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Stories related to मुस्लिमों की उत्पत्ति कैसे हुई

संजय जालिम " आज़मगढी"

# जीयु कैसे#

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White अफ़साना दिल का कहूँ कैसे
दीवाना दिल को रखू कैसे
माना मैं मुफ़्लिस् ,काफिर  हु ज़माने का
उनके सिवा "जालिम" उल्फ़त में जियु कैसे

©संजय जालिम " आज़मगढी" # जीयु कैसे#

Rajkumar pal

आपके #संस्कार से पता चलता है की आपकी #परवरिश कैसे हुई हैं..®️ शायरी मोटिवेशनल

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आपके संस्कार से
पता चलता है
की आपकी परवरिश
कैसे हुई हैं...®️ ✔️

©Rajkumar pal आपके #संस्कार से
पता चलता है
की आपकी #परवरिश
कैसे हुई हैं..®️ शायरी मोटिवेशनल

Rohan Roy

अंधविश्वास की शिक्षाएं, कैसे खत्म होगी? | #RohanRoy | #dailymotivation | #motivation_for_life | #rohanroymotivation | life quotes images

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White जहां डिग्रियों से सर्वगुण संपन्न को ही, बेहतर इंसान एवं शिक्षित समझा जाता हो।
फिर वहां अंधविश्वास की शिक्षाएं, कैसे खत्म होगी?

©Rohan Roy अंधविश्वास की शिक्षाएं, कैसे खत्म होगी?
| #RohanRoy | #dailymotivation | #motivation_for_life | #rohanroymotivation | life quotes images

Parasram Arora

भागती हुई दुनिया

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White तेज़ गति  से 
भागती हुई इस 
दुनिया के साथ 


हम भी कदम मिला 
कर दौड़ते रहे 
बहुत कोशिश क़ी 
हमने  कि रोके
 कदमो को  ठहर
जाने 
 के लिए

©Parasram Arora भागती हुई दुनिया

Ghumnam Gautam

White हाँ, मुझे प्यार है और तुम से ही है
पर बताओ मैं इज़हार कैसे करूँ

©Ghumnam Gautam #कैसे 
#इज़हार 
#ghumnamgautam

Parasram Arora

कैसे तय हो?

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White ये बात कित्नी अजीब है 
कि सांसे मेरी धीमी 
और मंद होती जा रहीं 
जबकि मेरी  नब्ज़ ने 
फड़कना बन्द कर  दिया है 


अब ये कैसे तय हो 
कि मै कितनी 
देर या  कितने दिन और  
जीता रहूगा ?
और मानलो मरना ही पढ़ा 
तो मेरा अंतिम क्षण कौनसा होगा

©Parasram Arora  कैसे तय हो?

Parasram Arora

थकी हुई साँसे

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green-leaves मुझे लगता हैँ
 मेरी थकी हुई साँसे 
कभी भी थम सकती 
 हैँ 
फिर चाहे तुम 
कितना भी फूको 
 मेरे प्राणो को 
सांसे लौट न  पाएगी 
गी फिर से

©Parasram Arora थकी हुई साँसे

चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज

# कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024

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New Year 2024-25  कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024
_______________________
हे दिसंबर ! कैसे कहूँ अलविदा --2024

जाते जाते  कितनों के आंँखें  कर गए नम
माना कि मेरे हिस्से में आई हैं खुशियांँ, 
खुशियांँ भी मना न पाऊंँ जाने कितने को दे गए हो गम

हे दिसंबर ! तुम्हें कैसे कहूंँ अलविदा-- 2024

भूल से भी ना भूलेगा मिटे से भी ना मिटेगा
 ज़ख्म है कितना गहरा , बेखबर हो गए हो
तुम क्या जानो ! जाने कितनों की सांँसे थम गईं

हे दिसंबर ! कैसे कहूंँ  अलविदा -- 2024

कपकपाती काया के रूह से पूछो-
जाते जाते  कितने को दर्द दे गए
  सिलते सिलते जाने कितने की उंगलियांँ जम गईं 

हे दिसंबर! कैसे कहूंँ अलविदा - 2024

(मौलिक रचना) 
चेतना प्रकाश चितेरी , प्रयागराज , उत्तर प्रदेश
३१/१२/२०२४ , ११:०८ पूर्वाह्न

©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज # कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024

Parasram Arora

कैसे पता लगे?

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Unsplash कैसे  पता लगे 
कि कौनसी बात
  न्याय संगत है 
और कौनसी बात व्यर्थ 

कागज़ी फूलों पर तुमने
कभी किसी  भवरे को 
बैठते हुए  देखा है क्या?

©Parasram Arora कैसे पता लगे?

F M POETRY

#ज़िन्दगी उलझी हुई.....

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Unsplash ज़िन्दगी उलझी हुई पहेली है..

कैसे हल होगी ये मालूम नहीं..



यूसुफ़ आर खान...

©F M POETRY #ज़िन्दगी उलझी हुई.....
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