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theABHAYSINGH_BIPIN
White कभी चाह थी गले लगाने की, गैर मुझे अब ग़ैर जताने लगे हैं। राज़ इश्क़ का सबको बताने लगे हैं, अब मुझे कितना सताने लगे हैं। जिनके इश्क़ की गहरी नींद में था, वो अब रातों को जगाने लगे हैं। खोल दिया है बहानों की किताबें, अब वो धीरे-धीरे दूर जाने लगे हैं। होती थी पूरी रात मोहब्बत की बातें, अब गैर की बाहों में सोने लगे हैं। भूल गए संजोए सपनों की कहानी, मेरा इश्क़ अब वो भुलाने लगे हैं। मशगूल है वो अब गैर इश्क़ में, ख़ुद को बेहतर अब बताने लगे हैं। तोड़ दिया मुझको बेहतर की चाह में अब अपना आशियाँ सजाने लगे हैं। ©theABHAYSINGH_BIPIN #Thinking कभी चाह थी गले लगाने की, गैर मुझे अब ग़ैर जताने लगे हैं। राज़ इश्क़ का सबको बताने लगे हैं, अब मुझे कितना सताने लगे हैं। जिनके
#Thinking कभी चाह थी गले लगाने की, गैर मुझे अब ग़ैर जताने लगे हैं। राज़ इश्क़ का सबको बताने लगे हैं, अब मुझे कितना सताने लगे हैं। जिनके
read moreF M POETRY
Unsplash अब उदास फिरते हो सर्दियों क़ी शामों में.. इस तरह तो होता है इस तरह के कामों में.. ©F M POETRY #अब उदास फिरते हो....
#अब उदास फिरते हो....
read moreRameshkumar Mehra Mehra
Unsplash पहले भी मुसाफ़िर थे... आज भी मुसाफ़िर है.....! पहले किसी की तलाश मे थे....!! और अब अपनी तलाश में...!!! ©Rameshkumar Mehra Mehra # पहले भी मुसाफ़िर थे,अब भी मुसाफ़िर है,पहले किसी की तलाश में थे,और अब अपनी तलाश में है..
# पहले भी मुसाफ़िर थे,अब भी मुसाफ़िर है,पहले किसी की तलाश में थे,और अब अपनी तलाश में है..
read moreनवनीत ठाकुर
Unsplash दुनिया के रंगों से अब कोई सरोकार नहीं, कभी जो था कभी सस्ता, अब वो महँगा नहीं। गुज़र रहा हूँ बस इस राह से चुपचाप, जो मंज़िलों की तलाश में था, वो अब मेरा पीछा नहीं। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर दुनिया के रंगों से अब कोई सरोकार नहीं, कभी जो था कभी सस्ता, अब वो महँगा नहीं। गुज़र रहा हूँ बस इस राह से चुपचाप, जो मंज़िलों की
#नवनीतठाकुर दुनिया के रंगों से अब कोई सरोकार नहीं, कभी जो था कभी सस्ता, अब वो महँगा नहीं। गुज़र रहा हूँ बस इस राह से चुपचाप, जो मंज़िलों की
read moreनवनीत ठाकुर
White जो दिल में चुप था, वो अब तकलीफ से रोया नहीं, पर उस चुप्पी में भी अब किसी और से बात करने की तलब है। वो जो जलते थे कभी, अब राख में तब्दील हो गए, पर इस राख में अब भी किसी और से सुलगने की तलब है। दर्द में डूब कर भी हमने खुद को तलाशा था, अब उस तलाश में किसी और से मिलने की तलब है। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर जो दिल में चुप था, वो अब तकलीफ से रोया नहीं, पर उस चुप्पी में भी अब किसी और से बात करने की तलब है। वो जो जलते थे कभी, अब राख म
#नवनीतठाकुर जो दिल में चुप था, वो अब तकलीफ से रोया नहीं, पर उस चुप्पी में भी अब किसी और से बात करने की तलब है। वो जो जलते थे कभी, अब राख म
read morezara's line
#26janrepublicday कोई नहीं कि लादे यार की खबर मुझे... ऐ साइलाह -इ- अश्क़ तुहि बहादे उधर मुझे..
read moreRabindra Kumar Ram
" मैं अपने ख़सारे की बात कब तक करें कि जाये , इस दफा भी दिल को फिर बात की दुहाई दी जाये , आलम तेरे एहसासों अब भी जीने को बैठे ऐसे की , तेरी तलब अब भी ऐसी है जैसे की अभी अभी मुतमास हो ." --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " मैं अपने ख़सारे की बात कब तक करें कि जाये , इस दफा भी दिल को फिर बात की दुहाई दी जाये , आलम तेरे एहसासों अब भी जीने को बैठे ऐसे की , तेरी
" मैं अपने ख़सारे की बात कब तक करें कि जाये , इस दफा भी दिल को फिर बात की दुहाई दी जाये , आलम तेरे एहसासों अब भी जीने को बैठे ऐसे की , तेरी
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