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satyarth vani

सत्यार्थ वाणी #Shayari

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भूल बैठा सुध बुध सारी

 आंखों में तेरा नशा छाया रहा

©   satyarth vani सत्यार्थ वाणी

Unknown

राष्ट्रध्वज का सत्यार्थ

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जिसे हम तिरंगा कहते हैं
वो तो चौरंगा है वास्तव में
इतना बडा़ झूठ कहा किसने
हमको  यूं बरगलाया  किसने
७५ सालों से गलत पढाया किसने
इतिहास को विकृत बनाया जिसने
केसरिया सफेद हरा रंग है तिरंगे का
पर  बीच  में चक्र का रंग तो नीला है
कुल चार रंगों का राष्ट्र ध्वज है अपना
फिर तिरंगा कहना  तो ठीक नहीं है
या हम सब कलर ब्लाइंड हो गये हैं
राष्ट्र ध्वज  हमारी आन बान शान है
उसके सारे रंग हम सबकी पहचान हैं
फिर नीले रंग को हम क्यों भूल गये हैं
अशोक चक्र का रंग क्यों याद नहीं  है
वस्तृत: राष्ट्र ध्वज  के कुल  चार रंग हैं
जो  केसरिया  सफेद हरा संग नीला हैं
यही यथार्थ है और यही पूर्ण सत्यार्थ है
इन्ही चार रंगों में बसा भारत का भावार्थ है


 राष्ट्रध्वज  का सत्यार्थ

Prakash Shukla

प्रकाश

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फैलेगा यश यदि कल्पनाओं को पंख लगे
कुन्दित भावनाओं मे कवियों ने शान धरी
शब्दों को रूप दिया कल्पना को साकार
दिमाग ने कविता रची हृदय ने स्वीकार
साहस ने बल दिया और मन ने इकरार
धैर्य ने बाँधा समाँ हर इच्छा शिरोधार यदि
कल्पना के पंख लगे विचारों ने उड़ान भरी
दिल ने दस्तख़त किए आत्मा ने जान भरी
प्रकाश प्रकाश

Prakash Shukla

प्रकाश

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अपेक्षा के शिकारी तुम उपेक्षा के शिकार हम
क्योंकि
अपेक्षा रूपी तरकश मे स्वेक्षा रूपी बाण से नखरे रूपी धनुष का प्रयोग एक मँझे शिकारी के रूप मे करने वाली तुम
और
उपेक्षा रूपी पतेले मे चाकू रूपी आकाँक्षाओं की धार मे रहकर जल रूपी मीठी चासनी मे भीगकर शान्त रहने वाले शिकार हम

अपेक्षा के शिकारी तुम उपेक्षा के शिकार हम
सबसे बड़ी बीमारी तुम उससे पड़े बीमार हम
ओ जाल़िम अब तो कहर कम कर रहम कर
क्योंकि
दुनिया की सबसे बड़ी जुगाड़ी तुम सबसे बड़े जुगाड़ हम
प्रकाश प्रकाश

Prakash Singh

प्रकाश##

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क्या लिखूं जो आपसे प्यार हो जाए।।
ताकि जब भी मिलू तो दीदार हो जाए।। प्रकाश##

Prakash Singh

प्रकाश ##

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एक बेटी जब ब्याह के उपरांत अपने पीया के घर जाती हैं..तो उस दरम्यान माँ और बेटी के बीच आँखो ही आँखो क्या बाते होतीं हैं ...ज़रा गौर फरमाइयेगा...दोस्तों....मेरी चंद पंक्तियाँ पे......

        ब्याह हो जब बेटी पिया के घर चली...
,          अपनी ममता की छाव वो छोड़ चली..
                    माँ की ममता में पली...
                       वो नन्ही सी कली...
             ब्याह हो अपनी पिया के घर चली...

             ये घर आँगन सब बेंरंग हो चली...
.                तू पिया के संग हो चली...

.               हाथों में तेरी मेंहदी हैं रची....
                लाल जोड़े में तू हैं सजी....
                  ओ मेरी नन्ही सी कली...
               तू अपने पिया के घड़ी चली...

.               जब घड़ी आयी जुदायी की..
              माँ की ममता विभोर हो चली...
                 छलक के आँखो से आँसू...
                      ग़मजदा हो चली....
                    मेरी नन्ही सी कली...
                अपने पिया की घर चली.... 

              बिटिया जब माँ के गले लगी....
             माँ  की कलेजा बेजान हो चली..
           सिसकीयां से मौसम ग़मगीन हो चली 
                   मेरी लाडो में पली...
                  मेरी नन्ही सी कली...
               अपने पिया के घर चली...

              थमी क़दम आगे अब बढ़ती नहीं...
                          बिटिया की...
               आँखो से आँसू रुकती नहीं.....
                         बिटिया की....
             माँ की ममता विभोर हो चली..
                       पालकी में बैठ....
             बेटी अपने पिया के घर चली.... प्रकाश ##

Prakash Shukla

प्रकाश #OpenPoetry

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#OpenPoetry गैहान फलक दो जहान तलक
इम्तेहान इश्क़ दो म्यान तलक
तलवार धार है इश्क़ यार
इबादते इश्क़ ईमान तलक
तलवार इश्क़ इजहार इश्क़
इकरार इश़्क हाँ प्यार इश़्क
खंजर खामोश इश्क़ बेरहम का
जायज कुबूल नाकाम इश्क
तासीर ताबिश़ इब्तिसाम तलक
इश्क़ आक़िबत अहज़ान तलक
इश्क़े खुर्शीद गुमनाम तलक
इश्क़ मोहब्बत पशेमान तलक
गैहान फलक दो जहान तलक.........  
प्रकाश प्रकाश

Prakash Shukla

प्रकाश

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प्यारा सा गुलिस्तां था मेरा खुशबू आती उसमे छनकर
मै जुदा हुआ पलकों से तेरी आँसू बनकर आँसू बनकर
इस बार तरसती आँखों के सपने होंगे सच सब मेरे
खुशियाँ आँगन मे बरसेगी दुःख दूर हुए बस अब मेरे
कोई याद रहे न अब बाकी तेरी ठोकर को अपनाऊंगा
सहकर तेरे वो जुल्म सितम तेरी यादों को दफनाऊँगा
जिस दिन तेरी मूरत फिर से मेरे दिल मे जगह बनाएगी
उस दिन मेरा दिल तेरे सामने खड़ा रहेगा बस तनकर
प्यारा सा गुलिस्तां था मेरा....................
दिल रोता तड़पता रहा मेरा पर तू मगरूर बनी रही
मैने पास तेरे आना चाहा पर तू गुरूर मे तनी रही
तुझ मगरूर की पगदन्डी मे मै एक तमाशा बना रहा
सच्चे प्यार की जीत ही होगी इस आशा मे थमा रहा
अब तेरे प्यार को समझ सका तू न मेरी बन पाएगी
बीती बातों को भूल चुका खुशियाँ ढूँढ़ूगा अब जमकर
प्यारा सा गुलिस्तां था मेरा...................
प्रकाश प्रकाश

Prakash Shukla

प्रकाश

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तेरी यादों ने मुझे सोने ना दिया दिन रात तड़पते रह गए हम
तेरे वादों ने मुझे रोने ना दिया खुशियाँ मिटी बस रह गए हम
तू जब मेरे पलकों मे आती थी,रोज सुनहरे सपनों को सजाती थी
कसकती है कहीं तेरी भी कमी,तू रोज गुल को गुलिस्तां बनाती थी
तू अब भी मेरी यादों मे है बसी कैसे तू रूठो को मनाती थी
तूने बीज बैर के बोने ना दिया तेरी यादों मे है मेरी आँखे नम

तेरी यादों ने मुझे सोने ना दिया दिन रात तड़पते रह गए हम
तेरे वादों ने मुझे रोने ना दिया खुशियाँ मिटी बस रह गए हम

तूने फूल झोली मे मेरे जो रखा,खुशबू देता है वो हर जगह
पूछता है वो तेरा ही पता,तूने जीने की मुझको दी है वजह
तेरा प्यार इसकी आँखों मे है दिखा,जो देता है बस तेरी ही सदा
इसने पलकें मेरी भिगोने न दिया,इसकी प्रेम धारा मे बह गए हम
तेरी यादों ने मुझे सोने ना दिया दिन रात तड़पते रह गए हम
तेरे वादों ने मुझे रोने ना दिया खुशियाँ मिटी बस रह गए हम
प्रकाश प्रकाश

Prakash Shukla

गोरिए तेरे दिल मे,तीर नजरें ये कातिल से
प्यार के मन मन्दिर मे,ज्योत जलाना है
तेरी धड़कन को दिल से,प्यार वाली मंजिल से
मोतियों को साहिल से चुरा के लाना है
चाल है नागिन जैसी,जैसे अधजल गगरी छलकानी
जुल्फे घटा से बादल,तेरी चढ़ती ये जवानी
सावन ऋतु सी झूमे,तू लागे मुझको मस्तानी
मेरा प्यार तेरे दिल मे,तेरा प्यार मेरे दिल मे
मेरे प्यार को तेरे दिल मे जगह बनाना है
गोरिए तेरे दिल मे,तीर नजरें ये कातिल से
प्यार के मन मन्दिर मे,ज्योत जलाना है
तेरी धड़कन को दिल से,प्यार वाली मंजिल से
मोतियों को साहिल से चुरा के लाना है
तेरी ना मे भी है हाँ,ओंठ से बोले ना ना
देखता है ये जमाना,आज का मौसम सुहाना
हाय ये तेरे नखरे,इनको तू अपने पास लख ले
प्यार का रस तू आज चख ले,थोड़ा हमसे प्यार कर ले
छोरी ये छोड़ बहाने,तेरे ये किस्से पुराने
गोरिए आज तेरी जिद को मुझे छुड़ाना है
गोरिए तेरे दिल मे,तीर नजरें ये कातिल से
प्यार के मन मन्दिर मे,ज्योत जलाना है
तेरी धड़कन को दिल से,प्यार वाली मंजिल से
मोतियों को साहिल से चुरा के लाना है
प्रकाश #प्रकाश
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