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सुरेश अनजान
Unsplash दूर रहकर भी वो मन मीत हो गए लफ्ज़ उसके मेरे प्रेम गीत हो गए पास आए वो और दिल मेरा ले गए, मानो तब से ही मेरे दिल जीत हो गए। ©सुरेश अनजान #traveling Aditi Agrawal Arpita+ve soul Anjna Agrawal Dr Garima tyagi(अक्षरश : हिंदी साहित्य dg) Swati kashyap
#traveling Aditi Agrawal Arpita+ve soul Anjna Agrawal Dr Garima tyagi(अक्षरश : हिंदी साहित्य dg) Swati kashyap
read moreShort And Sweet Blog
कोशिश से सब हल निकलेगा!! कोशिश कर, हल निकलेगा। तेरा आज नहीं तो, कल सुधरेगा। इस सुधरने की दौड़ में, तू बेहतर निकलेगा। कोशिश कर, तू कहीं तो न
read moreBhupendra Rawat
White रोजगार शब्द मे 'बे' उपसर्ग जोड़कर बनाया गया एक नया शब्द, बेरोजगार शुरुआत मे 'बे' अक्षर के मायने थे, कुछ अलग जैसे कि दिलासा, सहानूभूति इत्यादि परंतु, गुजरते वक़्त के साथ बदलते गए मायने उपसर्ग 'बे' के इस अदने से अक्षर ने अपने अंदर समाहित किए अनगिनत अर्थ 'निठल्ला', आवारा, नकारा, कामचोर इत्यादि बन गयी विशेषता उपसर्ग 'बे' की इसी विशेषता ने आशाओं से भरे जीवन मे भर दी निराशाएं ©Bhupendra Rawat #sad_dp रोजगार शब्द मे 'बे' उपसर्ग जोड़कर बनाया गया एक नया शब्द, बेरोजगार शुरुआत मे 'बे' अक्षर के मायने थे, कुछ अलग जैसे कि दिलासा, सहानूभू
#sad_dp रोजगार शब्द मे 'बे' उपसर्ग जोड़कर बनाया गया एक नया शब्द, बेरोजगार शुरुआत मे 'बे' अक्षर के मायने थे, कुछ अलग जैसे कि दिलासा, सहानूभू
read moregudiya
White ग़ालिब गैर नहीं है ,अपनों से अपने हैं, बंगाली की बोली ही आज हमारी बोली है । नवीन आंखों में जो नवीन सपने हैं वे ग़ालिब के सपने हैं । गालिब ने खोली गांठ जटिल जीवन की, बात और वह बोली नपीतुली थी, हल्के पान का नाम नहीं था। सुख की आंखों ने दुख देखा और टिटौली की, यों जी भर बहलाया। बेशक दाम नहीं था उनकी अंटी में, दुनिया से काम नहीं था लेकिन उस को सांस सांस पर तौल रहे थे । अपना कहने को क्या था, धन-धान नहीं था सत्य बोलता था जब मुंह खोल रहे थे । ग़ालिब होकर रहे जीत कर दुनिया छोड़ी कवि थे, अक्षर में अक्षर की महिमा जोड़ी। -त्रिलोचन ©gudiya #sad_shayari #Nojoto #nojotophoto #nojotoquote #nojotohindi ग़ालिब गैर नहीं है ,अपनों से अपने हैं, बंगाली की बोली ही आज हमारी बोली है । नव
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