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Kanchan
Unsplash जब मन उदास हो, कुछ सवालों के जवाब ना पास हो, बैठ जाये प्रकृति की गोद में बस आँखें बंद कर के.. man का har kona मुश्कुराने लग जायेगा, कोहरे की dhundh में भी कई सूरज उग आएगा। ©Kanchan #snow jab man kabhi udaas ho
#snow jab man kabhi udaas ho
read moreRiyanka Alok Madeshiya
White कभी-कभी -------------- कभी-कभी बस यूँ ही बैठे-बैठे मैं गुम हो जाती हूँ एहसासों की एक अनोखी दुनियाँ में अन्त से भयहीन- मैं खड़ी होती हूँ; आरम्भ पर एक अस्तब्ध नदी होती हूँ जो ऊंचे शिखर से निकाल कर, विशालकाय समुद्र में मिल कर, अपना आकार दोगुना कर रही होती है एक पंछी होती हूंँ जो निर्बाध हवाओं को चीरती हुई, अपने परों से आसमान को खुरच रही होती है वहाँ की अन्तहीन हरियाली तो जैसे ऊपर के नीले रंग को अपनी रंगत से फीका कर रही होती हैं उस हरियाली के सबसे ऊँचे हिस्से पर लगे हुए झूले में; झूलते समय मेरे पैरों के अंगूठे बादल छू रहे होते हैं जिसके कारण बादलों में छुपा , जल- कण नीचे आ कर के हरे रंग की गहराई बढ़ा रहा होता है उन रम्य क्षणों में मैं- मैं अपने सारे गुनाहों से मुक्त और दर्द से बेसुध होती हूँ जीवन के सारे संघर्ष लापता होते हैं उस अनोखी दुनियाँ के शब्दकोश में, असम्भव शब्द ही अनुपस्थित होता है सौंदर्य युक्त उन क्षणों से- मुझे इतना मोह हो आता है कि- इच्छा होती है ; पिघल जाऊँ और रम जाऊॅं ;उस सागर में, उस हरियाली में ,उन बादलों में और बस वही की होकर रह जाऊँ बस यूँ ही बैठे-बैठे कभी-कभी मैं.... रियंका आलोक मदेशिया ©Riyanka Alok Madeshiya #Kabhi #Sapna