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Jayesh gulati
मैं चाहता हूं की, ये मुस्कान तुम्हारी बनी रहे । मुक़म्मल हो या ना हो इश्क़ मेरा, तुम्हारा ये साथ बना रहे । झुके सर जहां वो दर तेरा हो, करता रहूं इबादत और तू बनी रहे । नहीं पा लेना ही इश्क़ थोड़ी हैं, तुम ना भी रहो साथ हमारे, फिर भी तुम्हारी ये मुस्कान बनी रहे । सुनो ये बात अब जायज़ नहीं, तुम रहते हो दिल में मेरे, फिर भी ऐसे दूरी बनी रहे । मोहब्बत में तुमसे तुम्हारा, कुछ नही चाहता अब "जय", अब तुम रख लो सब कुछ मेरा, बस ये मोहब्बत बनी रहे । ©Jayesh gulati #fog
Kalyugishayar
राह कठिन है थोड़ी दूर साथ चलोगे क्या ? तुम्हारी हर मुसकिल का हल ढूंढूंगा साथ मिलके तुम्हारे , मुझसे मिलने का कष्ट करोगे क्या ? नही जानता मैं कितना समझते हो मुझे , थोड़ी सी दूर हस्ते हस्ते राह में चलोगे क्या ? ©Kalyugishayar #fog
Aman Majra
ਅਸੀਂ ਕਿਸਨੂੰ ਦਿਖਾਈਏ ਤਰੱਕੀਆਂ ਕੀਤੀਆਂ, ਸਾਡੇ ਨਾਲ ਦੇ ਹੀ ਕੱਟ ਗਏ ਸਾਡੀਆਂ ਫੀਤੀਆਂ.. ਅਮਨ ਮਾਜਰਾ ©Aman Majra #fog
Drx Kumar pankaj
इक रोज वक़्त मुझे झकझोर के उठायेगा और बोलेगा,कहाँ खोए हो,अब होश में आ जाओ जिन्हें तुम जानते थे,जो तुम्हे जानते थे वो सब जा चुके है,अब तुम्हे भी चलना चाहिए,अब वक़्त बर्बाद ना करो और फ़िर जब मुझे होश आएगा,तब मैं भी कही किसी वक़्त में ख़त्म हो चुका होंगा...! ©Drx Kumar pankaj #fog
Drx Kumar pankaj
मैं जो लिखताहूं, वो महज़ बातें नहीं है, एहसास हैं मेरे, तुम्हारे लिए और बस तुम्हारे लिए, मुझे मिलन और विरह नही लिखना, मुझे लिखना है बस तुम्हे, तुम्हारे ख्याल को, तुमसे जो मुझे हुई है उस बेपनाह चाहत को, दुनिया देखती होगी, खूबियां और कमियां तुम्हारी, मैं बस तुम्हे देखता हूं, तुम्हें नहीं,तुम्हारा अपनत्व तुम्हारी अच्छाई को मेरे हृदय का खालीपन, केवल तुम्हारे प्रेम से भरता है, तुम्हे पाना या खोना नही सोचता मैं, बस इतना पता है कि रक्त की तरह बहते हो मुझमें, हर परिभाषा से अलग रखा है मैने तुम्हे, और ना ही किसी से कोई समानता की कभी, मैंने तुम्हे सबसे अलग संजो रखा है, मेरे मन में हर भाव में बस तुम ही तुम...! सुनो... तुम ना भी समझो, मैने महसूस किया है वही काफी है..! ©Drx Kumar pankaj #fog
Drx Kumar pankaj
कलम ख़ामोश है चेतना निस्तेज पड़ी है विचारों का गर्भपात हो चुका है बाहर जमघट लगा है शोर का भीतर सन्नाटे का सांय सांय पसरा है ©Drx punam rao #fog
Madhurima Mitra
सारी हसरते पूरी हुई नफरतों का दौर शुरू हुआ ©Madhurima Mitra #fog
Drx Kumar pankaj
अब तो असफलता की भी सीमा पार हो गई, पूछता हूँ खुद से, मैं किस राह पर चल दिया। मैं खुद से सवाल करता हूँ, इस राह की मंजिल क्या है, जिस गली में चल पड़ा हूँ, उसका अंजाम क्या है। तेरी उदारता की मिसालें, यूं तो गलत नहीं होतीं, पर इस दिल को अब भी, तेरी नेकनीयती पर शक होता है। स्वयं से जूझने की शक्ति भी नहीं रही, खुद से हार मान ली, इतनी हिम्मत भी नहीं रहा। यह गिरावट का दौर, रुकने का नाम नहीं लेता, अब तो हर पल, नई नाकामी से दो-चार होता जा रहा। कोशिशों के बावजूद आज फिर धरा पर गिरा, ठोकरें खाकर भी, चलने का जज्बा नहीं छोड़ा जा रहा। पीछे मुड़कर जब अपने ही कदमों को निहारा, ऐसे मंज़र से सामना हुआ, की खुद पर विश्वास ना रहा। ©Drx punam rao #fog