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Lekh Mithawala
White In quiet moments, when life takes a pause, My heart whispers your name without a cause. A silent longing, deep and true, Grows with every thought of you. Notifications of your name, a flutter in my chest, An untamed heartbeat, longing for rest. In every corner of my mind, you reside, A secret love that I cannot hide. If only words could bridge the space, To share the echoes of this silent chase. In dreams, perhaps, you might see, The silent yearning that dwells in me. A mature love, bound by life's tide, A silent wish to have you by my side. In shadows, this story softly plays, A love unspoken in a thousand ways. #lekhansh @nikita4u ©Lekh Mithawala #lekhansh #nikita
Abhishek Choudhary Sanskrit
सान्निध्यन्धीमतां प्राप्य, शून्या शास्त्रगतिस्तव। सान्निध्येन तदा तेन, को लाभो ननु वर्तते ? सृष्टो मया-(अभिषेककोश:)✍️ अर्थात्- यदि विद्वानों के साथ रहकर भी तुम्हें शास्त्रों का ज्ञान नहीं हो पाया तो फिर उनके सान्निध्य का क्या लाभ? ©Abhishek Choudhary Sanskrit #Books
jittu sekhon
ਤੈਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਨੀਂਦ ਆਉਂਦੀ ਏ ਮੈਂ ਤੇ ਕਿਤਾਬ ਨੂੰ ਜੱਫੀ ਪਾ ਕੇ ਸੌਂ ਜਾਂਦਾ ਹਾਂ ©jittu sekhon #Books
Pushpvritiya
अमोलक सी इन पुस्तकों का मोल क्या हीं कर सकेंगे ये लेवल्ड प्राइस........ वर्षो का मौन, प्रतिक्षा,अकथित अनुभव,संघर्ष, परिवर्तन, प्रतिरूपण, और न जाने कितने ही भावो-अनुभावों का अंकन....... यह कभी बिकने के लिए नही निकलती, ये निकलती है डायरी के पृष्ठों से उस माध्यम तक.... ताकि पढ़े इसकी अनुभूतियां कोई..पहुंच सके किसी के हृदय तक......बस वही एक इच्छा लिए चल पड़ती है अपनी यात्रा पर 😊🙏🏻 @पुष्पवृतियां ©Pushpvritiya #Books
minakshi
Book quotes खुद जमीन पर पड़ी है लेकिन जो इन्हें पढ़ते हैं वो आसमान को छूता है #किताबे ©minakshi books
Abhishek Choudhary Sanskrit
प्रात: दन्तधावनङ्कृत्वा, स्वजनकञ्जननीञ्च नत्वा। ततश्च भगवत्भजनङ्गीत्वा, मनसा कार्यम् अध्ययनम्।। प्रात: दांतों की सफाई करके(Brush) अपने माता-पिता को नमन करके भगवान का भजन गाकर तत्पश्चात् मन लगाकर अध्ययन करना चाहिए। पौष्टिकमल्पाहारं भुक्त्वा, विद्यालयाय सज्जो भूत्वा। समये विद्यालयम् आप्त्वा, मनसा कार्यम् अध्ययनम्।। पौष्टिक अल्पाहार करके विद्यालय हेतु तैयार होकर समय से विद्यालय पहुंच कर तत्पश्चात् मन लगाकर अध्ययन करना चाहिए । सन्ध्याकाले क्रीडित्वा, दूरदर्शनमीक्षित्वा। अग्रजैस्सह वार्ताङ्कृत्वा, मनसा कार्यम् अध्ययनम्।। सायंकाल में खेल-कूद करके दूरदर्शन देखकर बड़ों के साथ वार्तालाप करके तत्पश्चात् मन लगाकर अध्ययन करना चाहिए। कवि:- अभिषेककुमार ©Abhishek Choudhary Sanskrit #Books
#Nikita kour
प्यारी जिंदगी मैंने खुद अनुभव की है जिन्दगी को करीब से परेशानियों से थके ओर परेशानियों में दबे लोगो को , उनके पास भीड़- वाली गैदरिंग तो हैं, लेकिन उनके करीब कोई नहीं होता है जो उनके मन के भारीपन की थकान को दूर कर सके सिर्फ बीयर की बोतलें होती है जो उनके परेशानियों को दबा दे , ©#Nikita kour #Nikita kour
Rakhi Saroj
किताबों से अब इश्क ज्ञान के लिए नहीं बस तस्वीरें शेयर होने तलक का रह गया है। ©Rakhi Saroj #Books
#Nikita kour
दूसरे लोग मेरे काम से संतुष्ट हो सकते हैं, लेकिन मैं तब तक संतुष्ट नहीं होऊंगा जब तक मैं अपने काम में पूर्णता नहीं लाऊंगा। ©#Nikita kour #poetry Nikita kour
#Poetry Nikita kour
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आज मैं एक कॉफी शॉप में बैठा थी एक लड़की मेरे पास आई, वह पेन बेच रही थी और मुझसे कहा एक पेन खरीद लो , मेरी एक सबसे अच्छी दोस्त मेरे सामने बैठी थी, उसने मुझे बताया कि पेन बहुत गंदा है ओर्र मुझे भी ऐसा लगा कि उसने इस कलम को कूड़ेदान से ही उठाया है, लेकिन मेरे लिए यह मायने नहीं रखता, क्योंकि मुझे नहीं पता कि उसे किस महत्वपूर्ण काम के लिए पेन बेचना पडरहा है , इसलिए मैंने बिना कुछ सोचे उससे 10 रुपये में वह पेन खरीद लिया, उसके बाद जब मैं अपने घर पोहची , तो मैंने उस पेन को धोया, फिर मैंने देखा कि वह पेन बिल्कुल अलग दिख रहा था कुछ तो बात है इस कलम में जिसे मैं महसू कर पा रही हूं , ©#Nikita kour #Nikita kour