट ली जिम्मेदारी।
शोषण के जख्म चीखते हैं बेआवाज़,
जुर्म के मंजर बन गए रोज़ का आगा

gudiya

#NatureQuotes #मातृभूमि #nojotohindi nojotophoto #nojoyopoetry आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच

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Nature Quotes आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच 
तब तब अचानक मुझे लगता है यही तो तुम हो मेरी मां मेरी मातृभूमि 

धान के पौधों ने तुम्हें इतना ढक दिया है कि मुझे रास्ता तक नहीं सुझता 
और मैं मेले में कोई बच्चे सा दौड़ता हूं तुम्हारी ओर 
जैसे वह समुद्र जो दौड़ता आ रहा है छाती के सारे बटन खोले हाहाता 


और उठती हैं शंख ध्वनि कंधराओं के अंधकार को हिलोडती 
यह बकरियां जो पहली बूंद गिरते ही भाग और छप गई पेड़ की ओट में 

सिंधु घाटी का वह सेंड चौड़े पत्ते वाला जो भीगा जा रहा है पूरी सड़क छेके 
वे मजदूर जो सुख रहे हैं बारिश मिट्टी के ढीले की तरह

 घर के आंगन में वह  नवोढ़ा भीगती नाचती और 
काले पंखों के नीचे कौवों के सफेद रोए तक भीगते 
और इलायची के छोटे-छोटे दाने इतने प्यार से गुथंम गुत्था यह सब तुम ही तो हो 

कई दिनों से भूखा प्यासा तुम्हें ही तो ढूंढ रहा था चारों तरफ
 आज जब भी की मुट्ठी भर आज अनाज भी भी दुर्लभहै 
तब चारों तरफ क्यों इतनी बाप फैल रही है गरम रोटी की 
लगता है मेरी मां आ रही है नकाशी दार रुमाल से ढकी तश्तरी में 

खुबानीनिया अखरोट मखाने और काजू भरे
 लगता है मेरी मां आ रही है हाथ में गर्म दूध का गिलास लिए 
यह सारे बच्चे तुम्हारी रसोई की चौखट पर कब से खड़े हैंमां 
धरती का रंग हरा होता है फिर सुनहला फिर धूसर 
छप्परों से इतना धुआं उठता है और गिर जाता है 
पर वहीं के वहीं हैं घर से निकले यह बच्चेतुम्हारी देहरी पर 
सर टेक सो रहे हैं मां यह बच्चे कालाहांडी के 
यह आंध्र के किसानों के बच्चे यह पलामू के पटन नरोदा पटिया के 

यह यदि यह यतीमअनाथ यह बंदहुआ 
उनके माथे पर हाथ फेर दो मां 
इनके भीगी के सवार दो अपने श्यामलहाथों से 
तुम कितनी तुम किसकी मन हो मेरी मातृभूमि 
मेरे थके माथे पर हाथ फेरती तुम ही तो हो मुझे प्यार से तख्ती और मैं भेज रहा हूं 
नाच रही धरती नाच आसमान मेरी कल पर नाच नाच मैं खड़ा रहा भेजता बीचो-बीच।
-अरुण कमल

©gudiya #NatureQuotes 
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आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच

Karan Kanaujiya

भारत_को_किस-किस_नाम_से_जाना_जाता_है____reels_indpendenceday_study_education_upsc #Shorts #SAD #Shorts Hinduism

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बेजुबान शायर shivkumar

👏जय छठी माँ 👏 कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में, आता पर्व महान, सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान. चार दिवस का पर्व अनोखा, युगों से

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// छठ पर्व //


कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में, आता पर्व महान,
सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान.

चार दिवस का पर्व अनोखा, युगों से चलती आई,
सीता मैया, कर्ण और पांडव, साथ में कुंती माई.

भक्ति भाव उमड़ पड़ता है, करते सब गुणगान,
सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान.

प्यारी बहना दिनकर की हैं, षष्ठी तिथि है प्यारी,
कृपा सिंधु हैं आप हे मैया, जग देता बलिहारी.

डाला सूप सजाये कहते, आ जाओ दिनमान,
सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान.

आम की लकड़ी, नारियल, संतरा, मूली, ठेकुआ, केला,
घाट सजे हैं सुंदर -सुंदर, कितना मोहक बेला.

अमरुद, पान, सुपारी, गन्ना, विविध बने पकवान,
सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान.

जल में व्रती हाथ हैं जोड़े, सुख-समृद्धि मांगे,
अंतस का तम दूर करो माँ, और न हम कुछ चाहें.

कोढ़िया, दुखिया, बाँझ, गरीबी, सबका करते त्राण,
सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान.

©बेजुबान शायर shivkumar 👏जय छठी माँ 👏

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में, आता पर्व महान,
सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान.

चार दिवस का पर्व अनोखा, युगों से
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