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Himanshu Prajapati
New Year 2024-25 कुछ पल में बदलेगा ये साल, और बताओ क्या हाल चाल..? ©Himanshu Prajapati #NewYear2024-25 कुछ पल में बदलेगा ये साल, और बताओ क्या हाल चाल..? #36gyan #hpstrange
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read moreनवनीत ठाकुर
White हिंदू न खतरे में था, न है न कभी ये रहेगा, डर का व्यापार करने वाला, खुद सजेगा। करोड़ों की आबादी बड़ा ली हमने, बताओ सच, तो फिर डर किस बात का। गुणवत्ता की जरूरत है, न कि मात्रा की, संख्या का क्या मोल, जब कमी हो ज्ञान की। प्लासी की लड़ाई भी सबक सिखा गई, इतनी बड़ी आबादी मुठ्ठी भर अंग्रेजों से हार गई। आज चंद यहूदियों ने दुनिया हिला दी, कर्म और बुद्धि से किस्मत बना दी। तो क्यों न हम अपने को मज़बूत बनाएं, गुण और शिक्षा से नई रीत लाएं। जरूरत है पुरुषार्थ की, परमार्थ की, धर्म को समझने वाले सच्चे विचार की। राजनीति की रोटियां सेंकना छोड़ो, धर्म को हथियार बनाना अब मोड़ो। आत्मबल से जीतें, प्रेम का दीप जलाएं, हिंदूत्व का मतलब सही सबको समझाएं। हिंदुत्व सिर्फ धर्म नहीं, बल्कि जीने का तरीका है, हर मनुष्य के उत्थान की सच्ची अभिव्यक्ति का तरीका है। ©नवनीत ठाकुर #हिंदू न खतरे में था, न है न कभी ये रहेगा, डर का व्यापार करने वाला, खुद सजेगा। करोड़ों की आबादी बड़ा ली हमने, बताओ सच तो फिर डर किस बात का।
#हिंदू न खतरे में था, न है न कभी ये रहेगा, डर का व्यापार करने वाला, खुद सजेगा। करोड़ों की आबादी बड़ा ली हमने, बताओ सच तो फिर डर किस बात का।
read moreਸੀਰਿਯਸ jatt
"बताओ कितना बुरा हाल है, जिसको प्यार की ज़रूरत होती है, उसको मिलता नहीं जिसको मिलता है उन मादरचोद लोगो को क़दर नही! "
read moreAugustine Manda
दिल की आवाज़ सुनकर जी रहा हूँ मैं, अगर ये गलत है, तो सही होने का क्या फ़ायदा? ©Augustine Manda बताओ ज़रा.!! क्या फायदा??
बताओ ज़रा.!! क्या फायदा??
read moreVinod Mishra
"कोई भी ऐसा धर्मावलंबी बताओ जो अपने धर्म की इतनी बेइज्जती करता हो जितना कि तुम अपने धर्म की करते हो." शर्म करो! चुल्लू भर पानी में डूब
read moreJayesh gulati
सोलह शृंगार । (Read in caption) ©Jayesh gulati *सोलह शृंगार* मैं नासमझ, कहां समझता था, किसी शृंगार को । वो जिसने किए मेरे लिए सोलह शृंगार ।। पहले पहना माथे उन्होंने, माँग–टिका । जैसे बा
*सोलह शृंगार* मैं नासमझ, कहां समझता था, किसी शृंगार को । वो जिसने किए मेरे लिए सोलह शृंगार ।। पहले पहना माथे उन्होंने, माँग–टिका । जैसे बा
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