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M.K Meet
दयार-ए-इश्क में, मुश्किल है दिल को समझाना के मासुम मशविरों को, पागल ये मानता ही नहीं ©M.K Meet दिल पत्थर होने लगा है या कि पत्थर बना रहा कोई!!
दिल पत्थर होने लगा है या कि पत्थर बना रहा कोई!!
read moreGhumnam Gautam
गुल व भँवरे की हर कहानी में हैं बहारों के बाद पतझर भी घर में अमरूद गर लगाओगे आएँगे आँगनों में पत्थर भी ©Ghumnam Gautam #गुल #पत्थर #कहानी #ghumnamgautam
#गुल #पत्थर #कहानी #ghumnamgautam
read moreParasram Arora
Unsplash कैसे पता लगे कि कौनसी बात न्याय संगत है और कौनसी बात व्यर्थ कागज़ी फूलों पर तुमने कभी किसी भवरे को बैठते हुए देखा है क्या? ©Parasram Arora कैसे पता लगे?
कैसे पता लगे?
read moreSunil Kumar Maurya Bekhud
पत्थर सड़क किनारे आज पड़ा हूँ मेरी होगी पूजा कल इंतजार में बैठा हूँ मैं सब्र का मीठा होगा फल नहीं किसी को घाव मैं देता खुद ही टकराती दुनिया मेरी यही कामना सबको मिल जाए अपनी खुशियाँ मैं कठोर हूँ इसमें मेरा कोई भी है दोष नहीं जहाँ मुझे कोई भी रखे रहता हूँ खामोश वहीं कोई ढूढ़ता मुझमें ईश्वर कोई ढूँढता है प्रियतम बेखुद जैसा भाव हो जिसका उसी रूप में मिलते हम ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #पत्थर
Bipul Kumar Sinha
सर्व विघ्न विनाशाय सर्व कल्याण हेतु पार्वती के पुत्र आए गणेशाय नमो नमः ©Bipul Kumar Sinha गणेश बंदना
गणेश बंदना
read moreneelu
White नज़दीक उतने ही रहिए कि दूर ना लगे खुदगर्ज़ उतने ही रहिए कि मनमर्जी ना लगे तो फिर समझदार कितना होना चाहिए? ©neelu #good_night #नज़दीक उतने ही रहिए कि #दूर ना लगे #खुदगर्ज़ उतने ही रहिए कि #मनमर्जी ना लगे तो फिर #समझदार कितना होना चाहिए?
Shiv Narayan Saxena
🙏। सुप्रभात! 🌺 ©Shiv Narayan Saxena #सुप्रभात परवरिश बोझ जब लगने लगे hindi shayari
#सुप्रभात परवरिश बोझ जब लगने लगे hindi shayari
read moreADITYA GAURAW
White तुम्हें देख अगर कुछ लोग जलने लगे, तो समझना तुम सूर्य की तरह चमकने लगे हो। ©ADITYA GAURAW तुम्हे देख जब लोग जलने लगे #Motivation
तुम्हे देख जब लोग जलने लगे #Motivation
read moreAdv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
चाहकर भी घर से निकलते नहीं अब.. खूब फिसले जमाने फिसलते नहीं अब.. वो बड़े ही सख्त मिजाज़ हुए रे कलम तेरे लफ्जों के कमाल चलते नहीं अब.. पिघले होंगे पत्थर किसी के पिघलाये से मेरे पिघलाये से वो पिघलते नहीं अब.. रातों के इंतजार में रहता हूँ तुम्हारे लिये ये दुश्मन दिन जल्दी ढलते नहीं अब.. ख़ुद को बाँट तो लिया सर्द गर्म रातों सा मौसम हैं कि सही से बदलते नहीं अब.. वादियाँ मशगूल हैं हुस्न की फिराक में दिवाने दिल के अरमाँ मचलते नहीं अब.. एक हम हैं, कोशिशें खूब की भुलाने की एक वो हैं, दिल से खिसकते नहीं अब.. ©अज्ञात #पत्थर