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।।दिल की कलम से।।
मेरी मूंछो के बिना, दुनिया मे रखा कया है, ग़र ये उगे तो रौब बढे़, ये रहे तो शान बढे़, इन मूंछो के बिना, जीने मे रखा कया है। मेरी मूंछो के बिना, दुनिया मे रखा......। ©।। दिल की कलम से।। मूंछें
Vaibhav's Poetry
Insprational Qoute
पूरे दिन खेल के साथ बिताना,गुड्डे,गुड़ियों का ब्याह रचना, बन बाराती ,डोल नगाड़े ले जाते थे घोड़े हाथी, ऐसे ही था पूरा दिन मैं बिताती, खेलों के नाम तो वो भी गजब थे, आँख मिचौली ,ऊंच नीच का पहाड़,बर्फ पानी,सुनते थे परियों की कहानी, पंचतंत्र और चंपक की किताब, चाचा चौधरी के मूंछें थी वाकई नवाब, आया सावन बारिश की आई बहार, हम रज के नहाते थे और चलाते थे कागज की नाव बस ऐसा ही खूबसूरत था ये लड़कपन, पीछे छूट गया मेरा प्यारा बचपन , आ गई नये जमाने मे,सच पूछो तो दुनिया के फसाने में, आज भी याद आते है बीते बचपन के किस्से दीवाने से, अब तो बस जिंदगी जी रहे हैं या बोले कि बस जी ही रहे हैं, कोई सुख का राग अलाप रहे हैं तो कोई दुख का राग अलाप रहे हैं, पहले बचपन फिर लड़कपन जवानी ले गया, वक़्त जालिम हमारी जिंदगानी ले गया, हमे ऐसे सफर पर छोड़ गया, न मुड़कर मेरा लड़कपन आया, जहाँ न मुझे मिला किसी मोड़ पर मेरा सुहाना बचपन, उसमे जीवन की यादे थी अधिकतम, आँखों मे लिए आँसू अब दिल जिंदगी से करता गुहार, लौटा दो कोई अल्हड़ लड़कपन, लौटा दो कोई आवारा बचपन, Part-2 पूरे दिन खेल के साथ बिताना,गुड्डे,गुड़ियों का ब्याह रचना, बन बाराती ,डोल नगाड़े ले जाते थे घोड़े हाथी, ऐसे ही था पूरा दिन मैं बिताती, खेलों के
Dr Upama Singh
रचना नंबर – 1 “भारतीय साहित्य में स्त्रीयों का योगदान” निबंध– अनुशीर्षक में भारत में विभिन्न भाषा साहित्य के क्षेत्र में जिस तरह पुरुषों ने प्राचीन काल से ही उत्कृष्ट योगदान दिया है ठीक स्त्रीयों की भूमिका भी बराबर क
Divyanshu Pathak
तेरे बर्फ़ीले एहसासों की बानगी काजू की बर्फ़ी है ! सूखी शख़्त भुरभुरी पर मीठी बहुत मीठी ! तेरी बातों की तरी को मैंने चख कर देखा ओहो ! गुड़ शहद गुलकंद मकरंद से भी मीठी बहुत मीठी ! :💕🍨🍧💕👨🙋☕☕☕☕☕☕☕🙋💕🐒😊🍉🍉🍧🍨🍨 Good evening ji .... तेरी तलाश की है मैंने मन्दिर मैदान पहाड़ो में ढूढ रहा था तुझको यारा मैं खण्डर और खदानों में ! चा
यशवंत कुमार
विधाता का फ़रमान ! Read full poetry in caption. विधाता का फ़रमान ! मेरे जन्म से पहले विधाता ने मुझको, संदेशा भेज बुलवाया, भरी सभा में मेरे पहुँचते ही, फ़रमान अपना सुनवाया। "बहुत