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AK__Alfaaz..
कौन हूँ मैं..? एक स्त्री...या कुछ और.., एक दीवार.., जहाँ...कीलें ठुकी हों तमाम, जहाँ...निशानों मे दर्द छिपें हैं तमाम, जहाँ...गम की सीलन टपकती हो हर रात, जो बरसों से अपनी ही हँसती तस्वीरों का, बोझ उठाती हो सुबह-शाम..। कौन हूँ मै..? एक बिस्तर.., जहाँ...रूह तक में पड़ी हो सिलवटें बेहिसाब, जहाँ...तकिए पर सिसकती बूँदें गिरी हों बेशुमार, जहाँ...चादरों की तरह तोड़ी-मरोड़ी पड़ी हो जिंदगी, जो अपने ही कष्टों पर बिलखती हो, सोने और उठने के बाद..। ये प्रश्न सदियों का है...शायद । पूर्ण रचना अनुशीर्षक में🙏 #कौन_हूँ_मै...? कौन हूँ मैं..? एक स्त्री...या कुछ और.., एक दीवार..,
ALOK Sharma
कई महीनों की मेहनत के बाद मैने एक स्टोरी कंप्लीट की। आज उस स्टोरी को एक्सप्लेन करने का समय था । कंपनी ने मीटिंग के लिए जो समय दिया था उस समय से पहले ही मैं तैयार हो चुका था और अपनी फाइल को बैग में रख लिया था मन में खुशी और एक उल्लास था। इतनी शिद्दत और बहुत ही मेहनत से इस स्टोरी को मैंने लिखा था ईश्वर करे आज वह किसी भी हाल में सेलेक्ट हो जाए ताकि मैं अपने आने वाली राह को और आसान बना सकूं। खुश था मैं। तभी मेरे तैयार होते ही एक कॉल आया मैंने कॉल पिक किया जिसमें कम्पनी के एक एम्प्लोयी ने बताया कि आज आपकी मीटिंग कैंसिल हो गई क्योंकि कंपनी को स्टोरी मिल चुकी है। मैंने कहा कि एक बार हमारी स्टोरी को समझ लिया जाता तो.. सामने से बिना पूरी बात सुने जवाब आया सॉरी सर कंपनी ने इस बार की प्रोजेक्ट स्टोरी सेलेक्ट कर ली है सो प्लीज एंड थैंक्स। फोन कट हो गया। मेरा मन उदास हो गया मैंने अपनी टाई को ढीला किया और शर्ट की बटन को खोलते हुए कोर्ट उतार कर हैंगर में टांग दिया। बैग से स्टोरी को निकाला और उसको देखने लगा सारे पन्ने पलटते हुए पूरी स्टोरी को अपने हांथो से छूकर वापिस उसे बैग में रख दिया। थोड़ी राहत की सांस ली और खुद से कहा चलो कोई बात नहीं आगे देखा जाएगा। ©ALOK Sharma कई महीनों की मेहनत के बाद मैने एक स्टोरी कंप्लीट की। आज उस स्टोरी को एक्सप्लेन करने का समय था । कंपनी ने मीटिंग के लिए जो समय दिया था उस स
AB
©alps दिन भर व्यवस्ता और पता नहीं क्या सोचने के बाद जब रात का वक़्त आता है तो एक चुपी ओढे...मैं जितनी व्यस्त दिन को रहती हूँ रात होते होते यह और
Arsh
इस रचना को आप कैप्शन में पढ़ सकते हैं। 111R डैडी क्यों मेरी लाड़ो, पापा से छादी क्यों नहीं कलनी? मुदे नई पता, आप बहोत दंदे हो पापा, पिथली बाल तहा था तौफी लेने दा लहा हूँ, इत्ते दि